कोविड-19: विशेष सत्र में महामारी की समीक्षा
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने, गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में, दुनिया भर में स्वास्थ्य महामारी कोविड-19 के कारण हुई तबाही, उसका मुक़ाबला करने के सर्वश्रेष्ठ उपायों पर ग़ौर करने, और आगे बढ़ने का रास्ता निकालने के उपायों पर विचार किया.
महासभा अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने दो दिन के इस विशेष सत्र की शुरुआत करते हए कहा, “आज हालात का जायज़ा लिया गया, जिसकी ख़ासी ज़रूरत थी. पिछले वर्ष, इन दिनों में, हममें से किसी को भी क़तई ये अन्दाज़ा नहीं था कि क्या होने वाला है.”
We are working for you. For the healthcare workers, who continue to work tirelessly on the frontline. For the people battling the effects of the COVID-19 disease.And for the families around the world, who are grieving the loss of their loved ones.#UNGASS. pic.twitter.com/FPmmqBvfm4
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“हमारी दुनिया के सामने मौजूद गम्भीरतम चुनौती का सामना करने के लिये प्रदर्शनीय कार्रवाई करने के प्रयासों में नेतृत्व के लिये संयुक्त राष्ट्र की तरफ़ नज़रें टिकाए हुए है."
"ये संकट हमें इस बारे में सोचने के लिये झकझोर रहा है कि चीज़ें किस तरह की जाती हैं, और संगठन के साहसिक बनने, व इसमें भरोसा व विश्वास बहाल करने के लिये ठोस उपाय किये जाएँ.”
नए सिरे से...
कोविड-19 प्रथमतः और कुल मिलाकर एक स्वास्थ्य संकट है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आँकड़ों के अनुसार, इस महामारी के संक्रमण के अभी तक लगभग 6 करोड़ 40 लाख मामले दर्ज किये गए हैं, जिनमें लगभग 14 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.
इस स्वास्थ्य महामारी ने, आम जनजीवन में अनेक तरह की बाधाएँ खड़ी करने के साथ-साथ, आजीविकाएँ भी तबाह कर दी हैं.
वैश्विक अर्थव्यवस्था ढलान पर है, और लाखों-करोड़ों लोगों के रोज़गार ख़त्म हो गए हैं, अत्यन्त गम्भीर ग़रीबी के बढ़ने की सम्भावना है और टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों पर भी जोखिम है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि अलबत्ता, पूरा पृथ्वी ग्रह इस समय इस ख़तरे का सामना कर रहा है, मगर सबसे कमज़ोर व नाज़ुक हालात में रहने वाले लोगों को सबसे ज़्यादा मुसीबत व तकलीफ़ का सामना करना पड़ा है.
इनमें ग़रीब, वृद्ध, और महिलाएँ व लड़कियाँ शामिल हैं.
हालाँकि उन्होंने ये भी कहा कि इसमें से कुछ प्रभाव या नतीजे तो केवल महामारी के कारण नहीं है, बल्कि लम्बे समय से चली आ रहीं कमज़ोरियों, असमानताओं और अन्यायों के कारण हैं, जिन्हें कोरोनावायरस महामारी ने सामने ला दिया है.
यूएन प्रमुख ने कहा, “इस समय, बिल्कुल नए सिरे से सोचने व करने की ज़रूरत है. हम सभी चूँकि मज़बूत पुनर्बहाली के रास्ते पर अग्रसर हैं, इसलिये हमें इस मौक़े का उपयोग बदलाव के लिये करना है.”
सर्वजन के लिये वैक्सीन
मार्च 2020 में, महामारी की घोषणा होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र, तमाम देशों को इसकी तबाही से बचने के प्रयासों में लगातार मदद कर रहा है, साथ ही, एक मज़बूत पुनर्बहाली के लिये रणनीति बनाने पर भी काम हो रहा है.
इसमें 170 से ज़्यादा देशों को, चिकित्सा उपकरणों व सामग्री की आपूर्ति किया जाना शामिल है.
यूएन महासचिव ने कहा, “मैंने कोविड-19 की वैक्सीन को एक ऐसी वैश्विक सार्वजनिक सुलभता बनाने का बार-बार आहवान किया है जो हर किसी को, हर जगह उपलब्ध हो सके.”
हालाँकि उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा सम्भव बनाने वाली वैश्विक व्यवस्था के लिये समुचित धन उपलब्ध नहीं है.