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पेरिस समझौते में अमेरिका की वापसी का स्वागत

अमेरिका के पूर्व विदेश मन्त्री जॉन कैरी अपनी पोती के साथ वर्ष 2016 में पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए.
UN Photo/Amanda Voisard
अमेरिका के पूर्व विदेश मन्त्री जॉन कैरी अपनी पोती के साथ वर्ष 2016 में पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए.

पेरिस समझौते में अमेरिका की वापसी का स्वागत

जलवायु और पर्यावरण

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार, 20 जनवरी, को शपथ ग्रहण समारोह के तुरन्त बाद, पेरिस जलवायु समझौते में फिर शामिल होने की घोषणा की है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने राष्ट्रपति बाइडेन की इस घोषणा का स्वागत किया है और वैश्विक जलवायु कार्रवाई की रफ़्तार को आगे बढ़ाने के लिये, नए नेतृत्व के साथ काम करने की उत्सुकता ज़ाहिर की है.

राष्ट्रपति बाइडेन ने शपथ ग्रहण समारोह के कुछ ही घण्टों के बाद, इस आशय का एक कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिसके ज़रिये, पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प द्वारा वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से पीछे हटने के फ़ैसले को पलट दिया गया है. 

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पेरिस समझौते में वैश्विक तापमान में बढोत्तरी को रोकने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में कटौती का महत्वाकाँक्षी लक्ष्य रखा गया है. 

यूएन प्रमुख ने कहा, “मैं जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते और जलवायु संकट से निपटने के लिये महत्वाकाँक्षी कार्रवाई हेतु सरकारों, शहरों, प्रान्तों, व्यवसायों और लोगों के बढ़ते गठबन्धन में फिर शामिल होने के लिये, राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा उठाए गये क़दमों का गर्मजोशी से स्वागत करता हूँ.”

अमेरिका उन 194 देशों में शामिल रहा है जिन्होंने दिसम्बर 2015 में समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. 

तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के बाद राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रम्प ने तीन वर्ष पहले इस समझौते से, क़दम वापिस लेने की घोषणा की थी. 

यह निर्णय नवम्बर 2020 में लागू हुआ था. 

कार्बन तटस्थता का लम्बा सफ़र

पेरिस समझौते में देशों से अपेक्षा की गई है कि राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं के ज़रिये महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा. 

महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि दिसम्बर 2020 में एक शिखर वार्ता के बाद वैश्विक स्तर पर कुल मिलाकर 50 प्रतिशत कार्बन प्रदूषण के लिये ज़िम्मेदार देशों ने कार्बन तटस्थता (नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का संकल्प लिया है. 

“आज राष्ट्रपति बाइडेन का संकल्प इस आँकड़े को दो-तिहाई तक ले आया है. लेकिन अभी एक लम्बा रास्ता तय करना बाक़ी है.”

“जलवायु संकट का बदतर होना जारी है, और तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सिय तक सीमित करने और सबसे निर्बलों की रक्षा के लिये, मददगार और ज़्यादा जलवायु सहनशील समाजों के निर्माण का समय निकला जा रहा है.” 

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यूएन प्रमुख ने नए अमेरिकी राष्ट्रपति और अन्य विश्व नेताओं के साथ जलवायु संकट को हल करने और कोविड-19 से पुनर्बहाली के लिये मिलकर काम करने के संकल्प को रेखांकित किया है.

शरणार्थियों पर संकल्प की सराहना

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैण्डी ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति को पदभार सम्भालने पर बधाई देते हुए, शरणार्थियों के लिये वैश्विक समर्थन को मज़बूत बनाने के लिये, साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन लम्बे समय से शरणार्थियों के एक मज़बूत पैरोकार रहे हैं और उन्होंने अमेरिका में शरणार्थियों के पुनर्वास कार्यक्रम को बहाल करने के सम्बन्ध में अहम संकल्प लिये हैं. 

इससे अमेरिकी शरण प्रणाली के केन्द्र में मानवाधिकार व मानवीय मूल्य सुनिश्चित किये जा सकेंगे. 

ग़ौरतलब है कि ट्रम्प सरकार ने पुनर्वास कार्यक्रम के तहत स्वीकृत शरणार्थियों की संख्या में भारी कटौती की थी और आप्रवासन के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अपनाते हुए, मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों की अमेरिका यात्रा पर पाबन्दियाँ भी लगाई थी. 

राष्ट्रपति बाइडेन ने ट्रम्प सरकार से पहले की व्यवस्था को बहाल करने के संकेत दिये हैं. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भी कहा है कि वह प्रवासियों व शरणार्थियों को समर्थन देने के उद्देश्य से अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिये तत्पर हैं.

साथ ही उन्होंने सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन पर समझौते - 'ग्लोबल कॉम्पैक्ट' में, अमेरिका के शामिल होने की भी आशा व्यक्त की है.