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विश्व न्यूमोनिया दिवस: मेडिकल ऑक्सीजन से नन्ही जानों की रक्षा सम्भव

प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाने, पर्याप्त पोषण और पर्यावरणीय कारकों को दूर कर न्यूमोनिया से रक्षा की जा सकती है.
WHO/Yoshi Shimizu
प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाने, पर्याप्त पोषण और पर्यावरणीय कारकों को दूर कर न्यूमोनिया से रक्षा की जा सकती है.

विश्व न्यूमोनिया दिवस: मेडिकल ऑक्सीजन से नन्ही जानों की रक्षा सम्भव

स्वास्थ्य

न्यूमोनिया एक गम्भीर स्वास्थ्य चुनौती है जिससे हर साल पाँच साल से कम उम्र के लगभग आठ लाख बच्चों की मौत होती है, लेकिन वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी ने इस घातक संक्रमण से निपटने के प्रयासों को और भी अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है.12 नवम्बर को ‘विश्व न्यूमोनिया दिवस’ पर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने आगाह किया है कि न्यूमोनिया संक्रमण के गम्भीर मामलों में हर साल 42 लाख से ज़्यादा बच्चों को ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है जिसे पूरा किया जाना होगा. 

बैक्टीरिया या वायरस के कारण होने वाले न्यूमोनिया से बच्चों के फेफड़ों में मवाद और द्रव्य भर जाता है और उन्हें साँस लेने में मुश्किलें पेश आती हैं. 

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इस दिवस पर अपने सन्देश में यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने कहा कि कोरोनोवायरस संकट पर जवाबी कार्रवाई और निर्बलों पर उसके असर से निपटने के प्रयासों के दौरान यह तथ्य नहीं भूला जाना चाहिये कि न्यूमोनिया हर दिन दो हज़ार से अधिक नन्ही ज़िन्दगियों की मौत के लिये ज़िम्मेदार है. 

यूनीसेफ़ के मुताबिक मेडिकल ऑक्सीजन और एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से न्यूमोनिया के गम्भीर मामलों से पीड़ित बच्चों की जान बचाई जा सकती है.

न्यूमोनिया के गम्भीर मामलों के इलाज के लिये ऑक्सीजन व उपचार की क़ीमत तीन-चार दिनों के लिये लगभग 35-40 डॉलर के आसपास आंकी गई है.

यूएन एजेंसी ने चिन्ता जताई है कि निर्धन परिवारों के लिये स्वास्थ्य सुविधाओं व ऑक्सीजन की सुविधा तक पहुँच मुश्किल है, उनकी क़ीमत बेहद अधिक है और ग़रीब देशों में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों का भी अभाव है. 

इसके अलावा, बड़े पैमाने पर कोविड-19 संक्रमण के मामलों के कारण ऑक्सीजन की माँग में बढ़ोत्तरी हुई है, जिससे उपलब्धता और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है. 

महामारी की शुरुआत से अब तक ऑक्सीजन की उपलब्धता में कमी आई है और उसकी क़ीमतों में भी बढ़ोत्तरी हुई है – विशेष रूप से उन देशों में जहाँ बड़ी संख्या में न्यूमोनिया के कारण मौते होती हैं. इनमें भारत, बांग्लादेश, नाइजीरिया सहित अन्य देश हैं. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कुछ निर्धनतम देशों में तो आवश्यकता का महज़ पाँच से 20 फ़ीसदी ऑक्सीजन ही उपलब्ध है. 

इसका एक समाधान मेडिकल ऑक्सीजन का किफ़ायती दरों पर उत्पादन है जिसे स्थानीय स्तर पर दुनिया के दूरदराज़ के हिस्सों में भी सुनिश्चित किया जा सकता है. 

कोविड-19 पर यूनीसेफ़ की जवाबी कार्रवाई के तहत ऑक्सीजन उपकरण (Concentrators) मुहैया कराये गये हैं जोकि पर्यावरण से हवा खींचकर और नाइट्रोजन को दूर कर ऑक्सीजन की निरन्तर आपूर्ति को सुनिश्चित करती हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन और साझीदार संगठनों ने 30 हज़ार से ज़्यादा उपकरणों का वितरण किया है. अब तक, यूनीसेफ़ ने 93 देशों में ऐसे 15 हज़ार से ज़्यादा उपकरणों की आपूर्ति की है. 

यूएन एजेंसी की प्रमुख ने कहा है कि मेडिकल ऑक्सीजन के ज़रिये इन ज़िन्दगियों को बचाया जा सकता है.