इराक़: तूफ़ानों के बीच, अन्तरराष्ट्रीय सहायता बहुत अहम
इराक़ के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि जिनीन हैनिस प्लैस्शाएर्ट ने सुरक्षा परिषद को बताया है कि देश में सरकार और प्रशासन अनेक तूफ़ानों के बीच काम जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में, मौजूदा राजनैतिक, सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक संकटों को हल करने के लिये अन्तरराष्ट्रीय सहायता की बहुत ज़रूरत है.
इराक़ के लिये विशेष दूत ने सुरक्षा परिषद में राजदूतों को ऐसे समय में ये जानकारी दी है जिसे उन्होंने देश के आधुनिक इतिहास में “एक अति महत्वपूर्ण पड़ाव” क़रार दिया.
SRSG Jeanine Hennis-Plasschaert to UNSC: With elections looming, I can only hope that urgently needed reforms, including some very painful ones, will not be swept under the carpet. This would only worsen #Iraq’s situation, and thus fuel social unrest - sooner or later. pic.twitter.com/7bRIL5L01g
UNIraq
विशेष प्रतिनिधि जिनीन हैनिस प्लैस्शाएर्ट ने वर्चुअल मीटिंग में कहा, “अगर महामारी ने हमें कोई सबक़ सिखाया है, तो वो ये है कि स्थानीय समस्याएँ मुश्किल से ही स्थानीय रह पाती हैं, और ये कि स्थानीय और अन्दरूनी समस्याएँ बहुत तेज़ी से अन्य देशों में भी समस्याओं में तब्दील हो जाती हैं.”
“दूसरे शब्दों में कहें तो, आपका लगातार समर्थन व सहायता बहुत अहम है, और बहुत सराहनीय भी.”
अर्थव्यवस्था में सुधार
विशेष प्रतिनिधि जिनीन हैनिस प्लैस्शाएर्ट ने कहा कि इराक़ की अर्थव्यवस्था महामारी के दौरान बद से बदतर हो गई है. इस वर्ष, देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 10 प्रतिशत संकुचन के अनुमान हैं, जबकि तेल की क़ीमतें लगातार गिर रही हैं.
उन्होंने बताया कि इराक़ सरकार ने पिछले महीने एक श्वेत पत्र जारी किया था जिसमें अर्थव्यवस्था में ढाँचागत असन्तुलनों का विवरण दिया गया था और सुधारों की तत्काल अवश्यकता बताई गई थी.
अर्थव्यवस्था में विविधता लाने और टिकाऊ विकास आगे बढ़ाने के लिये उपाय किये जाने ज़रूरी हैं, लेकिन साथ ही उन इराक़ियों की आकाँक्षाओं को भी पूरा करना होगा जो भ्रष्टाचार, उच्च बेरोज़गारी और अन्य चिन्ताओं के कारण, पिछले वर्ष सड़कों पर उतर आए थे.
समाधान की तरफ़ क़दम
विशेष के अनुसार, हालाँकि क्रियान्वयन एक अन्य प्रश्न है.
उन्होंने आगाह करने के अन्दाज़ में कहा, “एक चीज़ तो स्पष्ट है: श्वेत पत्र के उपाय वास्तविकता में तब्दील करने पर एक व्यापक रानजैतिक सहमति के अभाव में, इसके केवल कुछ पन्नों पर शब्द बनकर रह जाने का जोखिम है.”
“लेकिन मैं ज़ोर देकर कहना चाहती हूँ: मौजूदा वित्तीय और आर्थिक संकट का हल निकालने के लिये गम्भीर और समाधान पेश करने वाले उपाय और ज़्यादा इन्तेज़ार नहीं कर सकते, एक दिन के लिये भी नहीं. सरकार, संसद, राजनैतिक दल और अन्य सभी सम्बद्ध पक्षों को सामूहिक रूप से समाधान की तरफ़ बढ़ना होगा.”
उन्होंने कहा कि इराक़ में जून 2020 में चुनाव होने वाले हैं और उम्मीद है कि सुधारों को ज़मीन में नहीं दबा दिया जाएगा, अगर ऐसा हुआ तो आर्थिक स्थिति और भी ज़्यादा ख़राब होगी जिससे मौजूदा असन्तोष और भड़केगा.