सात देशों में अकाल को टालने के लिये 10 करोड़ डॉलर की रक़म जारी

संयुक्त राष्ट्र ने 7 देशों में अकाल का जोखिम टालने के लिये मंगलवार को 10 करोड़ डॉलर की रक़म जारी की है. ये ऐसे देश हैं जहाँ लड़ाई-झगड़ों, संघर्ष, युद्ध, आर्थिक पतन, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी के हालात ने भुखमरी का संकट पैदा कर दिया है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता संयोजन कार्यों (OCHA) के प्रमुख मार्क लोकॉक ने ने कहा है कि 8 करोड़ डॉलर की रक़म अफ़ग़ानिस्तान, बुर्किना फ़ासो, काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान और यमन के लिये निर्धारित की गई है.
Humankind’s greatest success was to consign famine to history. That we now face it again is heart-wrenching and obscene when we produce enough food to nourish every person on the planet. My op-ed with @WFPChief for @thetimes: https://t.co/XAIHLy980V
UNReliefChief
इसमें सबसे ज़्यादा रक़म 3 करोड़ डॉलर की रक़म यमन को मिलेगी.
इसके अलावा 2 करोड़ डॉलर की रक़म इथियोपिया के लिये रखी गई है जहाँ सूखा द्वारा, पहले से ही नाज़ुक स्थिति को और ज़्यादा ख़राब कर देने का जोखिम है.
मार्क लोकॉक ने एक वक्तव्य में कहा, “एक ऐसी दुनिया में लौट जाना जहाँ अकाल एक सामान्य स्थिति बन जाए, दिल दहला देने वाला होगा, और एक ऐसी दुनिया देखना और भी ज़्यादा वीभत्स होगा जहाँ हर किसी की ज़रूरत पूरी करने के लिये भरपूर मात्रा में खाद्य संसाधन मौजूद हैं.”
उन्होंने कहा, “अकाल की परिणति बहुत तकलीफ़ों और बेहद शर्मनाक मौतों के रूप में होती है. अकाल के कारण संघर्ष और युद्ध भड़कते हैं. अकाल के कारण बड़े पैमाने पर लोग विस्थापित होते हैं. किसी भी देश पर अकाल का प्रभाव बेहद विनाशकारी और दीर्घकालीन होता है.”
“किसी को भी ये नहीं समझ लेना चाहिये कि कहीं भी अकाल की स्थिति इस महामारी का एक पक्षीय प्रभाव है, अगर कहीं अकाल के हालात पैदा होते हैं तो इसलिये कि दुनिया ने ऐसा होने दिया है या होगा.”
मानवीय सहायता एजेंसी (OCHA) ने एक वक्तव्य में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के केन्द्रीय आपदा राहत कोष (CERF) से ये रक़म जारी किया जाना, अकाल के हालात को रोकने के लिये, सबसे तेज़ और प्रभावशाली रास्ता है, क्योंकि बुर्किना फ़ासो को कुछ हिस्सों, नाइजीरिया के पूर्वोत्तर हिस्से, दक्षिण सूडान और यमन में अकाल का वास्तविक जोखिम पैदा हो गया है.
दक्षिण सूडान के कुछ हिस्सों में वर्ष 2017 में अकाल घोषित किया गया था.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने कहा है कि दुनिया इस समय बहुत उथल-पुथल के दौर से गुज़र रही है.
डेविड बीज़ली ने एक ट्वीट सन्देश में लिखा है, “इसीलिये हमें अपना ध्यान फिर से तेज़ व केन्द्रित करना होगा और बेलगाम बर्फ़ीली चट्टानों से बचने के लिये अपने प्रयास तेज़ करने होंगे – अकाल, भुखमरी व कुपोषण, अस्थिरता और विस्थापन व प्रवासन जैसे बर्फ़ीले पहाड़.”
मार्क लोकॉक और डेविड बीज़ली ने लन्दन के एक समाचार-पत्र टाइम्स में प्रकशित एक लेख में लिखा है कि मानवता की एक महान कामयाबी अकाल को अतीत में समेट देना रही है.
“लेकिन कोविड-19 महामारी और उसका मुक़ाबला करने के लिये लागू की गईं पाबन्दियों, कम होती आमदनियों और खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों ने आग में घी डालने का काम किया है. अगर इस आग को अपनी जड़ें जमाने के लिये छोड़ दिया जाएगा तो लाखों बच्चे मौत के गर्त में समा जाएँगे.”
उन्होंने लिखा है, “नोबेल पुरस्कार समिति ने विश्व खाद्य कार्यक्रम को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा करते समय कहा था कि ये एजेंसी दुनिया की निगाहें उन लाखों लोगों की तरफ़ मोड़ना चाहते थे जो भुखमरी का सामना कर रहे हैं और इसके जोखिम में जी रहे हैं.”
“हम इससे पूरी तरह समहत हैं. जब 25 करोड़ से भी ज़्यादा लोग अपना वजूद बचे रहने या मिट जाने के बिल्कुल किनरे पर लटके रहने जैसा जीवन जी रहे हैं, ऐसे में भला उनसे कैसे नज़रें फेरी जा सकती हैं, मुँह मोड़कर चले जाना तो बिल्कुल मुमकिन नहीं है.”