डीआर काँगो: इबोला के फैलाव पर पूरी तरह क़ाबू पाने में मिली सफलता

काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य (डीआरसी) की सरकार ने देश में घातक इबोला वायरस का प्रकोप ख़त्म होने की घोषणा की है. सरकार ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य साझीदार संगठनों के समर्थन से पाँच महीने की जवाबी कार्रवाई के बाद इस आशय की घोषणा की है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने अपने एक ट्वीट सन्देश में कहा, “यह बड़ी उपलब्धि दिखाती है कि एक साथ मिलकर हम किसी भी स्वास्थ्य चुनौती पर पार सकते हैं.”
#Ebola outbreak in Equateur Province, 🇨🇩 is over. This followed the end of the most complex Ebola outbreak in North Kivu in June. I invite you to read these powerful stories of those working to end the latest outbreak, including #healthworkers & survivors. https://t.co/WnvLG5ysFq
DrTedros
डीआरसी के पश्चिमोत्तर इक्वेचर प्रान्त में जून 2020 के शुरुआती दिनों में बीमारी फैली थी जिससे इबोला के 130 मामलों की पुष्टि हुई और यह वायरस 55 लोगों की मौत का कारण बना.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने एक बयान में कहा है कि जवाबी कार्रवाई का एक प्रमुख हिस्सा बीमार होने का जोखिम झेल रहे 40 हज़ार से ज्यादा लोगों का टीकाकरणव करना था.
कोविड-19 के लिये सम्भावित वैक्सीन की तरह इबोला वैक्सीन को ख़राब होने से बचाने के लिये बेहद ठण्डे तापमान पर रखने की आवश्यकता होती है.
अफ़्रीका के लिये यूएन एजेंसी के क्षेत्रीय निदेशक ने बताया कि दुनिया के सबसे ख़तरनाक पैथोजन में से एक पर दूरदराज़ और पहुँच से दूर इलाक़ों पर क़ाबू पा लेना दर्शाता है कि जब विज्ञान और एकजुटता का तालमेल होता है तो बहुत कुछ सम्भव है.
इबोला वैक्सीन को बेहद ठण्डे तापमान में रखने के लिये इस्तेमाल की गई तकनीक अफ़्रीका में कोविड-19 वैक्सीन के लिये भी मददगार साबित होने की उम्मीद है.
यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 के समानान्तर इबोला से निपटना आसान काम नहीं रहा है लेकिन एक बीमारी से निपटने के लिये तैयार विशेषज्ञता का उपयोग दूसरी बीमारी पर क़ाबू पाने के लिये भी किया जा सकता है. इसके अलावा यह आपात हालात से निपटने की तैयारियों और स्थानीय क्षमता विकास की अहमियत को दर्शाता है.
दोनों बीमारियों से निपटने के लिये संक्रमित लोगों को ढूँढना, उन्हें अलग रखना, परीक्षण करना, हर संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करना और उनके सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाना है.
यह 11वीं बार है जब डीआरसी में इबोला का फैलाव हुआ और इसके राजधानी किन्शासा तक पहुँचने की आशंका जताई गई थी, लेकिन फिर इस पर क़ाबू पा लिया गया.
इबोला से निपटने के प्रयासों में कोविड-19 महामारी और दूरदराज़ के घने वर्षावन वाले इलाक़ों में बसी आबादियों के कारण मुश्किलें पेश आईं. बहुत से इलाक़ों तक पहुँचना आसान नहीं था और वहाँ नाव या हैलीकॉप्टर के ज़रिये ही पहुँचा जा सकता था.
इसके अलावा दूरसंचार क्षमता सीमित थी और स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल के कारण ये प्रयास और भी चुनौतीपूर्ण हो गए.