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'पत्रकारों पर हमलों की क़ीमत समाजों को चुकानी पड़ती है'

कोविड-19 के दौरा में अपना काम करता एक फ़ोटोग्राफ़र
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कोविड-19 के दौरा में अपना काम करता एक फ़ोटोग्राफ़र

'पत्रकारों पर हमलों की क़ीमत समाजों को चुकानी पड़ती है'

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि जब पत्रकारों को हमलों को निशाना बनाया जाता है तो समूचे समाजों को क़ीमत चुकानी पड़ती है. यूएन प्रमुख ने सोमवार को 'पत्रकारों के ख़िलाफ़ दण्ड निडरता का अन्त' करने के लिये मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर ये बात कही है. 

यूएन महासचिव ने इस दिवस पर दिये अपने सन्देश में कहा है, “अगर हम पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करते हैं तो हमारे जानकार रहने और तथ्य आधारित निर्णय लेने की योग्यता गम्भीर रूप से प्रभावित होगी.”

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उन्होंने कहा कि जब पत्रकार आपना काम सुरक्षित तरीक़े से नहीं कर पाते तो हम ऑनलाइन और डिजिटल मंचों पर फैली - दुष्प्रचार, झूठी जानकारी और ग़लत सूचनाओं की महामारी का मुक़ाबला करने में एक महत्वपूर्ण रक्षा मोर्चा गँवा देते हैं.

स्वतन्त्र प्रैस ज़रूरी

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि वर्ष 2020 की पहली छमाही के दौरान ऐसे पत्रकारों पर कम से कम 21 हमले हुए जो प्रदर्शनों को कवर कर रहे थे.

जबकि वर्ष 2017 में पत्रकारों पर पूरे वर्ष के दौरान इतने हमले हुए थे.

यूएन प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को अपना काम करने के लिये नए जोखिम उत्पन्न कर दिये हैं.

उन्होंने ऐसी स्वतन्त्र प्रैस सुनिश्चित किये जाने का अपना आग्रह दोहराया जो शान्ति, न्याय, टिकाऊ विकास और मानवाधिकार सुनिश्चित करने में असरदार भूमिका निभा सके.  

उन्होंने कहा, “तथ्यों पर आधारित समाचार और विश्लेषण उन पत्रकारों की सुरक्षा पर निर्भर है जो स्वतन्त्र रिपोर्टिंग करते हैं, और उनका ये काम इस बुनियादी मन्त्र पर आधारित होता है कि – निडर व निष्पक्ष पत्रकारिता.”

ख़तरनाक परिणाम

संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने इस मौक़े पर अपने सन्देश में कहा है कि पत्रकारगण सटीक रिपोर्टिंग के ज़रिये सच सामने लाते हैं.

अलबत्ता, उन्होंने ये भी कहा कि बहुत से पत्रकारों को सच कहने के इस काम के लिये एक क़ीमत भी चुकानी पड़ती है.

यूनेस्को प्रमुख ने कहा कि वैसे तो पत्रकार सत्ता को सच का आईना दिखाने के लिये अदभुत व दायित्वपूर्ण भूमिका में होते हैं मगर अक्सर सत्ता और पत्रकार आँख से आँख मिलाकर नहीं चल पाते. 

ऑड्री अज़ूले ने बताया कि वर्ष 2010 से लेकर 2019 के बीच दुनिया भर में लगभग 900 पत्रकारों को उनका कामकाज करते हुए मार दिया गया, इनमें से लगभग 150 पत्रकारों की ज़िन्दगी पिछले दो वर्षों के दौरान छीन ली गई.

पत्रकारों के लिये जोखिम

यूनेस्को प्रमुख ने कहा कि वैसे तो बहुत से पत्रकारों को संघर्ष व युद्ध की स्थितियों की रिपोर्टिंग करते हुए अपनी जान गँवानी पड़ी है, मगर उनसे भी कहीं ज़्यादा ऐसे पत्रकारों को अपनी ज़िन्दगियों से हाथ धोना पड़ा है जो भ्रष्टाचार, मानव तस्करी, राजनैतिक घपलों, मानवाधिकार उल्लंघन और पर्यावरण मुद्दों को कवर कर रहे थे.

और, पत्रकारों के सामने, केवल मौत ही एक मात्र जोखिम नहीं है. 

यूनेस्को प्रमुख ने कहा, “प्रैस पर हमलों का रूप धमकियों, अपहरण, गिरफ़्तारियाँ, क़ैद, डराना-धमकाना, ऑनलाइन धमकियाँ भी होते हैं, जिनमें महिला को ख़ास निशाना बनाया जाता है.”

स्वतन्त्रता की हिफ़ाज़त

यूनेस्को प्रमुख ने कहा कि वैसे तो वर्ष 2019 के दौरान पत्रकारों की मौत संख्या पिछले लगभग एक दशक में सबसे कम रही, मगर उन पर हमलों का दायरा चिन्ताजनक तरीक़े से बढ़ा है.

पत्रकारों के विरुद्ध अपराधों के लिये दण्डमुक्ति समाप्त करने का अन्तरराष्ट्रीय दिवस.
© UNESCO
पत्रकारों के विरुद्ध अपराधों के लिये दण्डमुक्ति समाप्त करने का अन्तरराष्ट्रीय दिवस.

उन्होंने कहा कि पत्रकारों की हत्याओं के 8 में से 7 मामलों में, हमलावर या ज़िम्मेदार तत्वों को कोई दण्ड नहीं मिलता है, “हमें और ज़्यादा कार्रवाई करनी चाहिये और हम कर सकते हैं.“

उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बुनियादी अधिकार को बचाए रखने के लिये पत्रकारों की भूमिका बहुत ज़रूरी है. ये अधिकार मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र के अनुच्छेद 19 में वर्णित है.

“जब पत्रकारों पर दण्डमुक्ति के साथ हमले किये जाते हैं तो सभी इनसानों के लिये सुरक्षा और न्याय व्यवस्था में व्यवधान पैदा हो जाता है.”

दण्डमुक्ति का अन्त

यूनेस्को पत्रकारों के सामने दरपेश जोखिमों और ख़तरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के मक़सद से हर वर्ष 2 नवम्बर को ये दिवस मनाता है. 

यूनेस्को प्रमुख ने इस दिवस पर तमाम देशों, अन्तरराष्ट्रीय और ग़ैर-सरकारी संगठनों से पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली और दण्ड निडरता यानि क़ानून का डर नहीं होने वाले माहौल को ख़त्म करने वाली ताक़तों में शामिल होने का आहवान किया.

“मीडिया कर्मियों के ख़िलाफ़ होने वाले तमाम तरह के अपराधों की सटीक जाँच व दोषियों पर ठोस क़ानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करके ही, सही सूचना हासिल करने और अभिव्यक्ति की आज़ादी की गारण्टी सुनिश्चित की जा सकती हैं.”