ग़ैर-संचारी बीमारियों के कारण पहले की तुलना में ज़्यादा संख्या में मौतें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि दुनिया में मौतों की 10 प्रमुख वजहों में से 7 के लिये ग़ैर-संचारी रोग ज़िम्मेदार हैं. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक पिछले दो दशकों में यह आँकड़ा तेज़ी से बढ़ा है और हृदय रोग अब भी विश्व में सबसे बड़ी संख्या में मौतों का कारण है.
बुधवार को जारी ‘2019 Global Health Estimates’ नामक रिपोर्ट में हृदय रोग, कैंसर, डायबिटीज़ और श्वसन तन्त्र सम्बन्धी बीमारियों की रोकथाम, उनके उपचार और उन पर ज़्यादा ध्यान देने की अहमियत को रेखांकित किया गया है.
According to WHO’s 2019 Global Health Estimates, an intensified global focus to prevent and treat🔎cardiovascular diseases🔎cancer🔎diabetes🔎chronic respiratory diseasesis needed 👉https://t.co/afm3uY7fpg pic.twitter.com/dzQGhFiYWG
WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “नए अनुमान फिर हमें ध्यान दिलाते हैं कि ग़ैर-संचारी रोगों की रोकथाम, उनके निदान व उपचार के लिये हमें तेज़ी से ज़्यादा प्रयास करने की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा कि इन बीमारियों से पनपती चुनौतियों की वजह से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में न्यायसंगत व पूर्ण रूप से सुधार लाने की आवश्यकता है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर मज़बूत स्वास्थ्य सेवाओं के सहारे, ग़ैर-संचारी रोगों से निपटने के साथ-साथ कोरोनावायरस संकट जैसी आपदाओं से निपटने में भी मदद मिलती है.
हृदय रोग, मधुमेह और श्वसन तन्त्र सम्बन्धी सहित, पहले से अन्य बीमारियों का सामना कर रहे लोगों के लिये कोविड-19 के गम्भीर रूप धारण करने का जोखिम ज़्यादा है.
ताज़ा रिपोर्ट में वर्ष 2000 से 2019 तक का विश्लेषण किया गया है लेकिन यह अध्ययन कोरोनावायरस संकट से पहले के स्वास्थ्य हालात पर आधारित है.
बताया गया है कि अगले अपडेट में कोविड-19 महामारी से मृत्यु दर और अस्वस्थता पर महामारी के प्रत्यक्ष व परोक्ष प्रभाव का भी आकलन किया जाएगा.
यूएन एजेंसी के अनुसार पिछले 20 वर्षों से हृदय रोग वैश्विक स्तर पर मौतों की सबसे बड़ी वजह बना हुआ है. लेकिन पहले की तुलना में अब कहीं ज़्यादा संख्या में लोगों की मौत हो रही है.
सभी कारणों से होने वाली मौतों में 16 फ़ीसदी के लिये हृदय रोग ज़िम्मेदार है.
हृदय रोग के कारण होने वाली मौतों में पिछले दो दशकों में चार गुणा वृद्धि दर्ज की गई है - वर्ष 2000 में 20 लाख से 2019 में 90 लाख मौतें.
अल्ज़ाइमर बीमारी और मनोभ्रंश (Dementia) के अन्य रूप अब विश्व भर में मौतों के दस प्रमुख कारणों में हैं. वहीं डायबिटीज़ के कारण होने वाली मौतों में पिछले दो दशकों में 70 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी आँकी गई है.
रिपोर्ट बताती है कि संचारी रोगों की वजह से होने वाली मौतों में विश्व भर में कमी आई है, लेकिन निम्न और मध्य आय वाले देशों में ये अब भी एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं.
उदाहरणस्वरूप, टीबी (तपेदिक) के कारण होने वाली मौतों में 30 फ़ीसदी की गिरावट आई है.
वैश्विक स्वास्थ्य आकलन में पाया गया है कि जीवन काल में हाल के वर्षों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. वर्ष 2019 में वैश्विक औसत जीवन काल बढ़कर 73 वर्ष हो गया, जबकि वर्ष 2000 में यह आँकड़ा 67 वर्ष था.
लेकिन औसतन, उम्र के इन अतिरिक्त सालों में महज़ पाँच वर्ष ही अच्छे स्वास्थ्य में बीत रहे हैं.
यूएन एजेंसी के मुताबिक विकलांगता उभार पर है – विकलांगता व मौतों के लिये चोटिल होना एक बड़ा कारण है.
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000 से सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है और अफ़्रीकी क्षेत्र इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित है.”
अमेरिकी क्षेत्र में नशीली दवाओं का इस्तेमाल विकलांगता और मौतों के लिये एक बड़ा कारण है.
वर्ष 2000 और 2019 के बीच नशीली दवाओं की लत के कारण होने वाली मौतों में तीन गुणा बढ़ोत्तरी हुई है.