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'वैश्विक महामारियों के दौर' को टालने के लिये जोखिम घटाने के उपाय ज़रूरी

सीरिया के इदलिब के एक घरेलू विस्थापित शिविर में कोविड-19 सामुदायिक जागरूकता सत्र का आयोजन.
© UNOCHA
सीरिया के इदलिब के एक घरेलू विस्थापित शिविर में कोविड-19 सामुदायिक जागरूकता सत्र का आयोजन.

'वैश्विक महामारियों के दौर' को टालने के लिये जोखिम घटाने के उपाय ज़रूरी

एसडीजी

संक्रामक बीमारियों का मुक़ाबला करने की रणनीतियों में अगर व्यापक फेरबदल नहीं किये ए तो भविष्य में नई वैश्विक महामारियों के उभरने व फैलने की रफ़्तार और ज़्यादा तेज़ होगी जोकि बड़ी संख्या में लोगों की मौतों और विश्व अर्थव्यवस्था को क्षति पहुँचने का कारण बनेंगी. अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने गुरूवार को प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट में अपनी यह चेतावनी जारी की है. 

यह रिपोर्ट ‘Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services’ (IPBES) द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यशाला में हुई चर्चा के आधार पर तैयार की गई है.

विचार-विमर्श सत्र का उद्देश्य महामारियों के जोखिमों के बढ़ने और प्रकृति क्षरण में वृद्धि के बीच के सम्बन्धों की पड़ताल करना था. 

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रिपोर्ट दर्शाती है कि यह ख़तरा तेज़ी से बढ़ रहा है और हर वर्ष लोगों में पाँच नई बीमारियों का पता चल रहा है, जिनमें से कोई भी बीमारी वैश्विक महामारी फैलने का कारण बन सकती है. 

मानवीय गतिविधियाँ ज़िम्मेदार

22 विशेषज्ञों ने कहा है कि वर्ष 1918 में फैली महामारी ‘स्पैनिश फ़्लू’ के बाद यह कम से कम छठी बार है जब किसी विश्वव्यापी महामारी ने दुनिया की अपनी चपेट में लिया है.  

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस नई बीमारी का स्रोत जानवरों में पाए जाने वाले रोगाणुओं में है लेकिन अन्य वैश्विक महामारियों की तरह, इसके उभरने के लिये मानवीय गतिविधियाँ ज़िम्मेदार हैं.  

इस कार्यशाला के प्रमुख और 'ईकोहेल्थ एलायन्स' के अध्यक्ष डॉक्टर पीटर डासज़ैक ने बताया, “कोविड-19 महामारी के कारणों या फिर किसी अन्य आधुनिक वैश्विक महामारी के पीछे कोई बड़ा रहस्य नहीं है.”

“जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता के खोने के लिये ज़िम्मेदार मानवीय गतिविधियाँ ही, हमारे द्वारा पर्यावरण पर होने वाले असर से महामारी का जोखिम बढ़ाती हैं.”

उन्होंने कहा कि भूमि के इस्तेमाल के तरीक़ों, कृषि का विस्तार और गहनता में वृद्धि व व्यापार, उत्पादन व खपत में टिकाऊपन के अभाव से प्रकृति को नुक़सान पहुँचता है और वन्यजीवों के बीच सम्पर्क बढ़ता है. 

विज्ञान की भूमिका

विशेषज्ञों का मानना है कि संरक्षित इलाक़ों की रक्षा करने और जैवविविधिता घटने के लिये ज़िम्मेदार मानवीय गतिविधियों को नियन्त्रित करने के उपायों से विश्वव्यापी महामारियों के ख़तरे को कम किया जाता है.

इससे वन्यजीव-मवेशी-मानव सम्पर्क में कमी लाने में मदद मिलेगी और नई बीमारियों के वन्यजीवों से मानवता तक के प्रसार की कड़ी को रोका जा सकेगा. वैज्ञानिक तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं.

डॉक्टर डासज़ैक ने बताया कि फ़िलहाल बीमारियों के फैलने के बाद ही उन पर वैक्सीन या उपचार के ज़रिये क़ाबू पाने के प्रयास किये जाते हैं.

“हम महामारियों के इस दौर से बच सकते हैं लेकिन इसके लिये प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई के अलावा रोकथाम पर ज़्यादा ध्यान केन्द्रित करना होगा.”

उन्होंने स्पष्ट किया कि महामारियों से होने वाले आर्थिक असर की क़ीमत रोकथाम की दिशा में कार्रवाई की क़ीमत से 100 गुणा अधिक है.

‘Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services (IPBES)’ एक स्वतन्त्र संस्था है और 130 से ज़्यादा सरकारें इसकी सदस्य हैं.

रोकथाम पर ज़ोर

इस रिपोर्ट पर अभी IPBES में विस्तार से चर्चा नहीं हुई है और ना ही इसे स्वीकार किया गया है, इसलिये यह अन्तर-सरकारी रिपोर्ट नहीं है.

यह उन 22 विशेषज्ञों की राय और तथ्यों को पेश करती है जिन्होंने इस कार्यशाला में हिस्सा लिया था. 

उनका कहना है कि स्तनपायी जन्तुओं व पक्षियों में 17 लाख अज्ञात वायरस हैं जो साढ़े आठ लाख से ज़्यादा लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. 

महामारियों के दौर को रोक पाना सम्भव है लेकिन इसके लिये प्रतिक्रिया के बजाय रोकथाम पर प्रयास केन्द्रित करने होंगे. 

विशेषज्ञों ने अपनी अनुशंसाओं में महामारियों की रोकथाम के लिये एक उच्चस्तरीय अन्तर-सरकारी परिषद का गठन करने, निर्णय-निर्धारकों को उभरती बीमारियों पर सर्वश्रेष्ठ विज्ञान व तथ्य मुहैया कराने और सम्भावित आर्थिक प्रभावों की समीक्षा करने की ज़रूरत पर बल दिया है. 

साथ ही सदस्यों द्वारा वैश्विक स्तर पर निगरानी तन्त्र तैयार किये जाने के समन्वित प्रयास करने होंगे और अन्तरराष्ट्रीय समझौते के तहत आपसी सहमति के आधार पर लक्ष्य स्थापित किये जाने होंगे.

इससे  व्यक्तियों, पशुओं और पर्यावरण के लिये स्पष्ट फ़ायदे सुनिश्चित करने में मदद मिल सकेगी.