आतंकवाद का ख़तरा वास्तविक, निरन्तर सतर्कता बरते जाने पर बल

आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में पिछले दो दशकों में अहम प्रगति हुई है, इसके बावजूद आतंकवाद निरोधक प्रयासों में ज़रा भी ढिलाई बरते जाने का ख़तरा मोल नहीं लिया जा सकता. संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद निरोधक विभाग के प्रमुख व्लादीमीर वोरोन्कोफ़ ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद की एक वर्चुअल बैठक को सम्बोधित करते हुए आतंकवाद से मुक़ाबले में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की अहमियत पर बल दिया है.
आतंकवाद निरोधक मामलों के प्रमुख व्लादीमीर वोरोन्कोफ़ ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा, “आतंकवादी गतिविधियाँ दर्शाती हैं कि हमें बेहद सतर्क रहने की ज़रूरत है.”
“ख़तरा वास्तविक है और अनेक देशों के लिये प्रत्यक्ष तौर पर है.”
At #UNSC HL debate (VTC) on Int'l cooperation in combating #terrorism 20 years after SCR 1373(2001), ASG Coninsx, ED @UN_CTED said in adopting SCR 1373 (2001), the Council also established the Counter-Terrorism Committee to monitor States’ implementation of its provisions. #CTC pic.twitter.com/1RzVgcSEUh
UN_CTED
उन्होंने चेतावनी जारी की है कि कोविड-19 महामारी ने आतंकवाद विरोधी कार्रवाई की ज़रूरत को रेखांकित किया है.
'आतंकवादी गुट मौजूदा संकटों का फ़ायदा नई टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल और संगठित आपराधिक गुटों से सम्बन्धों को बढ़ाने में करते हैं. आतंकवादियों ने कोविड-19 के कारण आए व्यवधान का फ़ायदा उठाने की कोशिश की है.”
“महामारी के कारण ध्रुवीकरण और हेट स्पीच में आये उभार पर सवार होते हुए उन्होंने विकास और मानवाधिकार एजेण्डा में मिली विफलताओं का लाभ उठाना चाहा है.”
उन्होंने कहा कि कम ख़र्चीले, कम तकनीक के साथ अकेले हमलों को अंजाम देने वाले आतंकी आसान लक्ष्यों को निशाना बना रहे हैं और इस ख़तरे की रोकथाम करना अब और भी कठिन हो गया है.
पिछले 20 वर्षों में आतंकवाद से मुक़ाबले में वैश्विक सहयोग की समीक्षा के लिये सुरक्षा परिषद ने मन्त्रिस्तरीय वार्ता का आयोजन किया है.
अमेरिका में 11 सितम्बर को आतंकवादी हमलों के बाद सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों द्वारा सर्वमत से एक प्रस्ताव पारित किया गया था.
प्रस्ताव 1373 में आतंकवादी कृत्यों के लिये वित्तीय मदद मुहैया कराये जाने को अपराध घोषित करना, सदस्य देशों द्वारा आपस में सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिये जाने के अलावा अन्य उपायों पर ज़ोर दिया गया था.
सुरक्षा परिषद ने इस सम्बन्ध में प्रगति की निगरानी के लिये एक आतंकवाद-निरोधक समिति को भी स्थापित किया था.
इस समिति को सहायता प्रदान करने वाले एक विशेष राजनैतिक मिशन (CTED) की कार्यकारी निदेशक मिशेल कॉनिक्स ने बताया कि पिछले सालों में आतंकवाद के ख़तरों में किस तरह बदलाव आया है.
इस दौरान इराक़ और सीरिया में इस्लामिक स्टेट (दाएश) का भी तेज़ी से उभार देखने को मिला लेकिन फिर आतंकी गुट के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों से उन्हें खदेड़ दिया गया.
उन्होंने कहा कि पीड़ित और जीवित बचे लोग न्याय पाना चाहते हैं और बहुत से देश उन विदेशी आतंकी लड़ाकों की समस्या से निपटना चाहते हैं जोकि इस गुट से सम्बन्धित रहे थे.
इसलिये इस गुट की विनाशकारी विरासत आने वाली दिनों में भी वैश्विक एजेण्डा पर क़ायम रहेगी.
दाएश से जुड़े संगठन एशिया और अफ़्रीका के अन्य देशों में भी उभरे हैं.
साथ ही कार्यकारी निदेशक ने अति दक्षिणपंथी, नस्लीय व जातीय कारणों से प्रेरित आतंकवाद को चिन्ता का गम्भीर विषय बताया है.
उन्होंने कहा कि आतंकवादी गुटों द्वारा इण्टरनेट और अन्य वर्चुअल माध्यमों का इस्तेमाल नए लोगों की भर्ती करने, वित्तीय इन्तज़ाम करने और योजना बनाने में किया जा रहा है जिससे निपटना एक प्राथमिकता है.
आतंकवाद निरोधक विभाग के प्रमुख व्लादीमीर वोरोन्कोफ़ ने ज़ोर देकर कहा है कि नागरिक समाज, युवाओं, व्यावसायिक सैक्टर और वैज्ञानिक समुदाय के साथ बेहतर सम्पर्क स्थापित किये जाने की ज़रूरत है.
इसके समानान्तर उन्होंने आतंकवाद के ख़िलाफ़ अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और उसके विस्तार को हवा देने वाली बुनियादी वजहों के निवारण की भी बात कही है.