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मोज़ाम्बीक़: हिंसा प्रभावित इलाक़ों में मानवाधिकार हनन और सुरक्षा हालात पर चिन्ता

यूएन शरणार्थी एजेंसी चरमपन्थी हिंसा से प्रभावित इलाक़ों में पीड़ितों तक मदद पहुंचा रही है.
© UNHCR/Deiliany Lazara de Souza
यूएन शरणार्थी एजेंसी चरमपन्थी हिंसा से प्रभावित इलाक़ों में पीड़ितों तक मदद पहुंचा रही है.

मोज़ाम्बीक़: हिंसा प्रभावित इलाक़ों में मानवाधिकार हनन और सुरक्षा हालात पर चिन्ता

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि उत्तरी मोज़ाम्बीक़ के काबो डेलगाडो प्रान्त में बदतर होते सुरक्षा हालात पर चिन्ता बढ़ रही है. यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने हिंसा प्रभावित इलाक़ों में आम लोगों के साथ क्रूरता बरते जाने और स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों, घरों व सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाये जाने पर क्षोभ ज़ाहिर किया है. 

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने शुक्रवार को चेतावनी जारी की है कि आम नागरिक, विशेषत: महिलाओं व बच्चों को दर्दनाक मानवाधिकार उल्लंघनों को सहना पड़ा है और उन पर अनेक हमले हुए हैं, उन्हें अगवा किया गया है और हथियारबन्द गुटों ने लोगों की सिर धड़ से अलग कर हत्याएँ की हैं. 

सशस्त्र गुटों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों की भी ख़बरें मिली हैं.  

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काबो डेलगाडो प्रान्त में मानवीय हालात पर भी चिन्ता ज़ाहिरी की गई है – यह इलाक़ा कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित है. 

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा, “यह बेहद अहम है कि राज्यसत्ता प्रशासन हिंसा प्रभावित इलाक़ों के भीतर और बाहर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और मानवीय राहत एजेंसियों को जीवनदायी सहायता और संरक्षा प्रदान करने के लिये निर्बाध रूप से कामकाज जारी रखने की गारण्टी दी जाये.”

वर्ष 2017 से अब तक साढ़े तीन लाख से ज़्यादा लोग प्रचुर गैस और खनिज सम्पदा से सम्पन्न इस क्षेत्र को छोड़कर जा चुके हैं. पिछले दो हफ़्तों में यहाँ हिंसक घटनाओँ में तेज़ी आई है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने सभी पक्षों के नाम एक अपील जारी करते हुए हथियारबन्द गुटों से नागरिकों की रक्षा के लिये तत्काल कार्रवाई की पुकार लगाई है. 

बदतर होते सुरक्षा हालात

उन्होंने कहा कि हज़ारों लोग अब भी हिंसाग्रस्त इलाक़ों में फँसे हुए हैं और कई दिनों से प्रभावितों के झाड़ियों में छिपे होने की रिपोर्टें हैं.

प्रभावित इलाक़ों में कथित रूप से हत्याओं को अंजाम दिये जाने, लूटपाट, घरों, सार्वजनिक व धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने, महिलाओं व लड़कियों को अगवा करने और उनके साथ दुर्व्यवहार किये जाने सहित बच्चों को जबरन गुटों में भर्ती किये जाने के मामले सामने आये हैं. 

उन्होंने कहा कि समुदायों तक पहुँचने में मुश्किलें पेश आ रही हैं इसलिये इस सम्बन्ध में मिली रिपोर्टों की पुष्टि कर पाना अभी मुश्किल है. 

उच्चायुक्त बाशेलेट ने आगाह किया है कि जो लोग अभी प्रभावित इलाक़ों में है उनके पास बुनियादी ज़रूरतों का अभाव है और हत्या, यौन दुर्व्यवहार, अपहरण जैसे ख़तरों का सामना कर रहे हैं. 

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यूएन एजेंसी के मुताबिक बहुत से ज़िले हथियारबन्द गुटों के क़ब्ज़े में हैं और वहाँ तक पहुँच पाना फ़िलहाल सम्भव नहीं है.  

आम लोग काबो डेलगाडो, नाम्पूला और नियासा प्रान्तों में फँसे हुए हैं और अनेक गाँवों में पिछले कुछ दिनों में हमलों के बाद हज़ारों लोग मुइडुम्बे ज़िले से भी जान बचाकर अन्य सुरक्षित इलाक़ों की ओर गये हैं. 

मानवाधिकार प्रमुख के मुताबिक मुइडुम्बे ज़िले में आम लोगों के साथ क्रूरता बरती गई और स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों, घरों व सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया. 

प्रभावितों की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने एक करोड़ 90 लाख डॉलर की अपील जारी की है. 

यूएन एजेंसी के मुताबिक इन इलाक़ों में रह रहे लोगों के अधिकारों का हनन हुआ है और उन्हें मदद व सुरक्षा का हक़ है. 

सशस्त्र गुटों व सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकार हनन के सभी कथित मामलों की अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के तहत स्वतन्त्र व पारदर्शी जाँच किये जाने और दोषियों की जवाबदेही तय किये जाने की माँग की गई है.