नए एशियाई व्यापार समूह की निवेश बढ़ाने में हो सकती है अहम भूमिका

एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के एक व्यापक हिस्से में फैला हुआ नया व्यापार समूह (Trade bloc) निर्धन अर्थव्यवस्थाओं में विकास सम्भव बनाने और कोविड-19 महामारी के गुज़रने के बाद अर्थव्यवस्थाओं में स्फूर्ति भरने में अहम भूमिका निभा सकता है. व्यापार एवँ विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा सोमवार को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
ग़ौरतलब है कि रविवार को ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी’ (Regional Comprehensive Economic Partnership - RCEP) समझौते पर रविवार को 15 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं.
The just-signed #RCEP is one of the world’s largest trade and investment agreements, uniting 15 Asian nations.An @UNCTAD report assesses its potential to boost FDI flows and help with the #COVID19 recovery. https://t.co/PiihHv1JoL pic.twitter.com/q7aDNahWpv
UNCTAD
इनमें चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम और दक्षिण कोरिया सहित अन्य देश हैं. इन देशों में कुल मिलाकर दो अरब 30 करोड़ लोग बसते हैं और यह क्षेत्र योरोपीय संघ के आकार से पाँच गुणा बड़ा है.
रिपोर्ट के मुताबिक RCEP समझौते से कोविड-19 के गुज़र जाने के बाद आर्थिक प्रगति को पटरी पर लाने, क्षेत्र में व्यापार में नई ऊर्जा भरने, वैश्विक व्यापार तनावों के दौर में निवेश सम्पर्कों को मज़बूती देने, व भविष्य में क्षेत्रीय सहयोग के लिये नया ढाँचा तैयार करने में मदद मिलेगी.
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नज़रिये से एशिया पहले से ही एक बेहद अहम स्थान है और वैश्विक महामारी के दौरान भी निवेश की दृष्टि से क्षेत्र का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा है.
RCEP समझौते की मदद से इसके सदस्य देशों को अतिरिक्त समर्थन मिलने और महामारी के गुज़रने के बाद नई स्फूर्ति मिलने की सम्भावना है.
इसके अतिरिक्त, RCEP समझौता सदस्य देशों के पास एक-दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं में निवेश करने का अवसर होगा, विशेष रूप से आसियान समूह के देशों में.
कोविड-19 के बाद निवेशकों द्वारा बुनियादी ढाँचों, स्वच्छ ऊर्जा और स्वास्थ्य देखभाल परियोजनाओं पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किये जाने की ज़रूरत है.
इसके अतिरिक्त बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ RCEP समूह के देशों में आपूर्ति श्रृंखला को ज़्यादा सुदृढ़ बनाने के लिये सम्पत्तियों को ख़रीद कर उन्हें विकसित करने का प्रयास करेंगी.
रिपोर्ट के मुताबिक RCEP निवेश प्रयासों में नई ऊर्जा भर सकता है.
RCEP समूह में तीन सबसे कम विकसित देश शामिल हैं: कम्बोडिया, म्याँमार, और लाओ लोकतान्त्रिक गणराज्य.
अन्य सदस्य देशों से उन्हें पहले से ही ज़्यादा निवेश हासिल होता रहा है लेकिन इस व्यापार समझौते के सृजन से वे वैश्विक वैल्यू श्रृंखला में ज़्यादा मज़बूत भूमिका निभा सकते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस साझेदारी के तहत आर्थिक सहयोग से परियोजनाओं के लिये वित्तीय संसाधनों का प्रबन्ध करने में मदद मिलेगी.
सम्भावना जताई गई है कि RCEP का उदय होने से कम्पनियाँ नई परियोजनाओं को शुरू करने में दिलचस्पी ज़ाहिर कर सकती हैं.
यह अनुमान इसलिये भी जताया गया है चूँकि हाल के वर्षों में बढ़ती क़ीमतों और व्यापार तनावों के कारण चीन के बजाय अन्य देशों में उत्पादन पर ज़ोर दिया जा रहा है.