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'लिंग आधारित हिंसा को ख़त्म कर दें, हमेशा-हमेशा के लिये'

सोलोमॉन द्वीप में एक युवा महोत्सव में लगा एक मंच, जिसमें मज़बूत सन्देश दिया गया है: "महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ अब और हिंसा नहीं"
UN Women
सोलोमॉन द्वीप में एक युवा महोत्सव में लगा एक मंच, जिसमें मज़बूत सन्देश दिया गया है: "महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ अब और हिंसा नहीं"

'लिंग आधारित हिंसा को ख़त्म कर दें, हमेशा-हमेशा के लिये'

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र ने तमाम देशों की सरकारों ने लिंग आधारित हिंसा को हमेशा के लिये ख़त्म करने के लिये प्रयास दो गुने करने का आहवान किया है. बुधवार को महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का उन्मूलन करने के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के मौक़े पर ये आहवान किया गया है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस पर दिये अपने सन्देश में, समाधान तलाश करने में महिलाओं के नेतृत्व को प्राथमिकता दिये जाने और इस संघर्ष में और ज़्यादा पुरुषों को साथ लेकर चलने की अहमियत पर ज़ोर दिया है. 

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यूएन प्रमुख ने कहा है, “वैश्विक समुदाय को महिलाओं और लड़कियों की आवाज़ों और अनुभवों को सुनना होगा और उनकी ज़रूरतों को ध्यान में रखना होगा, जिनमें, ख़ासतौर से, उनकी जो लिंग आधारित हिंसा का सामना कर चुकी हैं, और जो बहुपक्षीय व कई तरह से आपस में जुड़े भेदभावों का सामना करती हैं.”

एंतोनियो गुटेरेश ने अप्रैल 2020 में की गई अपनी वो पुकार दोहराई जिसमें उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से लिंग आधारित हिंसा की “छाया महामारी” का ख़ात्मा करने के लिये काम करने का आग्रह किया था.

उन्होंने कहा, “मैं वो अपील आज फिर दोहराता हूँ और फिर से जारी करता हूँ.”

अग्रिम पैरोकारों को समर्थन

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को रोकने की कार्रवाई के लिये, महिला अधिकारों के लिये काम करने वाले ऐसे संगठनों को अपेक्षित व लचीली वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने की ज़रूरत है, जो अक्सर दुनिया भर में प्रथम पैरोकारों के रूप में काम करते हैं.

उन्होंने कहा, “ये बहुत अहम है कि हिंसा की पीड़ित महिलाओं के लिये सहायता सेवाएँ खुली रहें, और उनके पास पर्याप्त व समुचित साधन, और ऐसे उपाय मौजूद हों जिनसे स्वास्थ्य, सामाजिक आवश्यकताएँ व न्याय सुनिश्चित किये जा सकें.”

महासचिव ने कहा कि ऐसे उपाय केवल तभी कारगर ना हों जब महिलाओं के साथ हिंसा हो गई हो, बल्कि सर्वोच्च प्राथमिकता ये होनी चाहिये कि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा हो ही ना.

इन उपायों में ऐसी सांस्कृतिक शक्तियों और सामाजिक परम्पराओं को सामना करना भी शामिल है जो सत्ता असन्तुलम पैदा करते हैं.

पुलिस और न्यायिक सेवाओं को और ज़्यादा जवाबदेह बनानो होगा, ताकि हिंसा करने वाले तत्वों में क़ानून का डर मौजूद रहे.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “इस अन्तरराष्ट्रपीय दिवस पर, आइये, हम सभी, लिंग आधारित हिंसा को हमेशा के लिये ख़त्म करने के अपने प्रयास दो गुना कर दें.”

कोविड-19 और महिलाओं के विरुद्ध हिंसा

महिला अधिकारों व उनकी बेहतरी के लिये काम करने वाली संस्था – यूएन वीमैन का कहना है कि महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा एक लगातार और व्यापक दायरे वाली समस्या रही है, कोविड-19 महामारी के फैलाव के साथ ये समस्य़ा, और भी ज़्यादा गम्भीर हो गई है. विशेष रूप में, घरेलू हिंसा में बहुत तेज़ी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

महामारी के सामाजिक व आर्थिक प्रभावों का सबसे ज़्यादा व ग़ैर-आनुपातिक असर भी महिलाओं और लड़कियों पर ही पड़ा है, और उनके ख़िलाफ़ हिंसा का जोखिम भी बढ़ा है.

संयुक्त राष्ट्र की महिला संस्था – UN Women की कार्यकारी निदेशक फ़ूमज़िले म्लाम्बो न्गक्यूका ने दुनिया भर के राजनैतिक नेताओं को सन्देश भेजा है और आग्रह किया है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का ख़ात्म करने के लिये ठोस कार्रवाई करें और अपने संकल्प दृढ़ बनाएँ.

उनका कहना है, “ऐसे में, जबकि पूरी दुनिया, महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का ख़ात्मा करने का अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाने की तैयारी में जुटी है, मैं आपके देशों की सरकारों का आहवान करती हूँ कि कोविड-19 के सन्दर्भ में लड़कियों और महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा से निपटने के लिये सर्वोच्च संकल्प दिखाया जाए.”

कार्यकारी निदेशक ने सुझाव दिया है कि नेतृत्व करने वाले लोग इस तरह के संकल्प सोशल मीडिया पर वीडियो सन्देशों या अन्य रूपों में अपने वक्तव्यों के ज़रिये प्रदर्शित करें.

अन्तरराष्ट्रीय दिवस

यूएन महासभा ने दिसम्बर, 1999 में, 25 नवम्बर को महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को ख़त्म करने के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था.

इसके तहत, तमाम देशों की सरकारों, अन्तरराष्ट्रीय संगठनों और ग़ैर-सरकारी संगठनों को इस मुद्दे पर आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने सम्बन्धी गतिविधियाँ आयोजित करने के लिये आमन्त्रित किया गया था.

इस दिवस पर, 1960 में डोमिनिक गणराज्य में, राजनैतिक कार्यकर्ता – तीन मीराबल बहनों की क्रूर हत्या को भी याद किया जाता है. उनकी हत्याएँ पूर्व शासक रफ़ाएल ट्रूजिलो के आदेश पर की गई थी.