कोविड-19: वैक्सीन आने पर भी, टैस्ट अति महत्वपूर्ण उपाय रहेंगे
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने के मुखिया ने कहा है कि कोविड-19 का मुक़ाबला करने के उपायों में, अगर वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू भी कर दिया जाए, तब भी टैस्ट यानि परीक्षण, एक अति महत्वपूर्ण विकल्प रहेगा.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने शुक्रवार को स्वास्थ्य महामारी पर अपनी नियमित प्रेस वार्ता में ऐसे देशों की तरफ़ ध्यान दिलाया जहाँ कोरोनावायरस पर नियन्त्रण पाया गया है, वहाँ, किस तरह से, परीक्षण का विकल्प मुस्तैदी से अपनाया गया.
"#COVID19 has resulted in restrictions of many types – but everyone can remain active, whether that’s doing a workout at 🏠 or going out for a 🚶, a 🏃 or a 🚴♀️. It’s one way all of us can add years to life & life to years. Every move counts"-@DrTedros https://t.co/1xIf1yxkmK
WHO
उन्होंने कहा, “निसन्देह, वैक्सीन जारी किये जाने के बहुत नज़दीक हैं, मगर फिर फिर भी, टैस्ट बहुत अहम भूमिका निभाते रहेंगे.”
“शुरू में तो, स्वास्थ्यकर्मी, उम्र दराज़ लोग और अन्य जोखिम का सामना करने वाले समूहों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिये प्राथमिकता पर रखा जाएगा.
उसके बाद भी कोरोनावायरस को अपना क़हर बरपाने के लिये बहुत जगह बची रहेगी, इसलिये टैस्ट, तब भी, इस महामारी पर क़ाबू पाने के प्रयासों में एक अति महत्वपूर्ण विकल्प रहेगा.”
महानिदेशक ने टैस्ट की अहमियत पर और ज़्यादा ज़ोर देते हुए कहा, “टैस्ट करने से ये मालूम होता है कि वायरस कहाँ मौजूद है. जिस तरह से और जिस स्तर पर, एकान्तवास सुविधाओं, क्लीनिकल देखभाल, स्वास्थ्यकर्मियों की संरक्षा, संक्रमण के वाहकों का पता लगाना व अन्य सामूहिक गतिविधियों में संसाधन निवेश किये जा रहे हैं, उसी तरह से टैस्ट करने के उपायों में भी संसाधन निवेश करने होंगे.”
मूल्याँकन की ज़रूरत
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, इस बीच ये भी कहा है कि ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय और फ़ार्मास्यूटिकल कम्पनी ऐस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित की गई वैक्सीन के बारे में अभी और ज़्यादा जानकारी एकत्र किये जाने की ज़रूरत है.
इन दोनों साझीदारों ने कुछ ही दिन पहले घोषणा की थी कि एक वैक्सीन के क्लीनिकल परीक्षणों में पाया गया कि उनकी एक वैक्सीन की आधी ख़ुराक और उसके एक महीने बाद उसकी पूरी ख़ुराक देने के नतीजे ज़्यादा असरदार थे, बनिस्बत, दो ख़ुराक देने के.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में टीकाकरण, वैक्सीन और बायोलॉजीकल्स की निदेशक डॉक्टर कैथरीन ओ ब्रायन ने इस वैक्सीन के बारे में और ज़्यादा जानकारी की उपलब्धता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, क्योंकि इसके बारे में अभी जानकारी, प्रैस विज्ञप्ति में सामने आई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि प्रैस विज्ञप्ति के अनुसार, 3 हज़ार से कम लोगों को ये वैक्सीन दी गई, और उन सभी की उम्र 55 वर्ष या उससे ज़्यादा थी.
उन्होंने बताया कि जबकि अन्य समूह में विभिन्न उम्रों के 8 हज़ार लोग शामिल थे, इसलिये दोनों समूहों के बारे में किसी नतीजे पर पहुँचना मुश्किल है, किसी ठोस नतीजे पर पहुँचने के नज़रिये से ये संख्या काफ़ी कम थी.
डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इस समय, कुछ भी कहना, क़यासबाज़ी होगी.
