वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कोविड-19: वैक्सीन खोज की अन्धेरी सुरंग में नज़र आई दमदार रौशनी

ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय ने घोषणा की है कि उसके वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के ख़िलाफ़ वैक्सीन सफलतापूर्वक विकसित कर ली है.
University of Oxford/John Cairns
ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय ने घोषणा की है कि उसके वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के ख़िलाफ़ वैक्सीन सफलतापूर्वक विकसित कर ली है.

कोविड-19: वैक्सीन खोज की अन्धेरी सुरंग में नज़र आई दमदार रौशनी

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ वैक्सीन की खोज, जाँच-पड़ताल के साथ ही, अन्य प्रामाणिक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय भी अपनाए जा रहे हैं, मगर अब इस बारे में कुछ ठोस उम्मीद जागी है कि स्वास्थ्य महामारी का ख़ात्मा करने में वैक्सीनें असरदार भूमिका निभाएँगी.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक ने कहा, “वैक्सीनों के परीक्षणों में, हाल के समय में मिले सकारात्मक समाचारों के साथ ही, इस लम्बी और अन्धेरी सुरंग में कुछ रौशनी नज़र आने लगी है, जो लगातार और ज़्यादा उज्ज्वल हो रही है. इस वैज्ञानिक उपलब्धि की महत्ता सर्वविदित है.”

Tweet URL

नए मानक

विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख ने कहा कि इतिहास में इतनी तेज़ी से कोई वैक्सीन विकसित नहीं हुई वैज्ञानिक समुदाय ने वैक्सीन विकसित करने में नए मानक स्थापित किये हैं, और अब अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को वैक्सीन की उपलब्धता सभी के लिये सुनिश्चित करने के वास्ते नए मानक स्थापित करने होंगे.

उन्होंने कहा, ”जिस तात्कालिकता व शीघ्रता के साथ वैक्सीन विकसित की जा रही हैं, उसी तात्कलिकता, शीघ्रता व निष्पक्षता के साथ ये वैक्सीन सभी लोगों को मुहैया कराई जानी चाहिये.”

उन्होंने आगाह करने के अन्दाज़ में कहा कि निर्धनतम और बहुत नाज़ुक परिस्थितियों का सामना कर रहे लोगों के इन वैक्सीनों की पहुँच से दूर रह जाने का बहुत ख़तरा है, कहीं वैक्सीन के ज़रिये प्रतिरोधी क्षमता हासिल करने के संघर्ष में वो भीड़ में कुचल ना दिये जाएँ.

एसीटी ऐक्सेलेरेटर

महानिदेशक टैड्रॉस ऐडनेहॉम घेबरेयेसस ने कहा कि इसी सन्दर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके साझीदार संगठनों ने एसीटी ऐक्सेलेरेटर – कोविड-19 का मुक़ाबला करने वाले उपकरणों – का कार्यक्रम (ACT Accelerator) अप्रैल 2020 में ही शुरू कर दिया था. 

उन्होंने कहा कि एसीटी ऐक्सेलेरेटर ने इतिहास में वैक्सीन विकसित करने के सबसे ज़्यादा तीव्र, व संयोजित, वैश्विक प्रयासों को सहारा दिया है, इनमें वायरस का पता लगाना और उपचार के उपाय खोजना शामिल है.

महानिदेशक ने बताया कि इस समय लगभग 50 उपचारों का मूल्याँकन किया जा रहा है, निम्न व मध्य आय वाले देशों को त्वरित एण्टीजेन जाँच की किटें उपलब्ध हैं, जीवन रक्षक इलाज तैयार किया जा रहे हैं और नई दवाओं के भी परीक्षण हो रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कोवैक्स सुविधा में 187 से ज़्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें वैक्सीन की ख़रादारी और उपलब्धता के प्रबन्ध किये जाने हैं, इनमें किफ़ायती दाम, मात्रा और सभी देशों के लिये सही समय पर उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना शामिल है.

और ज़्यादा धन की ज़रूरत

टैड्रॉस ने कहा कि शानदार प्रगति के बावजूद, धन की उपलब्धता और नज़रिये में बुनियादी बदलाव के ज़रिये ही एसीटी ऐक्सेलेरेटर के वादे पूरे किये जा सकेंगे.

उन्होंने बताया कि इस वर्ष परीक्षण व उपचार किटें की ख़रीदारी व उपलब्धता कराने के लिये 4 अरब 30 करोड़ डॉलर की रक़म की और ज़रूरत है, जबकि वर्ष 2021 में 23 अरब 80 करोड़ डॉलर की राशि की आवश्यकता होगी.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “ये कोई दान देने जैसा मामला नहीं है, बल्कि ये महामारी का ख़ात्मा करने और वैश्विक आर्थिक पुनर्बहाली करने के लिये त्वरित व अक़लमन्दी वाला रास्ता है.”

अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, अगर चिकित्सा समाधान ज़्यादा त्वरित और व्यापक पैमाने पर मुहैया कराए जा सकें तो, वो वर्ष 2025 के अन्त तक वैश्विक आय में 9 ट्रिलियन की संचयी बढ़त का रास्ता साफ़ कर सकते हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने कहा, “असल सवाल ये नहीं है कि क्या विश्व के पास वैक्सीन और अन्य उपकरण, सभी लोगों को उपलब्ध कराने का विकल्प मौजूद है या नहीं, बल्कि सवाल ये है कि क्या विश्व के सामने ऐसा नहीं करने का कोई विकल्प भी है?”