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हॉलोकॉस्ट स्मरण दिवस: यहूदीवाद-विरोध से मुक़ाबले में 'दृढ़ संकल्प' की दरकार

दक्षिणी पोलैण्ड में स्थित आउशवित्ज़-बर्केनाउ यातना शिविर.
Unsplash/Jean Carlo Emer
दक्षिणी पोलैण्ड में स्थित आउशवित्ज़-बर्केनाउ यातना शिविर.

हॉलोकॉस्ट स्मरण दिवस: यहूदीवाद-विरोध से मुक़ाबले में 'दृढ़ संकल्प' की दरकार

मानवाधिकार

जर्मनी की चाँसलर अंगेला मैर्केल ने यहूदी जनसंहार (हॉलोकॉस्ट) के पीड़ितों की स्मृति में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम मे सचेत किया है कि दुनिया को यहूदीवाद-विरोध के ख़िलाफ़ पूर्ण संकल्प के साथ खड़ा होना होगा. उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नात्सियों द्वारा 60 लाख से ज़्यादा यहूदियों और अन्य लोगों की हत्याओं को सभ्य मूल्यों के साथ विश्वासघात क़रार दिया है.

हॉलोकॉस्ट के पीड़ितों की स्मृति में इस कार्यक्रम को अन्तरराष्ट्रीय हॉलोकॉस्ट स्मरण अलायन्स (International Holocaust Remembrance Alliance), संयुक्त राष्ट्र और यूएन शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने साझा रूप से आयोजित किया. 

चाँसलर मैर्केल ने कहा कि खुले या छिपे हुए, हर प्रकार के यहूदीवाद-विरोध और हॉलोकॉस्ट को नकारे जाने के प्रयासों को नाकाम किया जाना होगा.

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“हम हॉलोकॉस्ट के पीड़ितों को स्मरण कर और उनकी व्यथा से सबक़ लेकर उनका सम्मान करते हैं.”

उन्होंने अपने वीडियो सन्देश में कहा, “यह हमारा चिरस्थाई दायित्व है – मौजूदा और भावी पीढ़ियों के लिये.” ठीक 76 वर्ष पहले, 27 जनवरी 1945 को, आउशवित्ज़-बर्केनाउ यातना शिविर को मुक्त कराया गया था. 

अंगेला मैर्केल ने कहा, “वहाँ जो कुछ हुआ और अन्य स्थानों पर जहाँ नेशनल सोशलिस्ट काल में जो अत्याचार हुए, वो अब भी विश्वास से परे हैं. 

चाँसलर मैर्केल ने नात्सी जर्मनी द्वारा योरोप में लाखों यहूदियों की विनाशकारी हत्या किये जाने पर गहरी शर्मिन्दगी जताते हुए उसे सभ्य मूल्यों के साथ विश्वासघात क़रार दिया. 

इनमें योरोपीय यहूदी, सिन्ती और रोमा, राजनैतिक बन्दी, पोलैण्ड का प्रबुद्ध वर्ग, युद्धबन्दी, प्रतिरोध की लड़ाई में जुटे लोग, समलैंगिक, विकलाँग और अनगिनत अन्य पुरुष, महिलाएँ और बच्चे हैं जिन्हें अपमानित किया गया, बर्बर यातनाएँ दी गई और हत्या कर दी गई. 

“हमें कभी भी इन लोगों और उनकी नियति को नहीं भुलाना होगा.”

चाँसलर मैर्केल ने अपने सम्बोधन का समापन उन जीवित बच गये लोगों के प्रति आभार प्रकट कर किया जिन्होंने अपनी व्यथा को दुनिया के सामने रखने का साहस जुटाया है.

उन्होंने कहा कि ये अनुभव दर्शाते हैं कि मानवीय गरिमा कितनी कमज़ोर है और कितनी आसानी से शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व को सहारा देने वाले मूल्यों का हनन किया जा सकता है. 

यहूदीवाद-विरोध में उभार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि यहूदीवाद-विरोध की सबसे भयावह अभिव्यक्ति हॉलोकॉस्ट में नज़र आती है. 

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस अपराध के प्रति सार्वभौमिक घृणा के भाव से ही संयुक्त राष्ट्र और सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र की नींव तैयार हुई. 

“लेकिन यह समाप्त नहीं हुआ. निसन्देह, आज यहूदीवाद-विरोध दुनिया भर में अनेक स्थानों पर फिर उभर रहा है.”

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि हॉलोकॉस्ट में जीवित बचे लोगों की संख्या हर वर्ष कम हो रही है, जबकि श्वेत वर्चस्ववादी और नव-नात्सी समूह इतिहास को नकारने और फिर से लिखने के प्रयासों में तेज़ी ला रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने सामाजिक उथलपुथल को दोहन करने, लोगों को एक दूसरे के ख़िलाफ़ करने और धर्म, नस्ल, जातीयता, राष्ट्रीयता, यौन रूझान, विकलाँगता और आप्रवासन दर्जे के आधार पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के नए अवसर दिये हैं. 

यहूदीवाद-विरोध का इलाज

महासचिव गुटेरेश ने चेतावनी भरे अन्दाज़ में कहा कि दशकों तक छिपे रहने के बाद नव-नात्सी समूह और उनके विचारों को फिर से बल और कुछ हद तक आदर भी मिल रहा है.

कुछ देशों में उनके सन्देश और विचारधारा मुख्यधारा के राजनैतिक दलों में चर्चा के दौरान सुने जा सकते हैं और अन्य देशों में उन्होंने पुलिस और राज्य सुरक्षा सेवाओं में अपनी जगह बना ली है. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि इन ख़तरों के प्रति हमारे साझा प्रयासों को मज़बूत किया जाना होगा - यहूदीवाद-विरोध और विदेशियों के प्रति नापसंदगी व डर की कोई वैक्सीन नहीं है. 

इन चुनौतियों के ख़िलाफ़ सबसे असरदार औजार तथ्य और सत्य हैं.