विश्व बाल दिवस: हर बच्चे के लिये एक बेहतर भविष्य की कल्पना

शुक्रवार, 20 नवम्बर को ‘विश्व बाल दिवस’ के अवसर पर दुनिया भर में समाजों से हर बच्चे के लिये एक बेहतर भविष्य की फिर से कल्पना करने की पुकार लगाई गई है. वैश्विक समुदाय का आहवान किया गया है कि हर बच्चे के लिये ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करना होगा जिसमें सभी बच्चे फल-फूल सकें.
योरोपीय संसद के अध्यक्ष डेविड सेस्सोली और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने एक साझा सन्देश में बच्चों के भविष्य की रक्षा के लिये तत्काल निवेश करने की पुकार लगाई है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने की कार्रवाई के दौरान हर जगह, हर बच्चे के अधिकारों को किसी भी जवाबी रणनीति में पहले रखना होगा.
दुनिया भर से युवाओं ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजनों में शिरकत करते हुए युवा पीढ़ी के समक्ष मौजूद चुनौतियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है.
युवाओं के मुताबिक उनकी पीढ़ी ऐसी चुनौतियों का सामना कर रही है जो उनके जीवनकाल में पहले कभी नहीं आईं. लाखों बच्चों के लिये बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल का अभाव है, उनकी शिक्षा में व्यवधान आया है और वे हर दिन हिंसा और निर्धनता का सामना कर रहे हैं.
युवाओं ने स्पष्ट शब्दों मे कहा कि कोविड-19 महामारी ने उनसे सामान्य जीवन छीन लिया है, लेकिन पहले का वो सामान्य जीवन भी उनके लिये पर्याप्त नहीं था.
युवा पैरोकारों ने आगाह किया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 उनके लिये एकमात्र ख़तरा नहीं है.
“हमारा ग्रह पीड़ा में है और जलवायु परिवर्तन वास्तविक है, विषमता और भेदभाव वास्तविक हैं, और हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर तनाव भी बहुत वास्तविक है.”
यूनीसेफ़ और योरोपीय संसद के प्रमुख ने विश्व बाल दिवस के अवसर पर कहा, “हमारे पास बच्चों और युवाओं की दूरदृष्टि और समाधानों को सुनने का यह एक अनूठा अवसर है, पीढ़ियों के लिये चर्चा और साथ मिलकर कार्रवाई करने का.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि यूनीसेफ़ और योरोपीय संसद के साथ आने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पीछे ना छूटने पाए.
“इस दिवस को एक बेहतर भविष्य की परिकल्पना के लिये इस्तेमाल करना, जहाँ सभी बच्चों के पास जगह और अवसर होंगे, जहाँ सभी बच्चे जियेंगे और फलेंगे-फूलेंगे, जहाँ उनके कल के भविष्य को सुरक्षित करने क लिये आज निवेश किया जाएगा.”
इस वर्ष कोविड-19 के कारण दुनिया भर में भारी उठापठक हुई है, जिसके मद्देनज़र यूनीसेफ़ बच्चों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक व्यवहारिक व ठोस समाधानों वाली योजना पेश की है.
“निर्णय-निर्धारकों को बच्चों व युवाओं की बात सुनने के साथ शुरुआत करनी होगी और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करना होगा.”
यूनीसेफ़ के मुताबिक ऐसा किया जाना इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्चों को महामारी के दुष्प्रभावों के साथ दशकों तक रहना पड़ सकता है.
यूनीसेफ़ ने सभी बच्चों की पढ़ाई-लिखाई सुनिश्चित करने के लिये कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई है.
इसके तहत डिजिटल खाई को पाटना, स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं की सुलभता की गारण्टी देना, वैक्सीन को किफ़ायती व हर बच्चे के लिये उपलब्ध बनाना, बच्चों व युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को सहारा देना और उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार, हिंसा व उपेक्षा पर विराम लगाना है.
इस बीच दुनिया भर में इस दिवस पर सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म पर सन्देश साझा किये जा रहे हैं जिनमें बच्चों के लिये समर्थन व कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है
भारत के पूर्व क्रिकेट सुपरस्टार और दक्षिण एशिया के लिये यूनीसेफ़ के सदभावना दूत सचिन तेन्दुलकर ने कहा है कि बच्चे दुनिया के सबसे अधिक मूल्यवान संसाधन हैं और हमारे भविष्य के लिये सर्वश्रेष्ठ आशा हैं.
अतीत के वर्षों के अनुरूप दुनिया में बड़े ऐतिहासिक स्मारकों को नीली रौशनी में जगमगाया जा रहा है जिसके ज़रिये बच्चों के अधिकारों के प्रति समर्थन दर्शाया गया है.