अफ़ग़ानिस्तान: दोहा में शान्ति वार्ता के लिये प्रतिनिधियों की वापसी का स्वागत

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) ने क़तर की राजधानी दोहा में अफ़ग़ान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत को फिर शुरू करने के लिये शान्ति वार्ताकारों के लौटने का स्वागत किया है. यूएन मिशन ने अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा पर विराम लगाने और स्थायी शान्ति के लिये परिस्थितियों के निर्माण के लिये दोनों पक्षों के बीच बातचीत में प्रगति की उम्मीद जताई है.
सितम्बर 2020 में अफ़ग़ान सरकार और तालिबान के बीच ऐतिहासिक पहले दौर की वार्ता की शुरुआत हुई जो लगभग तीन महीने तक चली.
बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने आपसी सहयोग का परिचय दिया है जिसमें धीमी रफ़्तार से लेकिन ठोस प्रगति होती नज़र आई है.
वार्ताकारों ने भावी बातचीत के लिये एक आचार संहिता पर सहमति बनाई और वार्ता के एजेण्डे के मसौदे का भी आदान-प्रदान हुआ.
इसके बाद अपने नेतृत्व और समर्थकों से सलाह-मशविरे के लिये 20 दिन का अवकाश लिये जाने पर सहमति बनी जिसके उपरान्त अब फिर से बातचीत को आगे बढ़ाया जायेगा.
देश में दशकों से चले आ रहे हिंसक संघर्ष का अन्त करने और स्थायी शान्ति स्थापित करने के लिये बातचीत बेहद अहम है.
वार्ता में हिस्सा ले रहे प्रतिनिधियों के सामने बड़ी चुनौतियाँ दरपेश हैं और इस दिशा में प्रगति के लिये अभी बहुत कुछ हासिल किया जाना बाक़ी है.
अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा अब भी बदस्तूर जारी है जिससे शान्ति की उम्मीदों के लिये ख़तरा बरक़रार है.
अफ़ग़ानिस्तान के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि डेबराह लियोन्स ने दोनों पक्षों से हिंसा कम करने की दिशा में आगे क़दम बढ़ने का आहवान किया है.
“मैं दोनों पक्षों से आग्रह करती हूँ कि इस अवसर का इस्तेमाल आगे बढ़कर हिंसा घटाने की परिस्थितियों के निर्माण के लिये किया जाये जिससे और अफ़ग़ान नागरिकों की जान ना जाये और एक ऐसे राजनैतिक समझौते पर पहुँचा जाये जोकि अफ़ग़ान समाज के हर तबके के लिये स्वीकार्य हो.”
“हिंसा पर विराम लगने से बातचीत के लिये एक बेहतर माहौल तैयार होगा, लोगों की उम्मीदों को बल मिलेगा और मानवीय राहतकर्मियों को पूरे देश में सर्दी के मौसम में ज़रूरी सहायता पहुँचाना सम्भव हो सकेगा.”
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि शान्ति वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के साथ नज़दीकी सम्पर्क जारी रखा जायेगा.
इससे पहले सितम्बर 2020 में बातचीत की शुरुआत होने पर महासचिव गुटेरेश ने हरसम्भव मदद प्रदान करने का आश्वासन दिया था.