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महासभा में यूएन प्रमुख - 2021 को सम्भावनाओं व आशाओं से परिपूर्ण वर्ष बनाने का आहवान

सीरिया के इदलिब के एक शिविर में दो बच्चे काग़ज़ के मास्क बना रहे हैं.
© UNOCHA
सीरिया के इदलिब के एक शिविर में दो बच्चे काग़ज़ के मास्क बना रहे हैं.

महासभा में यूएन प्रमुख - 2021 को सम्भावनाओं व आशाओं से परिपूर्ण वर्ष बनाने का आहवान

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने वर्ष 2020 को मौत, त्रासदी और निराशा का साल क़रार देते हुए कहा है कि कोविड-19 महामारी से हर देश और हर अर्थव्यवस्था में तबाही मची है. उन्होंने गुरुवार को यूएन महासभा में सदस्य देशों के समक्ष कार्रवाई के लिये अहम प्राथमिकताओं का खाका पेश करते हुए कहा कि अब दुनिया को साथ मिलकर एकजुट प्रयासों के ज़रिए 2021 को सम्भावनाओं और उम्मीदों का वर्ष बनाना होगा. 

महासचिव गुटेरेश ने  शोक व्यक्त किया कि संयुक्त राष्ट्र परिवार के प्रिय साथियों सहित अब तक यह महामारी 20 लाख लोगों की जान लील चुकी है. इसका मानवता पर बोझ और अर्थव्यवस्था के लिये क़ीमत लगातार बढ़ रही है. 

“50 करोड़ रोज़गार जा चुके हैं. चरम ग़रीबी फिर से उस स्तर पर है जिसे एक पीढ़ी में नहीं देखा गया. विषमताएँ चौड़ी हो रही हैं. भुखमरी फिर बढ़ रही है.” 

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यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि मानवता ने प्रकृति के ख़िलाफ़ जो युद्ध छेड़ा था, प्रकृति अब जवाबी वार कर रही है और जलवायु संकट गम्भीर हो रहा है. 

उन्होंने विश्व में शान्ति व सुरक्षा हालात पर चिन्ता जताते हुए कहा कि भूराजनैतिक तनावों के कारण शान्ति के लिये सामूहिक प्रयास कमज़ोर हुए हैं.

“मानवीय ज़रूरतें तेज़ी से बढ़ रही हैं. जबरन विस्थापन पिछले वर्ष रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया...मानवाधिकारों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है और नफ़रत भरे सन्देश व भाषण बढ़ रहे हैं.”

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि वर्ष 2020 की त्रासदी और जोखिमों को पीछे छोड़ कर 2021 में दुनिया को फिर प्रगति के मार्ग पर लाना होगा.  

“हमें मौत से स्वास्थ्य, त्रासदी से पुनर्निर्माण; निराशा से उम्मीद, काम के पुराने ढर्रों के बजाए रूपान्तरकारी बदलावों की ओर जाने की आवश्यकता है.”

“यह लोगों, अर्थव्यवस्थाओं, समाजों और पृथ्वी के कल्याण को सुनिश्चित करने का समय है. यह सम्भव है. हमें इसे करना होगा. एक साथ मिलकर.”

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने वर्ष 2021 के लिये मुख्य प्राथमिकताओं को पेश किया है. 

पहली प्राथमिकता: कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई को आगे बढ़ाना

दूसरी प्राथमिकता: समावेशी और टिकाऊ पुनर्बहाली सुनिश्चित करना

तीसरी प्राथमिकता: प्रकृति के साथ समरसतापूर्ण सम्बन्ध क़ायम करना

चौथी प्राथमिकता: निर्धनता और विषमता की महामारी से निपटना

पाँचवी प्राथमिकता: मानवाधिकारों पर हमलों की रोकथाम करना 

छठी प्राथमिकता: लैंगिक समानता को बढ़ावा

सातवीं प्राथमिकता: भूराजनैतिक दरारों को पाटना, साझा ज़मीन की तलाश करना

आठवीं प्राथमिकता: परमाणु निशस्त्रीकरण और अप्रसार तन्त्र के क्षरण को रोकना

नौंवी प्राथमिकता: डिजिटल टैक्नॉलॉजी के अवसरों का लाभ उठाना, जोखिमों से रक्षा

दसवीं प्राथमिकता: 21वीं सदी के लिये फिर से नियोजित (Reset) करना

टीकाकरण के लिये एकजुटता

महासचिव ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन के न्यायसंगत वितरण को सम्भव बनाना कायापलट कर देने वाले बदलावों की दिशा में पहला क़दम होगा, लेकिन फ़िलहाल दुनिया इस काम में पिछड़ रही है.  

उन्होंने वैक्सीन को एक बड़ी नैतिक परीक्षा बताते हुए देशों से कोवैक्स सुविधा के लिये अपना समर्थन बढ़ाने का आहवान किया है – इस पहल के ज़रिये सभी देशों में किफ़ायती और असरदार वैक्सीन व उपचार को उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है. 

समावेशी और टिकाऊ पुनर्बहाली

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया तब तक फिर से संवर नहीं सकती जब तक अर्थव्यवस्थाएँ मुश्किल में रहेंगी और इसके मद्देनज़र महामारी से पुनर्बहाली को समावेशी व टिकाऊ बनाना होगा. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.
UN Photo/Mark Garten
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.

देशों को स्वास्थ्य, सामाजिक संरक्षा, रोज़गार और शिक्षा जैसे सैक्टरों में निवेश करना होगा. 

उन्होंने विकासशील देशों में हालात के प्रति चिन्ता ज़ाहिर करते हुए कहा कि वे धन प्रेषण और पर्यटन से मिलने वाले राजस्व की कमी से जूझ रहे हैं, और उन्हें कर्ज़ माफ़ी जैसे उपाय और वित्तीय समर्थन उपलब्ध कराया जाना होगा. 

जलवायु कार्रवाई के लिये अहम वर्ष

उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 जलवायु और जैवविविधता के लिये एक महत्वपूर्ण वर्ष है और अब प्रकृति के साथ समरसता क़ायम की जानी होगी. 

“मैं हर शहर, कम्पनी और वित्तीय संस्था से ठोस रोडमैप अपनाने का आग्रह करता हूँ जिसमें वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने के लिये स्पष्ट माध्यमिक पड़ाव होंगे.”

“जहाज़रानी, उड्डयन, उद्योग और कृषि जैसे अहम सैक्टरों को भी यही करना होगा.”

उन्होंने देशों से अगले दो दशकों में कोयला जनित ऊर्जा को चरणबद्ध ढँग से हटाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता का अन्त करने के लिये कहा है.

महासचिव के मुताबिक टैक्स का बोझ आय से हटाकर कार्बन, और करदाताओं से हटाकर प्रदूषण के लिये ज़िम्मेदारों पर किया जाना होगा