उन्होंने कहा कि ऐस्ट्राज़ेनेका कम्पनी ने संगठन को सूचित किया है कि कम्पनी वैक्सीन का पूर्ण टैस्ट करने का इरादा रखती है.
ईबोला से सबक
डॉक्टर कैथरीन ओ ब्रायन ने अमेरिकी कम्पनी फ़ाइज़र और बायो-एन-टैक कम्पनियों द्वारा हील ही में विकसित की गई और त्वरित मंज़ूरी के लिये सौंपी गई वैक्सीन के बारे में कहा कि इस वैक्सीन ने 90 प्रतिशत प्रभावशाली परिणाम दिखाए हैं.
इस वैक्सीन के भण्डारण के लिये -70 डिग्री सेल्सियस या उससे भी कम तापमान में रखने की ज़रूरत है. इस कारण, अफ्रीकी देशों में इस वैक्सीन के वितरण के बारे में चिन्ताएँ व्यक्त की गई हैं.
डॉक्टर ब्रायन ने इस सन्दर्भ में हा कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ कोई वैक्सीन एक बार तैयार होने पर, उसके भण्डारण और आपूर्ति के लिये, ईबोला के भण्डारण और वितरण में हासिल किये गए वैश्विक अनुभव से लाभ मिल सकता है.
उन्होंने कहा कि अत्यधिक ठण्डे वातावरण में रखी जाने वाली दवाएँ, बहुत कठिन परिस्थितियों में पहुँचाने के भी अनुभव मौजूद हैं, लेकिन ऐसा करने के लिये संसाधन भी बहुत ज़्यादा लगते हैं.
कोई एक वैक्सीन काफ़ी नहीं
डॉक्टर कैथरीन ओ ब्रायन ने कहा कि काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में ईबोला वैक्सीन पहुँचाने के लिये अत्यधिक ठण्डे भण्डारण की ज़रूरतें पूरी करने का अनुभव भी संगठन के पास है और ये अनेक अफ्रीकी देशों में किया गया.
उन्होंने उम्मीद जताई कि फ़ाइज़र वैक्सीन को भी, अनेक अन्य वैक्सीनों के साथ प्रयोग किया जाएगा क्योंकि कोई एक वैक्सीन आपूर्ति के लिये काफ़ी नहीं होगी. और ना ही कोई एक वैक्सीन, सभी ज़रूरतें पूरी करने के लिये कसौटी पर खरी उतर सकेगी.
डॉक्टर ब्रायन ने कहा कि फ़ाइज़र कपनी ने एक ऐसा वाहन भी विकसित किया है जिसमें वैक्सीन की ज़रूरत वाला तापमान 10 से 15 दिनों तक क़ायम रखा जा सकता है.
उन्होंने बताया कि इस वैक्सीन को रैफ़रिजरेटर के तापमान में 5 दिनों तक भण्डार किया जा सकता है. हल्के फ़्रीज़र, जो बिजली से नहीं चलते, उनका, और यहाँ तक कि सूखी बर्फ़ का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
शरीर को हरकत में रखें
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को ये भी कहा है कि, निसन्देह, महामारी ने, हमारे जीवन में अनेक तरह की पाबन्दियाँ उत्पन्न कर दी हैं, मगर इसे केवल बिस्तर या सोफ़े पर पड़े रहने के लिये बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
संगठन ने शारीरिक सक्रियता बनाए रखने और आलस भरे बर्ताव के बारे में इस सप्ताह नए दिशा-निर्देश जारी किये हैं.
संगठन ने कहा कि कसरत और व्यायाम करना, जीवन भर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिये बहुत ज़रूरी हैं, लेकिन चार में से एक वयस्क, और पाँच में से एक किशोर, समुचित व्यायाम और कसरत नहीं करते हैं.
दिशा-निर्देशों में सिफ़ारिश की गई है कि वयस्कों को एक सप्ताह में ढाई घण्टे से लेकर पाँच घण्टे तक कसरत करनी चाहिये, और बच्चों व किशोरौं को, हर दिन औसतन एक घण्टा व्यायाम करना चाहिये.