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प्रवासियों को डिजिटल जगत में अवसरों से जोड़ने की पहल

एक a2i परियोजना के ज़रिये, यूएनडीपी बाँग्लादेश के शिविरों में रहने वाले रोहिन्ज्याओं को अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार से जोड़ने के लिये आवश्यक ऑनलाइन उपकरण प्रदान करती है.
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एक a2i परियोजना के ज़रिये, यूएनडीपी बाँग्लादेश के शिविरों में रहने वाले रोहिन्ज्याओं को अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार से जोड़ने के लिये आवश्यक ऑनलाइन उपकरण प्रदान करती है.

प्रवासियों को डिजिटल जगत में अवसरों से जोड़ने की पहल

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित प्रवासियों को रोज़गार के अवसरों से जोड़ने के लिये एक डिजिटल कार्यक्रम ‘एस्पायर टू इनोवेट’ (A2I) शुरू किया है. यूएनडीपी  में संकट मामलों के लिये ब्यूरो (Crisis Bureau) में संयुक्त राष्ट्र की सहायक महासचिव और निदेशक असाको ओकाई का ब्लॉग... 

स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक, अर्थव्यवस्था से लेकर सामाजिक सुरक्षा तक, कोविड-19 संकट ने हमारे जीवन के हर पहलू को छुआ है.  

विशेष रूप से दो क्षेत्रों में अभूतपूर्व बदलाव देखे गए हैं; मानवीय गतिशीलता और डिजिटल तकनीक कामकाजी जगत को किस तरह आकार दे रही है.

वर्ष 2020 की शुरुआत से, इस भीषण व्यवधान ने मानव गतिशीलता के सभी रूपों, ख़ास तौर पर अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन को प्रभावित किया है.

लोग सीमाओं पर फँसे हुए हैं - कुछ अपने घरों से हटने में असमर्थ हैं, तो कुछ अन्य विदेशों में रहने के कारण घर लौटने में असमर्थ हैं.

कोविड-19 के कारण लागू यात्रा सम्बन्धी प्रतिबन्धों ने प्रवासियों की वैश्विक संख्या में 27 प्रतिशत, यानि लगभग 20 लाख प्रवासियों की वृद्धि को धीमा कर दिया.

अध्ययन दर्शाते हैं कि बीमार होने की स्थिति में प्रवासियों के लिये अधिक जोखिम रहता है.

उच्च आय वाले कुछ OECD देशों में उनके लिये कोविड-19 संक्रमण की दर दोगुनी थी. 2020 की दूसरी तिमाही में लगभग 40 करोड़ प्रवासियों के रोज़गार ख़त्म होने से  उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.

हालाँकि आजीविका खोने के बावजूद प्रवासी अपनी बचत की हुई रक़म में से धन निकालकर, अपने मूल स्थानों या घरों को  भेजते रहे.

प्रवासियों द्वारा प्रेषित धनराशि कम ज़रूर हुई है, लेकिन उतनी कम नहीं, जिसकी आशंका थी.

प्रवासियों ने अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिये, डिजिटल प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखाँकित करते हुए ऑनलाइन बैंकिंग साधनों का इस्तेमाल किया.

महामारी के दौरान डिजिटल माध्यम तेज़ी से अपनाए गए. पहले से ही, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, क्रिप्टोकरेंसी, वर्चुअल रियलिटी, द इन्टरनेट ऑफ थिंग्स और अन्य नई तकनीकों से, कामकाज करने के तरीक़ों में बदलाव आ रहा था.

सामाजिक दूरी बरते जाने का पालन करने और यात्रा पर प्रतिबन्धों के कारण यह डिजिटल बदलाव और तेज़ी से आया.

डिजिटल तकनीक, अन्य सभी लोगों की तरह बेहतर जीवन की आकाँक्षा रखने वाले प्रवासियों और विस्थापित लोगों के लिये, आजीविका को बेहतर बनाने के अद्वितीय लाभ और अवसर प्रदान करती है.

प्रवासी जन ऑनलाइन कौशल सीख सकते हैं, महत्वपूर्ण जानकारी और सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं और नैटवर्क स्थापित कर सकते हैं. साथ ही, बेहतर कामकाज पाने, व्यवसाय शुरू करने या नए बाज़ार तलाश करने में भी इससे मदद मिल सकती है. 

डिजिटल नवाचार

पिछले एक दशक में हर साल प्राकृतिक आपदाओं के कारण लगभग सात लाख बाँग्लादेशी लोग विस्थापित हुए हैं.

क़रीब चार लाख विस्थापित जन हर साल राजधानी ढाका पहुँचते हैं, जबकि अन्य लोग विदेश में अवसरों की तलाश करते हैं - बाँग्लादेश की श्रम शक्ति का दसवाँ हिस्सा यानि लगभग 10 प्रतिशत लोग, अन्य देशों में कार्यरत हैं.

