'ब्लैकवॉटर गार्डों को आम माफ़ी दिया जाना, न्याय का अपमान'
संयुक्त राष्ट्र के पाँच स्वतन्त्र मानवाधिकर विशेषज्ञों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प द्वारा उन चार निजी सुरक्षा गार्डों को आम माफ़ी दिये जाने के फ़ैसले की निन्दा की है जिन्हें इराक़ की राजधानी बग़दाद में, वर्ष 2007 में, एक चौराहे पर अन्धाधुन्ध गोलियाँ चलाकर अनेक आम निहत्थे लोगों की हत्याओं के आरोप में, वर्ष 2015 में युद्धापराधों का दोषी पाया गया था.
अमेरिका की एक निजी सुरक्षा गार्ड कम्पनी – ब्लैकवॉटर वर्ल्टवाइड के चार गार्डों पर, वर्ष 2007 में, इराक़ की राजधानी बग़दाद के निसौर चौक पर अन्धाधुन्ध गोलियाँ चलाए जाने के आरोप में मुक़दमा चलाया गया था, जिसमें उन्हें अनेक आपराधिक कृत्यों का दोषी यानि मुजरिम क़रार दिया गया था.
#Blackwater: The pardons granted to four convicted private security contractors for war crimes in #Iraq violate #US obligations under international law, UN experts say. They call on all States parties to the Geneva Conventions to condemn the pardons 👉 https://t.co/N37RIKLkO5 pic.twitter.com/Kh771RZQDN
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इन गार्डों द्वारा निसौर चौक पर गोलियाँ चलाए जाने से 14 आम निहत्थे लोगों की मौत हो गई थी और 17 अन्य घायल हुए थे.
निजी हथियारबन्द लड़ाकों के इस्तेमाल मुद्दे पर मानवाधिकार विशेषज्ञों के समूह की अध्यक्षा जेलेना अपारेक ने कहा, “ब्लैकवॉटर के गार्डों को आम माफ़ी देना, न्याय का, और निसौर चौक हत्याकाँड के पीड़ितों और उनके परिवारों का अपमान है.”
मानवीय क़ानून की अनदेखी
इन विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि जिनीवा कन्वेन्शन के तहत, युद्धापराधियों की जवाबदेही निर्धारित करना, देशों की ज़िम्मनेदारी है, यहाँ तक कि वो अगर निजी सुरक्षा गार्डों या ठेकेदारों के रूप में भी काम करें, तब भी.
उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि इन चार ब्लैकवॉटर सुरक्षा गार्डों पर बाक़ायदा क़ानून के तहत, न्यायालय में मुक़दमा चलाया गया और उनके अपराधों के लिये उन्हें दोषी पाया गया.
वर्ष 2015 में, अमरीकी न्यायालयों ने निकोलस स्लेटैन को प्रथम दर्जे की हत्या के अपराध का दोषी घोषित किया था. जबकि पॉल स्लाव, ईवॉन लिबर्टी और डस्टिन हर्ड को इरादतन मानव हत्या और हत्या का प्रयास करने का दोषी पाया गया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने 22 दिसम्बर 2020 को, इन चारों गार्डों को आम माफ़ी दे दी थी.
जेलेना अपारेक ने ज़ोर देकर कहा, “इस तरह की माफ़ी दिये जाने से, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में, अमेरिका की ज़िम्मेदारी का उल्लंघन होता है, और उससे भी ज़्यादा, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है.”
उन्होंने कहा, “इस तरह के अपराधों के लिये जवाबदेही सुनिश्चित करना, मानवता, और राष्ट्रों के समुदाय के लिये बहुत आवश्यक है.”
ख़तरनाक चलन
यूएन विशेषज्ञों ने युद्धापराधियों को आम माफ़ी दिया जाना या किसी अन्य तरीक़े से उन्हें अपराध से मुक्त करना, दरअसल भविष्य में भी मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिये दरवाज़े खोलता है, जब कोई भी देश आवश्यक सरकारी कामकाज के लिये, निजी सैन्य या सुरक्षा कम्पनियों को ठेके पर तैनात कर सकते हैं.
स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के इस समूह ने गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुए ये भी कहा कि निजी सुरक्षा गार्डों या ठेकेदारों को, संघर्षरत क्षेत्रों में, क़ानून से निडरता के माहौल में काम करने की अनुमति देकर, देशों को, मानवीय क़ानून के तहत अपनी ज़िम्मेदारियों से बचने का रास्ता तलाश करने का प्रोत्साहन मिलेगा.
इस चलन में, बहुत से देश अपने महत्वपूर्ण सैन्य अभियान चलाने की ज़िम्मेदारी निजी सैक्टर को देना शुरू कर देंगे.
विशेष रैपोर्टेयर मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. ये विशेषज्ञ, स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं; वो संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं, और ना ही, संयुक्त राष्ट्र से उन्हें कोई वेतन मिलता है. ये विशेषज्ञ किसी देश की सरकार या संगठन से स्वतन्त्र होते हैं, और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.