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कोविड-19: वैक्सीन टीका वितरण में 'विनाशकारी नैतिक विफलता' की चेतावनी

भारत में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 से बचाव का टीका लगाया जा रहा है.
© UNICEF/Vinay Panjwani
भारत में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 से बचाव का टीका लगाया जा रहा है.

कोविड-19: वैक्सीन टीका वितरण में 'विनाशकारी नैतिक विफलता' की चेतावनी

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि कुछ देशों में कोविड-19 वैक्सीन को पहले केवल अपने जनसमूहों को दिये जाने की प्रवृत्ति से इन जीवनदायी उपचारों की न्यायसंगत सुलभता पर जोखिम खड़ा हो गया है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख घेबरेयेसस ने सोमवार को कार्यकारी बोर्ड को सम्बोधित करते हुए कहा कि वैक्सीन टीकों से आशा का संचार हुआ है, लेकिन ये स्थिति, दुनिया में साधन-सम्पन्न और वंचितों के बीच मौजूद विषमता की दीवार में एक और ईंट बन गया है. 

अब तक लगभग 50 धनी देशों में तीन करोड़ 90 लाख टीके लगाए गए हैं, जबकि एक निम्नतम आय वाले देश में अब तक केवल 25 टीके ही दिये जा सके हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक ने कहा कि कोविड-19 के दौरान टीकों का तेज़ी से विकसित होना बेहद मददगार है लेकिन यह असमानताओं का भी परिचायक है.

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“मैं बिना लागलपेट के कहना चाहता हूँ कि दुनिया एक विनाशकारी नैतिक विफलता के कगार पर है – और इस विफलता की क़ीमत दुनिया के निर्धनतम देशों में ज़िन्दगियों और आजीविकाओं से चुकाई जाएगी.”

सभी देशों में कोविड-19 वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करना, वैश्विक व्यवस्था ‘COVAX Facility’ का लक्ष्य है जो अप्रैल 2020 में शुरू की गई थी. 

इसके तहत अब तक दो अरब खुराकों की बात तय हो चुकी है जबकि एक अरब खुराकों के इन्तज़ाम पर बातचीत चल रही है और इनका वितरण अगले महीने से शुरू होने की उम्मीद है.

“न्यायसंगत सुलभता की भाषा बोलते हुए भी कुछ देश व कम्पनियाँ COVAX से हटते हुए द्विपक्षीय समझौतों को प्राथमिकता देने में लगे हैं, जिससे क़ीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है और कतार तोड़ कर आगे आने की कोशिश हो रही है. यह ग़लत है.”

इसके अलावा, बहुत से विनिर्माताओं के पास धनी देशों में प्राथमिकता के तौर पर नियामक मंज़ूरी है जहाँ मुनाफ़ा ज़्यादा है.

“इससे COVAX वितरण में देरी होगी और उसी तरह का परिदृश्य उभर सकता है जिसे टालने के लिये COVAX पहल शुरू की गई है.”

स्वास्थ्य एजेंसी को आशंका है कि इससे बाज़ार में अफ़रा-तफ़री मचेगी, समन्वित जवाई कार्रवाई का अभाव होगा और सामाजिक व आर्थिक व्यवधान आगे भी जारी रहेंगे.

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि पहले अपने देश को प्राथमिकता देने और दुनिया के निर्धनतम और वंचितों को नज़रअन्दाज़ करने की प्रवृत्ति आत्मघाती है. 

हालात बदलने पर ज़ोर

यूएन एजेंसी महानिदेशक ने कहा है कि वैक्सीन के न्यायसंगत वितरण में आर्थिक फ़ायदे भी हैं. साथ ही उन्होंने 2021 के शुरुआती 100 दिनों में सभी स्वास्थ्यकर्मियों और बुज़ुर्गों सहित जोखिम झेल रहे लोगों को टीके लगाए जाने को प्राथमिकता देने की पुकार लगाई है. 

उन्होंने पारदर्शिता की अहमियत पर बल देते हुए कहा कि वैक्सीन की क़तार में COVAX को प्राथमिकता दी जानी होगी और द्विपक्षीय समझौतों में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी. 

टीका विनिर्माताओं को नियामक समीक्षा के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी उपलब्ध करानी होगी और वही वैक्सीनें लगानी होंगी जो अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों पर खरी उतरती हों. 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने इच्छा व्यक्त की है कि 7 अप्रैल 2021 तक सभी सदस्य देशों में टीकाकरण कार्यक्रमों की शुरुआत हो जानी चाहिये ताकि महामारी के साथ-साथ विषमताओं से निपटने में भी कामयाबी मिल सके.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने फिर आगाह किया है कि कोविड-19 वैक्सीन को सर्वजन के लिये हर एक स्थान पर, वैश्विक कल्याण के रूप में उपलब्ध कराया जाना होगा. 

उन्होंने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वायरस को हराने के लिये दवाओं व निदानों की अहमियत को रेखांकित किया है. 

साथ ही उन्होंने दोहराया है कि कोविड-19 से पुनर्बहाली, दुनिया के लिये अपना रास्ता बदलने का एक अवसर है, जहाँ अतीत की विषमताओं व अन्यायों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ा जाए. 

इस सम्बन्ध में उन्होंने विकसित देशों और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा ज़्यादा समर्थन प्रदान किये जाने का आहवान किया है.