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महामारी लम्बी खिंचने से एक पूरी पीढ़ी के भविष्य पर जोखिम

तुर्की की राजधानी इस्ताम्बूल में कोविड-19 महामारी के दौरान एक 7 वर्षीय बच्चा खिड़की से बाहर देखते हुए. स्कूल बन्द होने, स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं में व्यवधान होने के कारण दुनिया भर में करोड़ों बच्चे प्रभावित हुए हैं.
UNICEF
तुर्की की राजधानी इस्ताम्बूल में कोविड-19 महामारी के दौरान एक 7 वर्षीय बच्चा खिड़की से बाहर देखते हुए. स्कूल बन्द होने, स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं में व्यवधान होने के कारण दुनिया भर में करोड़ों बच्चे प्रभावित हुए हैं.

महामारी लम्बी खिंचने से एक पूरी पीढ़ी के भविष्य पर जोखिम

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनीसेफ़ ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से संक्रमित होने वाले बच्चों में लक्षण तो मामूली ही नज़र आ रहे हैं, लेकिन संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, साथ ही उनकी शिक्षा और पोषण पर भी दीर्घकालीन प्रभाव बढ़ रहा है, और युवाओं की एक पूरी पीढ़ी का स्वास्थ्य व रहन-सहन उनके पूरे जीवन को ही बदल देने वाला होने की आशंका है. 

यूनीसेफ़ ने 20 नवम्बर को मनाए जाने वाले विश्व बाल दिवस के अवसर पर गुरूवार को जारी एक रिपोर्ट में दर्शाया है कि कोरोनावायरस महामारी के बच्चों पर कितने घातक व बढ़ते प्रभाव हो रहे हैं जबकि महामारी दूसरे वर्ष में भी दाख़िल होने के कगार पर है.

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यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोर ने कहा है, “कोविड-19 के दौरान पूरे समय ये ग़लत सोच बनी रही कि बच्चे इस महामारी से बहुत कम प्रभावित होंगे. ये सोच या ख़याल, कोरा झूठ होने के सिवाय कुछ नहीं हो सकता.”

“बच्चे भी बीमार हो सकते हैं, और उनसे भी बीमारी फैल सकती है, ये महामारी के विशालकाय आकार का केवल एक पक्ष है.

बुनियादी सेवाओं में व्यवधान और बढ़ती ग़रीबी के कारण बच्चों के लिये सबसे ज़्यादा जोखिम पैदा हो रहा है. जितने लम्बे समय तक ये महामारी रहेगी, उतना ही ज़्यादा असर बच्चों कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और उनके रहन सहन पर पड़ेगा. एक पूरी पीढ़ी के भविष्य पर ख़तरा मंडरा रहा है.”

पीढ़ी को बचाना होगा  

यूनीसेफ़ ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि 3 नवम्बर तक उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार 87 देशों में, 20 वर्ष से कम उम्र के युवाओं व किशोरों में हर 9 में से 1 को कोविड का संक्रमण था. या यूँ कहें कि उन देशों में ये संक्रमण 11 प्रतिशत था. 

यूनीसेफ़ का कहना है कि वैसे तो कोरोनावायरस बच्चों से एक दूसरे में और ज़्यादा उम्र वाले लोगों में भी फैल सकता है, लेकिन ऐसे मज़बूत सबूत भी हैं कि अगर पुख़्ता सुरक्षा और ऐहतियाती उपायों के साथ स्कूल खुले रखे जाएँ तो बन्द रखने के मुक़ाबले ज़्यादा लाभ हैं.

संगठन ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि सामुदायिक संक्रमण के फैलाव के मुख्य कारण स्कूल नहीं है, और बच्चों में संक्रमण स्कूलों से बाहर के स्थानों से वायरस फैलने की ज़्यादा सम्भावना है.

चिन्ताजनक तथ्य

साथ ही, 140 देशों में किये गए सर्वेक्षण से मिले आँकड़ों का इस्तेमाल करके रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि बच्चों के लिये ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सेवाओं में आए व्यवधान के कारण बच्चों के लिये सर्वाधिक गम्भीर जोखिम पैदा हो गया है.

