एड्स दिवस: महामामारियों के ख़िलाफ़ वैश्विक एकजुटता की पुकार
संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार, 1 दिसम्बर को, विश्व एड्स दिवस पर, ना केवल कोविड-19 महामारी पर क़ाबू पाने बल्कि एक अन्य वैश्विक महामारी एड्स पर भी क़ाबू पाने के लिये वैश्विक एकजुटता व साझा ज़िम्मेदारी से प्रयास करने का आहवान किया है. एड्स के बारे में कहा गया है कि ये बीमारी पहली बार उभरने के 40 वर्ष बाद भी अभी ख़त्म नहीं हुई है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश ने विश्व एड्स दिवस पर अपने सन्देश में दुनिया से आग्रह किया है कि कोविड-19 संकट का सामना करने के प्रयासों के दौरान भी, एड्स का मुक़ाबला करने के प्रयासों से भी नज़र ना हटाएँ.
Health is a human right - and universal health coverage must be a top investment priority.To overcome #COVID19 and end AIDS, the world must stand in solidarity and share responsibility. https://t.co/OBHJDcET1K #WorldAIDSDay pic.twitter.com/E5oBH0NGeb
antonioguterres
उन्होंने कहा है, “महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल होने के बावजूद, ये भी सच है कि एड्स आपदा अभी ख़त्म नहीं हुई है. एचआईवी अब भी हर वर्ष, लगभग 17 लाख लोगों को संक्रमित करता है, और इस वायरस से हर साल 6 लाख 90 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो जाती है.”
एंतोनियो गुटेरेश ने असमानताओं के नकारात्मक प्रभावों की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा कि ग़ैर-बराबरी के कारण, बहुत कमज़ोर हालात वाले लोगों पर बहुत गम्भीर असर पड़ता है, और कोरोनावायरस महामारी ने इस सबूत को और उजागर कर दिया है.
महासचिव ने ज़ोर देकर कहा, “कोविड-19 महामारी पूरी दुनिया के लिये नीन्द से जगाने वाली घण्टी के समान साबित हुई है. स्वास्थ्य क्षेत्र में असमानताओं से हम सभी प्रभावित होते हैं. जब तक हम सभी सुरक्षित नहीं होंगे, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है.”
“लोगों को ज़रूरत के अनुसार स्वास्थ्य देखभाल मिले या नहीं, इसका फ़ैसला धन-दौलत के आधार पर नहीं होना चाहिये. हमें कोविड-19 की वैक्सीन और एचआईवी का ऐसा इलाज व देखभाल चाहिये जो हर किसी के लिये, हर कहीं, किफ़ायती व सर्व-सुलभ हो.”
स्वास्थ्य एक मानवाधिकार
यूएन प्रमुख ने दोहराते हुए कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज हासिल करने के लिये स्वास्थ्य क्षेत्र में संसाधन निवेश किया जाना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये.
उन्होंने भेदभाव और कलंक की मानसिकता का ख़ात्म किये जाने की पुकार लगाते हुए, एड्स व कोविड-19 महामारियों का मुक़ाबला करने के प्रयासों में आम लोगों पर ही सारा ध्यान केन्द्रित करने का आहवान भी किया.
इन प्रयासों में मानवाधिकारों और लैंगिक सम्वेदनशीलता का भी ध्यान रखने का आग्रह किया गया है.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “इस विश्व एड्स दिवस पर, आइये, हम इस बात को पहचान दें कि कोविड-19 और एड्स पर क़ाबू पाने के लिये, पूरे विश्व को एकजुटता दिखानी होगी और साझा ज़िम्मेदारी से काम लेना होगा.”
समुदायों के भीतर मज़बूती
एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त कार्यक्रम की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानयीमा ने एक अलग सन्देश में ध्यान दिलाया है कि समुदायों के भीतर, साझा ज़िम्मेदारियों से प्रेरित लोगों ने एकसाथ मिलकर काम किया है तो एचाईवी के ख़िलाफ़ अनेक तरह की जीत हासिल की है.
उन्होंने कहा कि उसी तरह की मज़बूती और हौसला, एचाईवी और कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में चाहिये, पहले से कहीं ज़्यादा.
विनी ब्यानयीमा ने कहा, “कोविड-19 का मुक़ाबला करने के प्रयासों में, दुनिया उसी तरह की ग़लती नहीं दोहरा सकती, जैसाकि एचआईवी का मुक़ाबला करने के मामले में हुआ, जब विकासशील देशों में लाखों लोग उपचार का इन्तज़ार करते-करते ही मौत का मुँह में चले गए.”
हर वर्ष 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस, इस महामारी के बारे में दुनिया भर में, जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है.
साथ ही, उन लोगों को याद भी किया जाता है जिनकी ज़िन्दगी, एड्स नामक महामारी की भेंट चढ़ गई है.
और इस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में हासिल हुई जीत का जश्न भी मनाया जाता है, मसलन, अब एचआईवी के संकर्मित ज़्यादा लोगों को रोकथाम सेवाएँ और इलाज की सुविधा हासिल हो रही हैं.