
वर्ष 2020: जिसे कोविड-19 ने बिल्कुल उलट-पलट कर दिया...
कोविड-19, वस्तुतः हर जगह है, और वर्ष 2020 के दौरान, इस महामारी का फैलाव और परिणामस्वरूप इसके प्रभावों ने एक असाधारण दायरे और विशालता वाला असाधारण वैश्विक संकट पैदा कर दिया है. वर्ष 2020 को अलविदा कहने के लिये, यहाँ प्रस्तुत है, महामारी के सन्दर्भ में, संयुक्त राष्ट्र के कामकाज और लोगों के जीवन में उसके महत्व की कुछ झलकियाँ. पिछले 12 महीनों के दौरान हुई प्रमुख घटनाओं पर एक नज़र...

वर्ष 2020 के विदा होने के समय, दुनिया भर में लोग ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारी दुनिया किस तरह बदल गई है, तमाम लोग क्रूर आँकड़ों और संख्याओं का सामना कर रहे हैं. कोविड-19 महामारी क प्रकोप से जिन लोगों को अपनी ज़िन्दगियाँ गँवानी पड़ी हैं, उनकी संख्या 20 लाख के आसपास पहुँच गई है.

इस वर्ष के शुरू में, अन्तरराष्ट्रीय यात्राएँ बुरी तरह बाधित हुई थीं, और थाईलैंड के इन यात्रियों की ही तरह, बहुत से लोगों को निजी बचाव उपकरओं (PPE) की अहमियत के बारे में मालूम हुआ. ये तीन अक्षर बहुत जल्द ही दुनिया भर में मशहूर हो गए.

बहुत जल्द ही, दुनिया भर में पीपीई की कमी के बारे में चिन्ताएँ उभरीं तो, संयुक्त राष्ट्र ने इन निजी बचाव के उपकरणों की ख़रीद और आपूर्ति में, अनेक देशों की मदद की. इन देशों में चीन भी शामिल ता, जहाँ कोरोनावारयस सबसे पहले उभरा.

जैसे-जैसे कोविड-19 ने अपना दायरा फैलाया, दुनिया भर के अनेक देशों और नगरों में तालबन्दियाँ और पाबन्दियाँ लगाई गईं, जिनके तहत स्कूल, सांस्कृतिक व खेलकूद स्थल और गतिविधियाँ बन्द करने पड़े, साथ ही, सभी ग़ैर-अनिवार्य कारोबार भी.

आमतौर पर, चमक-दमक से भरे शहरी केन्द्र रातों-रात सुनसान स्थानों में तब्दील हो गए, जैसेकि केनया की राजधानी नैरोबी का ये नज़ारा.

संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियाँ दुनिया भर में चलती रहीं, अलबत्ता, इसकी बहुत सी गतिविधियों का रूप कुछ बदला-बदला नज़र आया, जिनमें न्यूयॉर्क में यूएन महासभा का वार्षिक सत्र भी शामिल था. महासभागार में केवल गिने-चुने प्रतिनिधियों को ही दाख़िल होने की अनुमति मिली और तमाम विश्व नेताओं ने वर्चुअल और डिजिटल माध्यमों से अपने भाषण प्रस्तुत किये.

दुनिया भर में, लोगों को एक दूसरे से दूरियाँ बरतने के तरीक़े अपनाने में कुछ वक़्त लगा और इस नए सामाजिक चलन के बारे में लोगों की भिन्न-भिन्न राय रही...

...साथ ही, लोगों को कोरोनावायरस का संक्रमण फैलने से रोकने की एक सटीक तरीक़े के तौर पर, हाथों की सफ़ाई की अहमियत पर भी ख़ूब और बार-बार ज़ोर दिया गया.

ऐसे छात्र, जो स्कूल नहीं जा सके, उन्हें नई वास्तविकता के अनुरूप, अपनी शिक्षा और सीखने के नए-नए तरीक़े अपनाने पड़े.

अन्य देशों की तुलना में, अफ्रीका क्षेत्र के देशों में इस महामारी का कुछ कम असर हुआ है, मुख्य रूप से संक्रमण और मौतों के मामले में. फिर संयुक्त राष्ट्र ने चिन्ता जताते हुए ये भी कहा कि इस महामारी के कारण करोड़ों अतिरिक्त लोग ग़रीबी में धकेल दिये जाएँगे.

संयुक्त राष्ट्र के लिये, विशेष रूप से, दुनिया भर में, शरणार्थियों और कमज़ोर हालात वाले अन्य लोगों की मदद करना बहुत अहम था. मसलन, लाखों रोहिंज्या शरणार्थी, जिन्हें म्याँमार में हिंसा से बचकर बाँग्लादेश में पनाह लेनी पड़ी है.

कोरोनावायरस महामारी का मुक़ाबला करने के तरीक़ों और उपकरणों बहुत तेज़ी से प्रगति हुई है, वैज्ञानिकों ने, वर्ष 2020 का अन्त होते-होते, नई असरदार वैक्सीन भी बना ली हैं. कुछ विकसित देशों में, ये वैक्सीन लोगों को दी भी जाने लगी है.

अब जबकि दुनिया, एक नए वर्ष 2021 में दाख़िल हो रही है, कोरोनावायरस महामारी अब भी अपनी तबाही मचा रही है, और अनेक देशों में, संक्रमण के मामलों में कुछ ठहराव देखने के बाद, अब वहाँ भी और ज़्यादा संक्रमण और मौतें के मामले देखे जा रहे हैं. और ज़्यादा वैक्सीन उपलब्ध होने के साथ-साथ, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, विज्ञान पर आधारित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, इस बीमारी का फैलाव रोकने के लिये एकजुट होकर काम करने की अपील भी की जा रही है.