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कोविड-19 की अपेक्षा ज़्यादा गम्भीर होंगे जलवायु व्यवधान के दुष्परिणाम – यूएन प्रमुख

कैरीबियाई क्षेत्र में चक्रवाती तूफ़ान इरमा से हुई तबाही का दृश्य.
UN Photo/ Rick Bajornas
कैरीबियाई क्षेत्र में चक्रवाती तूफ़ान इरमा से हुई तबाही का दृश्य.

कोविड-19 की अपेक्षा ज़्यादा गम्भीर होंगे जलवायु व्यवधान के दुष्परिणाम – यूएन प्रमुख

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते और टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा की पाँचवी वर्षगाँठ की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा है कि आज लिये जाने वाले निर्णय दुनिया के लिये अगले 30 वर्षों और उसे परे की दिशा को तय करेंगे. महासचिव ने आगाह किया कि अगर हम इन लक्ष्यों को पाने में विफल रहते हैं तो फिर अर्थव्यवस्थाओं, समाजों और लोगों के जीवन में उत्पन्न होने वाला व्यवधान कोविड-19 के दुष्प्रभावों को भी पीछे छोड़े देगा. 

यूएन प्रमुख ने गुरुवार को पेरिस में आयोजित विकास बैन्कों के सम्मेलन ‘Finance in Common Summit’ को वर्चुअली सम्बोधित करते हुए कहा कि वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये यह ज़रूरी है कि वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 50 फ़ीसदी की गिरावट हो और वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता को हासिल किया जाये. 

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महासचिव ने कहा कि आर्थिक व सामाजिक संकट से उबरने में दुनिया की साझा ज़िम्मेदारी है कि प्रयासों को दोगुना किया जाये और टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने व टिकाऊ, समावेशी और सुदृढ़ भविष्य के रास्ते पर फिर लौटा जाये. 

“वायरस को हराने और बेहतर पुनर्बहाली के लिये वैश्विक एकजुटता एक अनिवार्यता है.” 

उत्साहजनक संकेत

यूएन प्रमुख ने प्रतिभागियों को बताया कि नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य का संकल्प करने वाले देशों की संख्या को बढ़ते देखना सुखद है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि योरोपीय संघ ने वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थ बनने का संकल्प लिया है और कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई को उस उद्देश्य से जोड़ा है.

इसके अलावा ब्रिटेन, जापान और कोरिया समेत 110 अन्य देशों ने वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता पाने का लक्ष्य रखा है जबकि चीन ने इसके लिये 2060 निर्धारित किया है. 

“इसका अर्थ यह है कि विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 50 फ़ीसदी और वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जनों का लगभग 50 फ़ीसदी अब नैट शून्य संकल्प के तहत है.” 

यूएन प्रमुख के मुताबिक बड़ी संख्या में शहर और व्यवसाय अब यह समझ रहे हैं कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है और फ़ायदा उठाने के लिये अवसर भी मौजूद हैं. 

हालांकि उन्होंने माना कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर प्रगति तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिये अभी वित्तीय संसाधनों के लिये निडर संकल्पों का अभी अभाव है.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि सार्वजनिक विकास बैन्क इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं और रियायती दरों पर वित्तीय सहायता उपलब्ध करा सकते हैं. 
“हमारी अर्थव्यवस्थाओं में फिर प्राण फूँकने और उन्हें कार्बन तटस्थ और टिकाऊ भविष्य के रास्ते पर ले जाने के लिये यह बेहद आवश्यक है.” 

अहम क़दम

इन लक्ष्यों को पाने के लिये महासचिव ने कार्रवाई के पाँच बिन्दुओं को साझा किया है.

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक विकास बैन्कों के शासनादेशों को टिकाऊ विकास लक्ष्यों और 2050 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने के अनुरूप बनाया जाना होगा. 

उन्होंने आपात हालात में सहायता राशि के इन्तेज़ाम की माँग और मन्ज़ूरी की सरल प्रक्रिया की ज़रूरत के प्रति ध्यान आकृष्ट किया. महासचिव ने कहा कि तात्कालिक राहत उपायों को प्राथमिकता दी जानी होगी, विशेष रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के मामले में. 

साथ ही उन्होंने याद दिलाया कि निर्बल समुदायों के लिये जलवायु अनुकूलन और उनकी सहनशीलता बढ़ाने के लिये सार्वजनिक विकास संसाधनों को भी नाटकीय रूप से बढ़ाया जाना होगा. 

इसके अतिरिक्त, पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जाना अहम है ताकि सार्वजनिक व निजी वित्तीय संसाधनों के ज़रिये टिकाऊ विकास लक्ष्यों और पेरिस समझौते को समर्थन प्रदान किया जा सके. 

अन्तिम बिन्दु के तौर पर उन्होंने सचेत किया कि इस प्रक्रिया में बेहतर आँकड़ों की उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण है.