कम से कम एक तिहाई देशों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता व दायरे में 10 प्रतिशत तक की गिरावट आई है, इनमें टीकाकरण और मरीज़ों को दैनिक स्तर पर मिलने वाली बाहरकी स्वास्थ्य सेवाएँ भी शामिल हैं.

महिलाओं व बच्चों के लिये पोषण सेवाओं का दायरा भी कम हुआ है, जिनमें स्कूलों में मिलने वाला भोजन व विटामिन और अन्य पोषक पदार्थ भी शामिल हैं क्योंकि सामाजिक सेवाएँ मुहैया कराने वाले अधिकारियों की बच्चों के घरों के दौरे कम हुए हैं.

केनया के नैरोबी शहर में 11 साल का बच्चा अपनी कक्षा 6 की पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करते हुए, घर पर पढ़ाई कर रहा है. वह ऑनलाइन शिक्षा नहीं ले सकता क्योंकि उसके परिवार के पास कोई मोबाइल फोन नहीं है.
© UNICEF/Everett
केनया के नैरोबी शहर में 11 साल का बच्चा अपनी कक्षा 6 की पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करते हुए, घर पर पढ़ाई कर रहा है. वह ऑनलाइन शिक्षा नहीं ले सकता क्योंकि उसके परिवार के पास कोई मोबाइल फोन नहीं है.

वैश्विक स्तर पर, लगभग 57 करोड़ बच्चे, यानि दुनिया भर में स्कूली शिक्षा के लिये पंजीकृत बच्चें की लगभग 33 प्रतिशत संख्या, 30 देशों में स्कूल बन्द होने से प्रभावित हुए हैं.

ये आँकड़े नवम्बर 2020 के हैं. बहुपक्षीय ग़रीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या अनुमानतः 15 प्रतिशत बढ़ गई है.

बच्चों की ज़रूरतों को प्राथमिकता

रिपोर्ट में चिन्ताजनक जानकारी सामने आने के सन्दर्भ में यूनीसेफ़ ने तमाम देशों की सरकारों और साझीदारों का आहवान किया है कि वो कोविड-19 संकट का सामना करने के लिये ठोस कार्रवाई करें.

यूएन एजेंसी ने ऐसे हालात सुनिश्चित किये जाने का आहवान किया है जिसमें सभी बच्चों की शिक्षा जारी रह सके, और डिजिटल खाई भी पाटने का आहवान किया गया है. संगठन ने देशों से बच्चों व परिवारों को पोषण, पीने का साफ़ व सुरक्षित पानी के साथ-साथ, स्वास्थ, स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई सेवाएँ भी सुनिश्चित करने की पुकार लगाई है. टीकाकरण भी हर बच्चे को किफ़ायती बनाने के साथ-साथ आसानी से उपलब्ध कराने का भी आहवान किया गया है.

इन सबके साथ, सभी बच्चों व किशोरों को मानसिक स्वास्थ्य सुविधा, और हिंसा व नज़रअन्दाज़ किये जाने के माहौल से बचाने की भी माँग की गई है. संघर्षों, आपदाओं व विस्थापन के हालात में जीने वाले परिवारों और बच्चों को भी सहायता में बढ़ोत्तरी किये जाने का आहवान किया गया है.

यूनीसेफ़ ने बच्चों में ग़रीबी को पलटने की ज़रूरत पर ध्यान दिलाते हुए, महामारी से उबरने में सभी को साथ लेकर चलने का आहवान किया गया है.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फ़ोर ने कहा है, “इस वर्ष विश्व बाल दिवस पर, हमने देशों की सरकारों और साझीदारों के साथ-साथ निजी सैक्टर से बच्चों और उनकी ज़रूरतों को प्राथमिकताओं पर रखने को कहा है.”

“ऐसे में जबकि हम सभी अपने भविष्य के बारे में फिर से सोच-विचार कर रहे हैं और महामारी से मुक्त विश्व की तरफ़ देख रहे हैं, बच्चे सर्वोच्च प्राथमिकता पर होने चाहिये.