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कार्बन तटस्थता हासिल करने के प्रयासों की गति बढ़ाने पर ज़ोर

कैनेडा के टोरंटो में एक फ़ैक्टरी परिसर में चिमनियों से निकलता धुआँ. (फ़ाइल)
UN Photo/Kibae Park
कैनेडा के टोरंटो में एक फ़ैक्टरी परिसर में चिमनियों से निकलता धुआँ. (फ़ाइल)

कार्बन तटस्थता हासिल करने के प्रयासों की गति बढ़ाने पर ज़ोर

जलवायु और पर्यावरण

वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता (नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने के लिये संकल्पित देशों की सरकारों और व्यवसायों की संख्या बढ़ रही है लेकिन दुनिया अब भी उस लक्ष्य की प्राप्ति से दूर है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में प्रयासों की पैरवी के लिये सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई पर ज़ोर दिया है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ‘रेस टू ज़ीरो’ सम्वाद की शुरुआत के दौरान अपने वीडियो सन्देश के ज़रिये यह बात कही है.

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यह सम्वाद उस वैश्विक मुहिम का हिस्सा है जिसके माध्यम से पेरिस समझौते के अनुरूप वर्ष 2050 तक नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य करने के लिये व्यवसायों, शहरों, क्षेत्रों और निवेशकों को लामबन्द किया जा रहा है.

महासचिव गुटेरेश ने बताया कि योरोपीय संघ, जापान, कोरिया गणराज्य सहित 110 देशों ने इस लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लिया है जबकि चीन ने कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के लिये 2060 तक लक्ष्य रखा है.

लक्ष्य से दूर

यूएन प्रमुख ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था का 50 फ़ीसदी और कुल वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग आधा हिस्सा नैट शून्य उत्सर्जन संकल्प के तहत आ गया है.

"और नैट शून्य संकल्प लेने वाली कम्पनियों की संख्या पिछले वर्ष में दोगुनी बढ़कर 1,100 से ज़्यादा हो गई है. लेकिन फिर भी हमें जहाँ होना चाहिये उससे हम अभी दूर हैं."

"हमारा लक्ष्य तापमान में बढ़ोत्तरी को पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में 1.5 डिग्री तक सीमित रखना है. आज हम कम से कम तीन डिग्री की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं."

ग़ौरतलब है कि 12 दिसम्बर 2015 को पेरिस समझौते की पाँचवी वर्षगाँठ है और ‘रेस टू ज़ीरो’ सम्वाद इसी सिलसिले में आयोजित कार्यक्रमों का हिस्सा है.

12 दिसम्बर को ही जलवायु महत्वाकाँक्षा शिखर बैठक भी आयोजित किये जाने की योजना है.

यह वर्चुअल सम्वाद सोमवार को उसी दिन शुरू हुआ है, जिस दिन जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक सम्मेलन (COP26) आरम्भ होना था. लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण कॉप-26 के कार्यक्रम में बदलाव किया गया और अब यह अगले वर्ष आयोजित किया जायेगा.

महासचिव ने कहा कि सम्मेलन का स्थगित होना कोविड-19 महामारी से आये व्यवधान को दर्शाता है.

"और ये सम्वाद रेखांकित करते हैं कि महामारी के प्रभावों से उबरने के हमारे कार्यों के दौरान जलवायु कार्रवाई पहले से कहीं ज़्यादा अहम है."

महत्वाकाँक्षा और कार्रवाई

‘रेस टू ज़ीरो’ सम्वाद के दौरान 100 से ज़्यादा वर्चुअल कार्यक्रम ऑनलाइन, विभिन्न टाइम ज़ोन में अगले 10 दिनों तक आयोजित किये जायेंगे.

इन सत्रों के दौरान परिवहन, स्वास्थ्य, ऊर्जा, उद्योग, महासागर, जल और खाद्य प्रणालियों सहित अन्य अहम सैक्टरों पर चर्चा होगी.

यूएन प्रमुख ने इन कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे लोगों से महत्वाकाँक्षा और कार्रवाई का दायरा बढ़ाने का आहवान किया है ताकि कार्बन पर निर्भरता कम करने के लिये विश्वसनीय योजनाओं को विकसित व आगे बढ़ाया जा सके.

"अपनी सप्लाई चेन और साझेदारों को इसके लिये जलवायु महत्वाकाँक्षा शिखर बैठक में समय रहते तैयार कीजिये, जिसकी मैं 12 दिसम्बर को सह-मेज़बानी कर रहा हूँ – पेरिस समझौते की पाँचवी वर्षगाँठ."

तेज़ी की दरकार

महासचिव गुटेरेश ने सम्वाद का सराहना करते हुए उन्हें जलवायु परिवर्तन से मुक़ाबले के लिये ज़रूरी रचनात्मक सहयोग का उदाहरण क़रार दिया है.

उन्होंने कहा कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं लेकिन इससे ज़्यादा तेज़ गति से क़दम बढ़ाने होंगे चूँकि कार्रवाई का समय हाथ से निकला जा रहा है.

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि सभी सरकारों, शहरों, वित्तीय संस्थानों और निजी सैक्टर को नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य करने के लिये भावी योजनाओं को तैयार करना होगा.