यूएनडीपी ने घरेलू विस्थापितों या अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पलायन करने वाले बांग्लादेशी लोगों की मदद के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका प्रदान करने के लिये डिजिटल तकनीक का उपयोग करने वाला एक सरकारी कार्यक्रम ‘ऐस्पायर टू इनोवेट’ (A2I) चलाया है.

'ए2आई' कार्यक्रम के तहत एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है, जिससे प्रवासी श्रमिकों, जबरन विस्थापित लोगों और मेज़बान समुदायों को ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से, अपने कौशल का निर्माण करने और रोज़गार के अवसरों से जोड़कर बेहतर काम पाने की सम्भावनाएँ पैदा की जा सकें.

इस मंच के ज़रिये विदेशों में भी प्रवासी श्रमिकों को मदद मिलती है. कुल छह प्रवासी डिजिटल केन्द्र हैं, जिनमें से तीन सऊदी अरब में हैं, जहाँ लगभग एक-तिहाई बाँग्लादेशी प्रवासी कामकाज के लिये जाते हैं.

एक अन्य 'ए2आई' परियोजना बाँग्लादेश के शिविरों में रहने वाले रोहिंज्या लोगों और स्थानीय मेज़बान समुदायों की फ़ैशन लाइन विकसित करने और उन्हें अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार से जोड़ने के लिये आवश्यक ऑनलाइन उपकरण प्रदान करती है.

बांग्लादेश के एक शिविर में रहने वाली एक रोहिंज्या महिला, शरीफ़ा, व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, एक बड़े ई-कॉमर्स नैटवर्क के माध्यम से अपने हस्तशिल्प उत्पादों को वितरित करके अच्छी आय अर्जित कर रही हैं.

बांग्लादेश में 'ए2आई' की सफलता ने यूएनडीपी को अन्य देशों के साथ शिक्षा, मॉडल और कार्यप्रणाली को साझा करके, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इस मॉडल का विस्तार करने के लिये प्रेरित किया है.

इसमें पहले ही तुर्की में सीरियाई शरणार्थियों के लिये ज़रूरी बदलाव किये गए हैं, और यूएनडीपी की नज़र इस बात पर है कि इसका उपयोग जॉर्डन में सीरियाई शरणार्थियों के लिये और कोलम्बिया में वेनेज़ुएला के शरणार्थियों के लिये किस तरह किया जा सकता है.

तुर्की में, सीरियाई शरणार्थी और कुशल वेब डेवलपर, फ़ैसल 'ए2आई' के माध्यम से अन्य सीरियाई लोगों को ऑनलाइन व्यापार से सम्बन्धित सलाह प्रदान कर रहे हैं,.

मानव गतिशीलता का भविष्य

'ग्लोबल फ़ोरम ऑन माइग्रेशन एण्ड डेवलपमेंट' (GFMD) प्रवासन और इसकी विकास क्षमता पर बहस को आकार देने के लिये, हर साल, सरकारों को एक मंच पर लाने का अवसर है.  

इस वर्ष की यह शिखर बैठक 18-26 जनवरी को आयोजित हुई जिसमें मानव गतिशीलता के भविष्य पर चर्चा हुई, और कार्यसूची में नई प्रौद्योगिकियों को काफ़ी महत्व दिया गया है.

महामारी ने प्रवासियों को उनकी आजीविका बनाए रखने में सक्षम डिजिटल उपकरणों के महत्व को रेखांकित किया है.

वर्ष 2019 में यूएनडीपी की रिपोर्ट, 'माइग्रेण्ट यूनियन: डिजिटल लाइवलीहुड्स फॉर द पीपल ऑन द मूव’, उपलब्ध डिजिटल औज़ारों और सेवाओं के बीच दूरी व प्रवासियों की आवश्यकताएँ एवं व्यवहार नियन्त्रित करने वाली नीतियों की पहचान करती है.

अवसर पैदा करने के लिये साझेदारी बेहद महत्वपूर्ण हैं. निजी क्षेत्र, जहाँ यह डिजिटल औज़ार और बाज़ार स्थित हैं व प्रवासी कौशल की माँग, बड़े पैमाने पर समावेशिता हासिल करने के लिये महत्वपूर्ण हैं.

यूएनडीपी, सरकारों और प्रौद्योगिकी समुदाय को अवसर बढ़ाने के लिये साझेदारी करने में सहयोग देने के लिये तैयार है, ताकि प्रवासियों को डिजिटल क्रान्ति में पीछे न छोड़ दिया जाए.

हम GFMD के नीति-निर्धारकों से आग्रह करते हैं कि वे एक महत्वाकाँक्षी एजेण्डा तय करें ताकि सभी कौशल स्तरों के प्रवासी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके विकास में अपना योगदान बढ़ा सकें.