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'यूएन और अरब लीग के बीच सहयोग अति महत्वपूर्ण'

संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डी कार्लो, सोमालिया की राजधानी मोगादीशू में, अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गार्ड ऑफ़ ऑनर का निरीक्षण करते हुए.
UNSOM/Ilyas Ahmed
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डी कार्लो, सोमालिया की राजधानी मोगादीशू में, अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गार्ड ऑफ़ ऑनर का निरीक्षण करते हुए.

'यूएन और अरब लीग के बीच सहयोग अति महत्वपूर्ण'

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डी कार्लो ने कहा है कि सीरिया में जारी युद्ध का हल निकालने, इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच दो राष्ट्रों की स्थापना का समाधान निकालने और अन्य चुनौतियों का सामना करने के मुद्दों पर, संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग के बीच सहयोग, बहुत महत्वपूर्ण रहा है.

संयुक्त राष्ट्र की अवर महासचिव रोज़मैरी डी कार्लो ने सोमवार को, सुरक्षा परिषद की एक वर्चुअल बैठक में कहा कि क्षेत्रीय संस्थाओं के साथ सम्पर्क और तालमेल बिठाए रखना संयुक्त राष्ट्र की प्राथमिकताओं में है. 

इनमें रोकथाम कूटनीति, आतंकवाद का मुक़ाबला, शान्ति निर्माण और अब कोविड-19 से निपटने की कार्रवाई, जैसे क्षेत्र शामिल हैं.

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उन्होंने कहा, “महामारी फैलने के शुरुआती दिनों में, अरब लीग के महासचिव अहमद अबूल ग़ेइत और यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एक वैश्विक युद्धविराम लागू किया जाने की पुकार लगाई थी ताकि मानवीय सहायता की आपूर्ति आसान बनाने के साथ-साथ कूटनीति के लिये एक मुक्त स्थान उपलब्ध हो सके. तब से लेकर, अरब लीग और संयुक्त राष्ट्र दोनों ही, इस पुकार को वास्तविकता में तब्दील करने के लिये काम करते रहे हैं.”

खाड़ी तनाव जारी

रोज़मैरी डी कार्लो ने कहा कि बीता दशक, अरब क्षेत्र के लिये बहुत उथल-पुथल वाला रहा है. लीबिया, सीरिया, यमन में लड़ाई; मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया में गतिरोध, और अरब लीग के सदस्य देशों के बीच विभाजन, की स्थितियों ने स्थिरता और विकास पर प्रभाव डाला है.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, उसके विशेष दूतों और प्रतिनिधियों, और अरब लीग के बीच निकट सहयोग, अरब दुनिया में विभिन्न स्थितियों का हल निकालने के प्रयासों को आगे बढ़ाने में अति महत्वपूर्ण रहा है.

रोज़मैरी डी कार्लो ने दो संगठनों के बीच सम्बन्धों का ख़ाका पेश करते हुए कुछ उदाहरण भी दिये.

इनमें लीबिया में युद्धविराम लागू करने, और सीरिया व यमन में जारी लड़ाई के राजनैतिक समाधान निकालने के यूएन प्रयासों को अरब लीग द्वारा समर्थन दिया जाना भी शामिल है. ध्यान रहे कि सीरिया और यमन में लाखों लोग अकाल के हालात के निकट पहुँच चुके हैं.

उन्होंने कहा, “हमारे प्रयासों के बावजूद, फ़ारस की खाड़ी क्षेत्र में, बढ़े हुए तनाव अब भी बरक़रार हैं.”

अवर महासचिव रोज़मैर डी कार्लो ने कहा, “महासचिव सभी पक्षों द्वारा संयम बनाए रखने की पुकार दोहराते रहे हैं और इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि ऐसी किसी भी गतिविधि या भड़काऊ बयानों से बचें जिनसे तनावों को बढ़ावा मिल सकता हो."

"हम, क्षेत्र में, और उसके दायरों से भी बाहर, सभी से, आग्रह करते हैं कि अपनी-अपनी सुरक्षा चिन्ताओं का हल निकालने के लिये सम्वाद का सहारा लें. संयुक्त राष्ट्र इस तरह के उपायों को समर्थन देने के लिये सदैव तत्पर है.”

नई अमेरिकी सरकार

अरब लीग के महासचिव अहमद अबूल ग़ेयित ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए बताया कि क्षेत्र में, किस तरह से महामारी और पहले से जारी संघर्षों व संकटों ने, एक बेहद ख़तरनाक स्थिति उत्पन्न कर दी है, जिनसे क्षेत्र में भारी तबाही हुई है.

अरब लीग के महासचिव अहमद अबूल ग़ेयत, संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग के बीच सहयोग के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
अरब लीग के महासचिव अहमद अबूल ग़ेयत, संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग के बीच सहयोग के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.

उन्होंने मध्य पूर्व में स्थिति का ज़िक्र करते हुए, परिषद को बताया कि इसराइल व फ़लस्तीनियों के बीच दो राष्ट्रों के रूप में समाधान, अभूतपूर्व रूप में असम्भव नज़र आ रहा है और इस मुद्दे पर फिर से ग़ौर किये जाने की आवश्यकता है.

उन्होंने दुभाषिये की मदद से अपनी बात रखते हुए कहा कि अमेरिका में नई सरकार के आने से वो इस बात के लिये आशावान हैं कि अलाभकारी नीतियों व प्रक्रियाओं को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा और प्रभावशील क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय पक्षों के समर्थन से, सार्थक राजनैतिक प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाया जाएगा. 

उन्होंने कहा, “ऐसा किये जाने से, फ़लस्तीनी लोगों को फिर से ये उम्मीद मिलेगी कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय आत्म-निर्णय और आज़ादी हासिल करने की उनकी वाजिब आकाँक्षाओं की हिमायत में, उनके साथ खड़ा है.”

हस्तक्षेप के विरुद्ध

अरब लीग प्रमुख ने ऐसे हस्तक्षेप के विरुद्ध भी बात कही जिसके कारण क्षेत्र में अस्थिरता उत्पन्न हुई है और ऐसे समुद्री मार्ग प्रभावित हुए हैं जो वैश्विक व्यापार के लिये अति महत्वपूर्ण हैं. ऐसे हस्तक्षेपों से संघर्षों को भी बढ़ावा मिला है.

उन्होंने कहा, “सीरिया में, साफ़ दिखाई देने वाला, पाँच देशों का सैन्य दख़ल जारी है. इस तरह की सैन्य और सुरक्षा स्थिति से ना केवल एक राजनैतिक समाधान की सम्भावनाएँ धूमिल होती हैं, बल्कि इसके अति महत्वपूर्ण मानवीय परिणाम भी होते हैं जो उतने ही गम्भीर हैं.”

उन्होंने यमन में भी समान रूप से गम्भीर हालात के बारे में आगाह करते हुए कहा कि वहाँ सरकारी सेनाओं और हूती विद्रोहियों के बीच अनेक वर्षों से जारी लड़ाई ने मानवीय आपदा की परिस्थितियाँ बना दी हैं.

अहमद अबूल ग़ेयित ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स के प्रयासों की बदौलत एक संयुक्त घोषणा-पत्र सम्भव हो सका है जिसके ज़रिये युद्धविराम लागू करने और आपसी विश्वास बहाल करने के उपाय किये जा रहे हैं. इसलिये मार्टिन ग्रिफ़िथ्स की मदद करना अहम था.