कोविड-19: फैलते संक्रमण के बीच ‘बेफ़िक्र’ होकर बैठने का समय नहीं

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने सचेत किया है कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में वैक्सीन परीक्षणों के उत्साहजनक नतीजों और सम्भावित नए औज़ारों से उपजी उम्मीद के बावजूद, यह समय संतुष्ट हो कर बैठ जाने का नहीं है.
महानिदेशक डॉक्टर घेबरेयेसस नेसोमवार को जिनीवा में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए योरोपीय और अमेरिकी क्षेत्र के देशों में संक्रमण के बढ़ते मामलों पर चिन्ता जताई है.
Media briefing on #COVID19 with @DrTedros https://t.co/omNYXHvWf9
WHO
कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों से स्वास्थ्यकर्मियों और स्वास्थ्य प्रणालियों पर भीषण बोझ हैं और हालात चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं.
स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक ने सोमवार को पत्रकारों को बताया, “इस क्षण जब कुछ देशों ने पूर्ण समाज पर पाबन्दियाँ लगा दी हैं, प्रमुख प्रणालियों को पुख़्ता बनाने के लिये फिर से समय हासिल हुआ है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके साझेदार संगठन राष्ट्रीय प्रशासनिक ढाँचों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि बीमार पड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों को उपयुक्त देखभाल व इलाज मिल सके.
ऐसा करने से सुरक्षित और असरदार वैक्सीन की उपलब्धता के बाद स्वास्थ्य प्रणालियाँ तैयार करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने परीक्षण, संक्रमितों को अलग रखने, उनके सम्पर्क में आए लोगों की खोज करने और उपचार जैसे बुनियादी उपायों की अहमियत को फिर रेखांकित किया है और कहा है कि जिन देशों ने ये उपाय अपनाए हैं उन्हें कम व्यवधान का सामना करना पड़ रहा है.
“जो देश इस वायरस को बेक़ाबू ढँग से फैलने दे रहे हैं वो आग से खेल रहे हैं.”
यूएन एजेंसी प्रमुख ने ज़ोर देते हुए कहा है कि स्वास्थ्यकर्मियों को हरसम्भव समर्थन मुहैया कराए जाने की ज़रूरत है, साथ ही स्कूल खुले रखने होंगे, निर्बलों की रक्षा करनी होगी और अर्थव्यवस्था को सहारा देना होगा.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कोविड-19 वैक्सीन पर ताज़ा ख़बर का स्वागत किया है जिसमें उसके असरदार होने की पुष्टि की गई है, इसके अलावा अन्य सम्भावित उपचारों पर परीक्षण के आँकड़ों का इन्तज़ार किया जा रहा है.
बायोटैक कम्पनी मोडेर्ना ने सोमवार को घोषणा की है कि अन्तरिम नतीजे दर्शाते हैं कि उसके द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन 95 फ़ीसदी तक असरदार साबित हुई है.
इससे पहले फ़ाइज़र और बायोएनटैक ने भी अपनी वैक्सीनों के सफल परीक्षणों की घोषणा की थी.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में इस ख़बर को उत्साहजनक बताया है लेकिन सतर्कता बरते जाने के लिये भी कहा है.
उन्होंने कहा कि अभी यह देखा जाना होगा कि वैक्सीन अन्तत: कितनी असरदार साबित होती है और यह तभी किया जा सकता है जब आँकड़ों का पूरी तरह विश्लेषण किया जाए.
साथ ही वैक्सीन परीक्षण में हिस्सा लेने वाले लगभग आधे लोगों पर लगभग दो महीनों तक नज़र रखी जाए कि कहीं वैक्सीन के दुष्प्रभाव के मामले तो सामने नहीं आए हैं.
इसके बाद वैक्सीन को नियामक एजेंसियों के पास भेजा जाएगा.
मोडेर्ना कम्पनी द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन उन नौ वैक्सीनों में शामिल है जिन्हें COVAX Facility के तहत विकसित किया जा रहा है.
न्यायोचित ढँग से वैक्सीन वितरण के लिये यह एक ऐसी वैश्विक पहल है जिसे वैक्सीन अलायन्स (GAVI), Coalition for Epidemic Preparedness Innovations (CEPI), और विश्व स्वास्थ्य संगठन की अग्रणी भूमिका है.
170 से ज़्यादा देश अब इस पहल का हिस्सा हैं जिनमें 92 निम्न और मध्य आय वाले देश हैं.
डॉक्टर स्वामीनाथन ने कहा है कि अन्य वैक्सीन परीक्षणों के नतीजे भी आने वाले हफ़्तों में उपलब्ध होंगे.
उनके मुताबिक COVAX Facility के पास ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में असरदार वैक्सीनें उपलब्ध होना अहम है, क्योंकि कुछ वैक्सीन कुछ ख़ास परिस्थितियों या जनसमूहों (जैसेकि वृद्धजनों) में कारगर होंगी.
उनका मानना है कि वर्ष 2021 के पहले छह महीनों में भी बेहद सीमित संख्या में ही ख़ुराकें उपलब्ध होने की सम्भावना है.
ग़ौरतलब है कि बहुत से देशों ने पहले ही कुछ कम्पनियों से द्विपक्षीय समझौते किये हैं जिसकी वजह से वैक्सीनें पहले उनके लिये उपलब्ध कराई जाएँगी.