फ़लस्तीनी लोगों के लिये प्रतिबद्धता ताज़ा करने का आग्रह

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये यूएन सहायता एजेंसी (UNRWA) के ख़ावला स्कूल में बच्चे, 5 महीनों तक बन्द रहने के बाद, वापसी पर ख़ुश होते हुए.
© 2020 UNRWA./Khalil adwan
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये यूएन सहायता एजेंसी (UNRWA) के ख़ावला स्कूल में बच्चे, 5 महीनों तक बन्द रहने के बाद, वापसी पर ख़ुश होते हुए.

फ़लस्तीनी लोगों के लिये प्रतिबद्धता ताज़ा करने का आग्रह

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इसराइली और फ़लस्तीनी नेतृत्व कर्ताओं से आग्रह किया है कि वो दो राष्ट्र के समाधान की उम्मीद बहाल करने के लिये हर सम्भावना की तलाश करें. यूएन महासचिव ने रविवार, 29 नवम्बर को फ़लस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के मौक़े पर ये आग्रह किया. 

यूएन प्रमुख ने हालाँकि आगाह करते हुए ये भी कहा कि दो राष्ट्र के एक टिकाऊ समाधान की सम्भावनाएँ “और ज़्यादा दूर होती नज़र आने लगी हैं”.

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एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “बहुत से कारणों से बहुत अन्धेरे वाली परिस्थितियाँ बनी हुई हैं: अवैध इसराइली बस्तियों का विस्तार, फ़लस्तीनी घरों और ढाँचों को ढहाए जाने में उल्लेखनीय तेज़ी, हिंसा और सैन्य गतिविधियों का जारी रहना.”

“इसराइली और फ़लस्तीन नेतृत्व कर्ताओं की ये ज़िम्मेदारी है कि वो उम्मीद बहाल करने और दो राष्ट्र रूपी समाधान हासिल करने के लिये हर रास्ते की तलाश करें.”

फ़लस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता का अन्तरराष्ट्रीय दिवस हर वर्ष, 29 नवम्बर को मनाया जाता है.

ये दिवस यूएन महासभा ने हालाँकि ये दिवस 1977 में शुरू किया था, लेकिन ये दिवस 1947 में पारित किये गए महासभा के उस प्रस्तवा की याद में मनाया जाता है जिसमें एक अरब देश - फ़लस्तीन और एक यहूदी देश को प्राथमिकता दी गई थी.

दो राष्ट्र समाधान को समर्थन

यूएन महासचिव ने कहा है कि वो संकट का समाधान निकालने और फ़लस्तीनी इलाक़ों पर इसराइ क़ब्ज़े को यूएन प्रस्तावों, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और दिपक्षीय समझौतों के अनुरूप समाप्त करने और दो राष्ट्र की स्थापना के रूप में समाधान तलाश करने के लिये फ़लस्तीनियों व इसराइलियों का समर्थन के लिए संकल्पबद्ध हैं.

इस समाधान में इसराइल और उसके साथ ही, एक स्वतन्त्र, लोकतान्त्रिक, सम्प्रभु फ़लस्तीनी देश भी हो और ये दोनों देश पड़ोसी के रूप में, शान्ति व सुरक्षा का साथ रहें, इसमें दोनों देशों की सीमाएँ 1967 से पहले के समय पर आधारित हों, और येरूशलम दोनों देशों की राजधानी हो.

उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हाल के घटनाक्रमों से, फ़लस्तीनी व इसराइली नेतृत्व कर्ता, सार्थक बातचीत में फिर से शिरकत करेंगे, जिसे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन हासिल हो, और इससे क्षेत्रीय सहयोग के लिए अवसर भी बनेंगे.”

यूएन महासचिव ने कहा, “आइये, फ़लस्तीनी लोगों द्वारा अपने बुनियादी अधिकार हासिल करने की जद्दोजहद, और शान्ति, गरिमा, न्याय और सुरक्षा का भविष्य निर्माण करने के प्रयासों में, हम, उनके समर्थन में अपनी प्रतिबद्धता ताज़ा करने का संकल्प दोहराएँ.”

एंतोनियो गुटेरश ने अपने सन्देश में, फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन के महासचिव और मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया में फ़लस्तीन के मुख्य वार्ताकार साएब एराकात के हाल ही में हुए निधन पर शोक भी प्रकट किया.

सहायता एजेंसी की वित्तीय स्थिति

यूएन प्रमुख ने निकट पूर्व में फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये यूएन सहायता एजेंसी (UNRWA) के सामने पेश वित्तीय कठिनाइयों पर चिन्ताएँ भी व्यक्त कीं. ये एजेंसी लाखों फ़लस्तीनी शरणार्थियों को प्रत्यक्ष और अक्सर जीवन-रक्षक सहायता मुहैया कराती है.

यूएन प्रमुख ने आग्रह करते हुए कहा, “मैं सदस्य देशों से, महामारी के दौरान, सहायता एजेंसी को, फ़लस्तीनी शरणार्थियों की मानवीय सहायता और विकास सम्बन्धी ज़रूरतें पूरी करने में सक्षम बनाने की अपील करता हूँ.”