सर्वजन के लिये शान्ति और प्रगति में महिला नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका

महिला सशक्तिकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र संस्था - UN Women की प्रमुख पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने आगाह किया है कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में महत्वपूर्ण निर्णय-निर्धारण प्रक्रियाओं में महिलाओं को अब भी समुचित प्रतिनिधित्व हासिल नहीं है. उन्होंने गुरूवार को सुरक्षा परिषद को मौजूदा हालात से अवगत कराते हुए कहा कि हिंसाग्रस्त इलाक़ों में महिलाओं के लिये परिस्थितियाँ कहीं ज़्यादा ख़राब है.
यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने 15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि युद्धग्रस्त इलाक़ों और दुनिया में हर जगह लोग समावेशन और प्रतिनिधित्व की माँग कर रहे हैं.
आम लोग इन्हीं कारणों से सड़कों पर उतरकर धरने-प्रदर्शनों में हिस्सा लेते हुए अपनी आवाज़ें बुलन्द कर रहे हैं.
Today, the Security Council held its annual open debate on Women, Peace and Security, commemorating the 20th anniversary of its Resolution 1325. Visit the #UNSCAD interactive dashboard to learn about the history of #WPS in Council resolutions - https://t.co/EKibhjkdSt#WPSin2020 pic.twitter.com/EhfFputhFK
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यूएन प्रमुख महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए एक बार फिर वैश्विक युद्धविराम की अपनी अपील दोहराई.
उन्होंने कहा कि कोविड-10 महामारी दूसरे विश्व युद्ध के बाद अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की सबसे बड़ी परीक्षा है.
“मैं एक तात्कालिक वैश्विक युद्धविराम की अपील करता हूँ ताकि हम अपने साझा दुश्मन पर ध्यान केन्द्रित कर सकें: कोविड-19 वायरस.”
महासचिव गुटेरेश ने 20 वर्ष पहले पारित हुए ऐतिहासिक प्रस्ताव 1325 की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद ने वैश्विक युद्धविराम को समर्थन देकर महिलाओं, शान्ति और सुरक्षा एजेण्डा में मज़बूत और मूल्यवान सम्बन्ध स्थापित किया है.
यह प्रस्ताव शान्ति व सुरक्षा से जुड़े हर क्षेत्र में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये और अधिक प्रयासों की ज़रूरत की तरफ़ ध्यान खींचता है.
साथ ही इससे लैंगिक असमानता व नाज़ुक हालात और महिला सुरक्षा व अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा के बीच सम्बन्ध रेखांकित होता है.
यूएन प्रमुख ने प्रस्ताव 1325 का ज़िक्र करते हुए स्पष्ट किया कि कोविड-19 का महिलाओं व लड़कियों पर ग़ैर-आनुपातिक असर हुआ है.
उनके ख़िलाफ़ लिंग-आधारित हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं और उनकी स्वास्थ्य देखभाल, यौन व प्रजनन सेवाओं के लिये संसाधन अन्य मदों में ख़र्च किये जा रहे हैं.
इसके अलावा महिलाओं के लिये रोज़गार के दीर्घकालीन अवसरों और लड़कियों की शिक्षा पर भी असर पड़ा है. भविष्य में राजनैतिक प्रतिनिधित्व और शान्ति प्रक्रियाओं में भी उनके हाशियेकरण का शिकार होने की आशंका है.
यूएन प्रमुख के मुताबिक महिलाएँ महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में अग्रिम मोर्चों पर डटी हैं और अपने समुदायों, अर्थव्यवस्थाओं व समाजों में नर्सों, शिक्षकों, देखभाल-कर्मियों, किसानों व अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं में ज़िम्मेदारी निभा रही हैं.
साथ ही दुनिया भर में वे स्थानीय स्तर पर और समुदायों में शान्तिनिर्माण में भूमिका निभाती हैं.
यूएन प्रमुख ने कहा कि प्रस्ताव 1325 में महिलाओं को नेतृत्व के पदों और निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने की पुकार लगाई गई है.
उन्होंने कहा कि ये ध्यान रखना होगा कि संस्थाएँ, संगठन, कम्पनियाँ और सरकारें तब बेहतर ढँग से कार्य करती हैं जब आधी आबादी की उपेक्षा करने के बजाय, महिलाओं को नीति-निर्माण, निर्णय प्रक्रिया और मुख्य कामकाज में शामिल किया जाता है.
महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि सर्वजन के लिये शान्ति व प्रगति के लिये महिलाएँ अहम हैं.
मध्यस्थता प्रक्रियाओं में महिलाओं की अर्थपूर्ण भागीदारी शान्ति, स्थिरता, सामाजिक समरसता और आर्थिक प्रगति के लिये सम्भावनाओं को विस्तृत बनाती है.
यूएन प्रमुख ने इसके मद्देनज़र उन्हें शान्ति प्रक्रियाओं में शामिल किये जाने के लिये अभिनव, त्वरित और निर्णायक समाधानों पर बल दिया है.
महासचिव ने इस वर्ष शान्तिरक्षा में महिलाओं पर केन्द्रित प्रस्ताव को पारित किये जाने पर सुरक्षा परिषद की सराहना की है.
उन्होंने कहा है कि अभी उनकी संख्या कम है लेकिन यह निरन्तर बढ़ रही है जोकि एक महत्वपूर्ण रुझान है.
महिलाएँ अपने साथ शान्ति व सुरक्षा सहित हर मुद्दे पर नए नज़रिये व विशेषज्ञताएँ साथ लाती हैं जो मददगार साबित होते हैं.