लीबियाई युद्धविराम समझौते को आगे बढ़ाने के क़दमों पर सहमति

लीबिया के लिये यूएन महासचिव की विशेष कार्यकारी प्रतिनिधि स्टैफ़नी विलियम्स संयुक्त सैन्य आयोग की बैठक में शिरकत करते हुए.
UNSMIL
लीबिया के लिये यूएन महासचिव की विशेष कार्यकारी प्रतिनिधि स्टैफ़नी विलियम्स संयुक्त सैन्य आयोग की बैठक में शिरकत करते हुए.

लीबियाई युद्धविराम समझौते को आगे बढ़ाने के क़दमों पर सहमति

शांति और सुरक्षा

लीबिया में युद्धरत पक्षों के सैन्य अधिकारियों ने अक्टूबर में जिनीवा में हुए ऐतिहासिक युद्धविराम समझौते को लागू करने के लिये ज़मीनी क़दम उठाने पर सहमति व्यक्त की है. लीबिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने ये जानकारी दी है. 

यूएन मिशन के अनुसार संयुक्त सैन्य आयोग की दो दिन की बैठक पश्चिमोत्तर शहर ग़ादामेस में मंगलवार शाम को सम्पन्न हुई.

इस सैन्य आयोग में राष्ट्रीय समझौते वाली सरकार और लीबियाई नेशलन आर्मी की तरफ़ से पाँच-पाँच सदस्य शामिल हैं. 

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लीबिया में यूएन मिशन की प्रमुख स्टैफ़नी विलियम्स ने बैठक समाप्त होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, “ये एक ऐसी प्रक्रिया की शुरुआत है जिसके लिये पक्का इरादा, साहस और हौसले के साथ-साथ बहुत काम करने की ज़रूरत होगी."

"और मैंने इन दो दिनों के दौरान जो देखा है, और मैंने जिनीवा में जो देखा था, वो इस युद्धविराम समझौते को लागू करने का इस टीम का पक्का इरादा है.”

सिफ़ारिशें और अनुरोध

लीबिया में पूर्व शासक मुअम्मार ग़द्दाफ़ी को वर्ष 2011 में सत्ता से हटाए जाने के बाद से ही वहाँ संकट चल रहा है जिसके परिणामस्वरूप दो सरकारें मौजूद हैं.

राजधानी त्रिपोली में राष्ट्रीय समझौते वाली सरकार का मुख्यालय है जिसे अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है. जबकि लीबियाई नेशनल आर्मी ने पूर्व में काफ़ी बड़े इलाक़े पर अपना नियन्त्रण किया हुआ है.

ये पहला मौक़ा है जब संयुक्त सैन्य आयोग की बैठक देश के भीतर ग़ादामेस में हुई है क्योंकि इससे पहले की बातचीत जिनीवा में हुई थी.

ये बैठक 12 सिफ़ारिशों के साथ सम्पन्न हुई जिनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से 23 अक्टूबर को हुए युद्धविराम समझौते के प्रावधानों को लागू करने वाला एक बाध्यकारी प्रस्ताव पारित करने के लिये तेज़ी से काम करने का अनुरोध भी किया गया है.

यूएन मिशन द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि इस बैठक में बातचीत युद्धविराम समझौते को आगे बढ़ाने के उपायों पर केन्द्रित रही, जिनमें उप समितियों का गठन किया जाना भी शामिल है.

निगरानी और पुष्टिकरण प्रणालियों पर भी विचार-विमर्श हुआ जिनमें अन्तरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की भी भूमिका होगी.

विदेशी सेनाओं की वापसी

एक ऐसी सैन्य उप समिति के गठन की भी सिफ़ारिश की गई है जो सेनाओं की वापसी उनके मुख्यालयों को किये जाने की निगरानी करेगी, साथ ही सम्पर्क लाइन से विदेशी सेनाओं की वापसी की भी निगरानी करेगी. 

यूएन दूत स्टैफ़नी विलियम्स ने पत्रकारों को बताया, “युद्धविराम समझौते में निजी लड़ाकों और विदेशी सेनाओं के हट जाने के लिये एक समय सीमा निर्धारित की गई है."

"इस सभी की निगरानी व्यवस्था के लिये हम सभी ने विस्तृत विचार-विमर्श किया है, लेकिन इस सम्बन्ध में सम्प्रभु लीबियाई अनुरोध भी मौजूद है जो हमने युद्धविराम समझौते में देखा है.”

उन्होंने कहा किअब ज़िम्मेदारी उन देशों और पक्षों के कन्धों पर है जो इन निजी लड़ाकों और सेनाओं को लीबिया में भेजने के लिये ज़िम्मेदार हैं, उन्हें लीबियाई अनुरोध का सम्मान करना ही होगा.

संयुक्त सैन्य आयोग की अगली बैठक यथाशीघ्र लीबिया के तटीय शहर सिरते में आयोजित किये जाने की योजना है.

बहुत काम बाक़ी है

स्टैफ़नी विलियम्स ने स्वीकार करते हुए कहा कि अभी बहुत लम्बा रास्ता तय करना है. साथ ही उन्होंने उम्मीद भी जताई कि सैन्य प्रतिनिधियों ने जो ज़िम्मेदारी की भावना और समझ दिखाई हैं, वो राजनैतिक सम्वाद में भी नज़र आएँगी.

उन्होंने कहा, “मैंने एक साथ मिलकर टीम भावना के साथ काम करने की योग्यता वाला ग़ज़ब का भरोसा व हौसला देखा है. इसे ज़मीनी रूप देना होगा, हमारे सामने करने के लिये बहुत काम है.”