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सर्वाइकल कैन्सर से छुटकारा पाने की रणनीति, बचाई जा सकेंगी लाखों जानें

रवाण्डा में एक युवा लड़की को एचपीवी की वैक्सीन दी जा रहीहै और अन्य स्कूली छात्राएँ भी अपनी बारी का उत्सुकता और घबराहट में इन्तज़ार कर रही हैं.
© UNICEF/Laurent Rusanganwa
रवाण्डा में एक युवा लड़की को एचपीवी की वैक्सीन दी जा रहीहै और अन्य स्कूली छात्राएँ भी अपनी बारी का उत्सुकता और घबराहट में इन्तज़ार कर रही हैं.

सर्वाइकल कैन्सर से छुटकारा पाने की रणनीति, बचाई जा सकेंगी लाखों जानें

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सर्वाइकल कैन्सर से छुटकारा पाने के लिये मंगलवार को एक रणनीति पेश की है जिसके ज़रिये वर्ष 2050 तक इस कैंसर से अनुमानतः 50 लाख महिलाओं व लड़कियों को मौत के मुँह से बचाया जा सकेगा.

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संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने एक वक्तव्य में कहा है, “किसी समय, किसी भी तरह के कैन्सर को दूर करना असम्भव लगता था, लेकिन अब हमारे पास सपनों को वास्तविकता में तब्दील करने में सक्षम किफ़ायती और प्रमाण-आधारित औज़ार उपलब्ध हैं.”

इस रणनीति को पिछले सप्ताह विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली के सत्र में सदस्य देशों ने समर्थन दिया है. इसमें 90 प्रतिशत लड़कियों को 15 वर्ष की उम्र होने तक वैक्सीन दी जाएगी, 70 प्रतिशत महिलाओं की स्क्रीनिंग, 35 वर्ष की उम्र होने तक की जाएगी, और फिर 45 वर्ष की उम्र होने तक भी.

साथ ही, सर्वाइकल कैन्सर बीमारी की शिनाख़्त होने वाली 90 प्रतिशत महिलाओं का इलाज किया जाएगा.

मील का पत्थर

विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहायक महानिदेशक डॉक्टर प्रिन्सेस नॉथेम्बा सिमेलेला ने प्रैस वार्ता में कहा, “वैश्विक स्वास्थ्य के लिये ये एक मील का बड़ा पत्थर है, क्योंकि पहली बार विश्व एक ऐसे कैन्सर से छुटकारा पाने पर सहमत हुआ है जिसे वैक्सीन के ज़रिये रोका जा सकता है, और केवल ऐसा कैन्सर जिसका इलाज

शुरुआत में ही किया जा सकता है.”
उन्होंने कहा, “एक वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय के रूप में, हमारे पास, इस कैन्सर से होने वाली तकलीफ़ें दूर करने का एक अवसर मौजूद है.”

वर्ष 2018 से लिये गए ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, 5 लाख 70 हज़ार महिलाओं को सर्वाइकल कैन्सर हुआ जिनमें से 3 लाख 11 हज़ार महिलाओं की मौत हो गई. अगर इसकी रोकथाम के लिये ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो, वर्ष 2030 तक, हर साल सर्वाइकल कैन्सर के मामलों की संख्या 7 लाख, और इसके कारण होने वाली मौतों की संख्या 4 लाख तक पहुँच जाने का अनुमान है.

इस बीमारी की रोकथाम करके बहुत से आर्थिक लाभ होने की भी उम्मीद जताई गई है क्योंकि महिलाओं के लिये आमदनी वाले कामकाज करना ज़्यादा आसान होगा. सर्वाइकल कैन्सर की रोकथाम के उपायों पर ख़र्च किये जाने वाले हर एक डॉलर के बदले 3 डॉलर 20 सेण्ट, या कुल मिलाकर परिवारों, समुदायों और समाजों को 26 डॉलर की आमदनी होने के अनुमान व्यक्त किये गए हैं.

सर्वाइकल कैन्सर दुनिया भर में महिलाओं में होने वाली चौथी आम कैन्सर बीमारी है. उच्च आय वाले देशों की तुलना में निम्न व मध्य आमदनी वाले देशों में सर्वाइकल कैन्सर से होने वाली मौतों की दर तीन गुना ज़्यादा होती हैं.

सर्वाइकल कैन्सर दो तरह के वायरसों (एचपीवी) के कारण होती है जोकि यौन संक्रमण के ज़रिये शरीर में दाख़िल होते हैं. ये संक्रमण 100 से भी ज़्यादा रूपों में मौजूद है और इसके लक्षण बहुत तकलीफ़देह हो सकते हैं.

कोलम्बिया के कैन्सर संस्थान में सर्वाइकल कैन्सर शोध केन्द्र का एक दृश्य.

डॉक्टर सिमेलेला ने बताया कि एचपीवी नामक वायरस का मुक़ाबवला करने के लिये पहले से ही तीन वैक्सीन उपलब्ध हैं और अनेक अन्य पर शोध कार्य चल रहे हैं, मगर इस समय इन वैक्सीन की उपलब्धता धनी देशों में ज़्यादा है, और निर्धन देशों को ये वैक्सीन मुहैया कराने में मदद करने के लिये दुनिया को एक साथ आने का साहस दिखाना होगा. 

आर्टिफ़िशियल इण्टैलीजेंस की भूमिका

डॉक्टर प्रिन्सेस नॉथेम्बा सिमेलेला ने कहा कि एक नई प्रोद्योगिकी भी उपलब्ध है जोकि Artificial Intelligence यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित है. महिलाओं की सर्वाइकल कैन्सर स्क्रीनिंग में इस प्रोद्योगिकी का सहारा लिया जा सकता है.

“और अगर इन प्रोद्योगिकियों का इस्तेमाल किया जाता है तो सर्विकल कैन्सर का पता 15 से 20 मिनट के भीतर किया जा सकता है.” 

उनका कहना है कि ऐसा करने से, मौजूदा स्क्रीनिंग में लगने वाले समय की तुलना में बहुत से फ़ायदे होंगे, जोकि एक महीना या उससे भी ज़्यादा होता है, ख़ासतौर से, अगर महिलाएँ अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केन्द्र से भी काफ़ी दूर रहती हैं.