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WHO: उपेक्षित उष्णकटिबन्धीय रोगों से मुक़ाबले के लिये दस-वर्षीय योजना पेश

दक्षिण सूडान में एक युवा गिनी कृमि से पीड़ित है और अपना उपचार करा रहा है.
© UNICEF/Anne Ackermann
दक्षिण सूडान में एक युवा गिनी कृमि से पीड़ित है और अपना उपचार करा रहा है.

WHO: उपेक्षित उष्णकटिबन्धीय रोगों से मुक़ाबले के लिये दस-वर्षीय योजना पेश

स्वास्थ्य

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने उष्णकटिबन्धीय देशों में पाई जाने वाली और आमतौर पर उपेक्षा का शिकार बीमारियों (Neglected Tropical Diseases) का अन्त किये जाने का संकल्प लिया है. ये 20 ऐसी बीमारियों हैं जिनसे एक अरब से ज़्यादा लोग प्रभावित होते हैं जिनमें अधिकाँश निर्धन हैं, और ये उन क्षेत्रों में ज़्यादा पनपती हैं जहाँ गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छ जल और साफ़-सफ़ाई का अभाव है. 

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विश्व स्वास्थ्य सगंठन द्वारा जारी एक बयान में महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने याज (yaws) और गिनी कृमि (Guinea worm) जैसी बीमारियों का मुक़ाबला करने के लिये नए तरीक़ों पर ज़ोर दिया है. 

“इसका अर्थ हमारे प्रयासों में नई ऊर्जा फूँकना और साथ मिलकर इन सभी बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिये नए तरीक़ों की तलाश करना है, उन सभी के लिये जिन्हें इसकी ज़रूरत है.” 

बीमारी से लड़ने के लिये इन नए रास्तों को बुधवार को एक दस-वर्षीय योजना में पेश किया गया है जिसके ज़रिये उपेक्षित उष्णकटिबन्धीय बीमारियों (Neglected Tropical Diseases / NTD) के मामलों में 90 फ़ीसदी की कमी लाने का लक्ष्य ऱखा गया है. 

इस योजना में कार्यक्रम पहुंचाने और बेहतर कवरेज सुनिश्चित करने, उसके किफ़ायतीपन पर ज़ोर दिया गया है. साथ ही कार्यक्रमों को टिकाऊ बनाने का आहवान किया गया है जिसमें मापने योग्य नतीजों और घरेलू स्तर पर पर्याप्त वित्तीय इन्तज़ामों को   

पीड़ा और विकलाँगता के साथ-साथ NTD से आर्थिक विकास प्रभावित होता है, बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और वयस्कों के कामकाज पर असर पड़ता है. 

NTD के कारण विकलाँगता और असमर्थता से प्रभावित लोगों को अक्सर अपने समुदायों में कलंक झेलने के लिये मजबूर होना पड़ता है जिससे वे सामाजिक अलगाव का शिकार होते हैं. 

महत्वाकाँक्षी लक्ष्य

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने इस योजना को अन्य देशों, साझीदारों, पक्षकारों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों के साथ मिलकर तैयार किया है जिसमें अनेक महत्वाकाँक्षी लक्ष्य हैं. 

इनमें 100 देशों में से कम से कम एक तक उपेक्षित बीमारियों का पूर्ण रूप से सफ़ाया करने और जल व स्वच्छता जैसी बुनियादी की बेहतर सुलभता सुनिश्चति करने को अहम माना गया है. 

एजेंसी का मानना है कि NTD बीमारियों पर पिछल दस वर्षों में प्रगति ही है जोकि एक उत्साहजनक संकेत है कि अगल दस वर्षों में क्या हासिल किया जा सकता है.

दुनिया भर में 60 करोड़ से ज़्यादा लोगों को इन बीमारियों से पीड़ित होने का जोखिम कम हुआ है. 42 देश ऐसे हैं जहाँ कम से कम एक ऐसी बीमारी को सूची से हटा गया है.

इसके अतिरिक्त वैश्विक कार्यक्रमों की मदद से वर्ष 2015 से 2020 तक पाँच साल की अवधि में हर साल लगभग एक अरब लोगों का उपचार हुआ है.

लेकिन इन बीमारियों के ख़तरों पर पूर्ण रूप से क़ाबू पाने की आवश्यकता अब भी क़ायम है.