दावोस बैठक में यूएन प्रमुख का सन्देश - महामारी से पुनर्बहाली में निजी क्षेत्र की अहम भूमिका

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अग्रणी व्यवसायियों को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया है कि कोविड-19 और जलवायु संकट से देशों को बाहर निकालने में निजी क्षेत्र को अहम भूमिका निभानी होगी. यूएन प्रमुख ने सोमवार को स्विट्ज़रलैण्ड के दावोस शहर में विश्व आर्थिक मँच की वार्षिक बैठक में वर्चुअल शिरकत करते हुए कहा कि महामारी से पुनर्बहाली की प्रक्रिया में समावेशन को सुनिश्चित करते हुए टिकाऊ विकास की दिशा में क़दम बढ़ाए जाने होंगे.
यूएन प्रमुख ने कहा, “हमारा रास्ता बदलने, नाज़ुक हालात को ख़त्म करने, जलवायु विनाश को टालने और हमारी ज़रूरत व चाहत के अनुरूप न्यायसंगत व टिकाऊ भविष्य के निर्माण में मदद के लिये हमें आपकी पहले से कहीं अधिक ज़रूरत है.”
Humanity has just endured a year of tragedy & crisis that we never want to repeat.In 2021 we have a unique chance to change course & put the world on track.The opportunity to end the spiral of destruction is in our hands.#DavosAgenda | https://t.co/DF1SN8Au4S pic.twitter.com/xBKtcfxDDy
antonioguterres
संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट दर्शाती है कि महामारी से बुरी तरह प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था की पुनर्बहाली अभी जोखिमों के घेरे में है.
महासचिव गुटेरेश ने न्यूयॉर्क से सम्बोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण एक सदी में पहली बार इतना गम्भीर आर्थिक संकट पैदा हुआ है, विषमताएँ गहरी हुई हैं और देशों के बीच व भीतर नाज़ुक हालात उजागर हुए हैं.
“यह रास्ता बदलने का समय है और टिकाऊ मार्ग पर चलने का है. और इस वर्ष, हमारे पास ऐसा करने के लिये एक अनूठा अवसर है.”
“कोविड-19 महामारी से हम अपनी पुनर्बहाली का उपयोग कमज़ोरियों से सुदृढ़ता की ओर बढ़ने में कर सकते हैं.”
महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि महामारी से पुनर्बहाली की प्रक्रिया को समावेशी रखना होना, और इस दौरान जलवायु परिवर्तन और लुप्त हो रही जैवविविधिता से भी निपटना होगा.
यूएन प्रमुख ने आगाह किया है कि कोविड-19 से पुनर्बहाली सर्वजन के लिये वैक्सीन की उपलब्धता और उसके प्रभावीपन, विकसित एवँ विकासशील देशों में तात्कालिक राजकोषीय और मौद्रिक समर्थन, और रूपान्तरकारी दीर्घकालीन स्फूर्ति उपायों पर निर्भर करती है.
कोविड-19 से निपटने के लिये टीकाकरण कार्यक्रमों को अनेक देशों में शुरू किया गया है लेकिन अभी वैश्विक स्तर पर यह प्रक्रिया विसंगति से पूर्ण है.
धनी देशों में लोगों को वैक्सीन की ख़ुराके मिल रही हैं, जबकि निर्धन देशों में लोग अभी इससे वन्चित हैं.
महासचिव गुटेरेश ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा कि इस वर्ष का मुख्य लक्ष्य एक ऐसे वैश्विक गठबन्धन का निर्माण करना है जिससे वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता को हासिल किया जा सके.
उन्होंने कहा कि दुनिया को नवीकरणीय ऊर्जा जनित हरित भविष्य की ओर बढ़ना होगा जिससे नए रोज़गारों और स्वस्थ भविष्य का सृजन होगा.
यूएन महासचिव के मुताबिक जैसे-जैसे ज़्यादा संख्या में देश यह संकल्प ले रहे हैं, यह हमारी पहुँच में आ सकता है.
उन्होंने सभी के लिये टिकाऊ भविष्य और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने में निजी क्षेत्र द्वारा कार्रवाई को अहम बताया है.
संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को अपनी नई रिपोर्ट ‘The World Economic Situation and Prospects report,’ जारी की है.
रिपोर्ट दर्शाती है कि आर्थिक, सामाजिक और जलवायु सहनशील पहलों में निवेश के अभाव में विश्वव्यापी महामारी के दुष्प्रभाव अनेक वर्षों तक जारी रह सकते हैं.
पिछले साल विश्व अर्थव्यवस्था 4.3 फ़ीसदी तक सिकुड़ी है, जोकि एक दशक पहले के वित्तीय संकट से भी ढाई गुणा ज़्यादा है.
यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक इस वर्ष 4.7 प्रतिशत का मामूली सुधार अपेक्षित है लेकिन अब तक हुए नुक़सान को दूर करने के लिये यह पर्याप्त नहीं होगा.
वर्ष 2020 में विकसित अर्थव्यवस्थाओं पर सबसे ज़्यादा असर हुआ है, और आर्थिक तालाबन्दियों व संक्रमणों की लहर से 5.6 प्रतिशत का संकुचन दर्ज किया गया है.
विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं में वर्ष 2020 में 2.5 प्रतिशत संकुचन देखा गया और अब उनकी अर्थव्यवस्था में 5.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है.
रिपोर्ट के मुताबिक टिकाऊ पुनर्बहाली के लिये अर्थव्यवस्था में स्फूर्ति के लिये पैकेजों के आकार, वैक्सीन के वितरण के साथ-साथ इन उपायों की गुणवत्ता और उनके कारगर साबित होने पर निर्भर करेगा.