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हिंसक संघर्ष और नाज़ुक हालात से निपटने में सुरक्षा परिषद की 'अहम भूमिका'

सोमालिया में बाढ़ और हिंसक संघर्ष की वजह से हज़ारों लोगों का विस्थापन जारी है.
UN Photo / Tobin Jones
सोमालिया में बाढ़ और हिंसक संघर्ष की वजह से हज़ारों लोगों का विस्थापन जारी है.

हिंसक संघर्ष और नाज़ुक हालात से निपटने में सुरक्षा परिषद की 'अहम भूमिका'

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने हिंसक संघर्ष और नाज़ुक हालात के बीच नज़दीकी सम्बन्ध और उनकी बुनियादी वजहों को दूर करने में सुरक्षा परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है. महासचिव गुटेरेश ने बुधवार को सुरक्षा परिषद की एक उच्चस्तरीय वर्चुअल चर्चा को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया भर में टिकाऊ विकास को हासिल करने में ये दो बड़े अवरोध हैं.

 सुरक्षा परिषद में हुई इस वर्चुअल चर्चा का उद्देश्य नाज़ुक हाला का सामना कर रहे और हिंसक संघर्ष से ग्रस्त देशों में शान्ति व सुरक्षा स्थापित करने के मार्ग में पेश आने वाली चुनौतियों का आकलन करना था. 

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उन्होंने कहा कि रोकथाम के लिये जल्द कार्रवाई करने, रणनीतिक रूप से हिंसक संघर्ष के बुनियादी कारणों को दूर करने और एक स्वर में बोलने से सुरक्षा परिषद अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से राजनैतिक और वित्तीय समर्थन की लामबन्दी कर सकती है.

साथ ही ज़रूरतों के अहम क्षेत्रों पर ध्यान आकृष्ट करने और हिंसक संघर्ष में शामिल पक्षों की ओर से संकल्प प्रोत्साहित भी किया जा सकता है.

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि ग़रीबी और हिंसक संघर्ष के कुचक्र को तोड़ने के लिये शान्ति और टिकाऊ विकास की एक दूसरे पर निर्भरता की शिनाख़्त आवश्यक है. इसके समानान्तर समावेशन को भी बढ़ावा दिया जाना होगा.   

“समान अवसरों, संरक्षा, संसाधनों व सेवाओं की सुलभता और निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी की गारण्टी महज़ नैतिक और क़ानूनी दायित्व नहीं है.”

“अगर देशों को हिंसक संघर्ष के चंगुल से वास्तव में बाहर निकलना है तो ये उसकी अनिवार्य शर्तें हैं.”

सहेल क्षेत्र से अपील

हिंसक संघर्ष और नाज़ुक हालात में नज़दीकी सम्बन्ध विशेष रूप से अफ़्रीका में हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका और सहेल क्षेत्र में दिखाई देता है. जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, पारदेशीय संगठित अपराध और सशस्त्र गुटों के प्रसार से हालात और बदतर हुए हैं. 

पिछले शनिवार को बन्दूकधारियों ने पश्चिमी निजेर में 100 से ज़्यादा गाँववासियों की हत्या कर दी थी जिसकी संयुक्त राष्ट्र ने कड़ी निन्दा है.

निजेर के राष्ट्रपति महमदू इसोफ़ू ने भी बुधवार को हुई इस वर्चुअल बैठक में शिरकत की. 

उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को सहेल और लेक चाड बेसिन क्षेत्र में स्थित देशों को मदद के लिये संगठित प्रयास करने होंगे ताकि उन्हें नाज़ुक परिस्थितियों से बाहर निकाला जा सके. 

इन हिंसक संघर्षों का ख़ामियाज़ा महिलाओं व बच्चों को ज़्यादा भुगतना पड़ता है. राष्ट्रपति इसोफ़ू ने उम्मीद जताई है कि सुरक्षा परिषद के एजेण्डा में इन क्षेत्रों का उल्लेख प्रमुखता से किया जायेगा.

अफ़्रीकी संघ का समर्थन

संयुक्त राष्ट्र अफ़्रीकी संघ और क्षेत्रीय निकायों के साथ मिलकर हिंसक संघर्षों की रोकथाम करने, उनके निपटारे और देशों को सुदृढ़ बनाने के लिये प्रयासरत है. 

लेकिन महासचिव गुटेरेश ने स्पष्ट किया है कि शान्ति के लिये अफ़्रीकी संघ के अभियानों हेतु सतत वित्तीय संसाधन प्रदान किये जाने की ज़रूरत है. 

यूएन प्रमुख ने बताया कि एक महीने पहले उन्होंने चौथे यूएन-एयू वार्षिक सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की थी. 

यह बैठक बन्दूकों को शान्त करने के लिये अफ़्रीकी संघ की पहल ‘Silencing the Guns’ को समर्थन प्रदान करने का अवसर था जिसका लक्ष्य अफ़्रीकी महाद्वीप पर हिंसक संघर्षों के बुनियादी कारणों को दूर करना है. 

महासचिव ने कहा कि वैश्विक युद्धविराम के लिये उनकी अपील इसी अहम पहल के समानान्तर है.

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया है कि सभी पक्षों को हिंसा से पीछे हटकर कोविड-19 रूपी साझा दुश्मन के ख़िलाफ़ लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करना होगा.