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कोविड-19: महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में अगले कुछ महीने 'बेहद कठिन'

इटली के रोम शहर में एक डॉक्टर एक अस्थायी बस्ती में छोटी लड़की की चिकित्सा जाँच कर रही हैं.
© UNICEF/Alessio Romenzi
इटली के रोम शहर में एक डॉक्टर एक अस्थायी बस्ती में छोटी लड़की की चिकित्सा जाँच कर रही हैं.

कोविड-19: महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में अगले कुछ महीने 'बेहद कठिन'

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के बढ़ते मामलों से चिन्तित शुक्रवार को चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में दुनिया एक अहम चरण में प्रवेश कर रही है और देशों की सरकारों को वायरस पर क़ाबू पाने के लिये तत्काल कार्रवाई करनी होगी. हाल के दिनों में योरोप और अमेरिका में कोरोनावायरस संक्रमण के नए मामले तेज़ी से बढ़े हैं और विश्व में प्रति दिन अब चार लाख से ज़्यादा मामले दर्ज किये जा रहे हैं. 

दुनिया भर में अब तक कोरोनावायरस के संक्रमण के चार करोड़ 15 लाख से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 11 लाख 34 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई है. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने शुक्रवार को जिनीवा में स्पष्ट करते हुए कहा कि अगले कुछ महीने बेहद कठिन साबित होने वाले हैं और कुछ देश ख़तरनाक दिशा में बढ़ते नज़र आ रहे हैं. 

“बड़ी संख्या में देश कोविड-19 संक्रमण के मामलों में भारी बढ़ोत्तरी देख रहे हैं और उससे अस्पतालों व गहन चिकित्सा कक्षों को लगभग अपनी पूर्ण क्षमताओं या उससे भी ज़्यादा काम करना पड़ रहा है. और अभी अक्टूबर भी पूरा नहीं हुआ है.” 

कार्रवाई की दरकार

यूएन एजेंसी प्रमुख ने हालात की गम्भीरता के मद्देनज़र सरकारों से अनावश्यक मौतों को टालने, ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं को ढहने से बचाने और स्कूल फिर बन्द करने से रोकने के लिये तत्काल कार्रवाई करने की पुकार लगाई है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपील की है देशों को कोविड-19 महामारी के सम्बन्ध में जनता के साथ ईमानदारी बरतनी होगी और उन्हें बताना होगा कि महामारी से मुक़ाबला करने में उनकी क्या भूमिका है. 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि जिन देशों ने संक्रमणों पर क़ाबू पा लिया है उन्हें अब और ज़्यादा प्रयास करने, सतर्कता बरतने, मामलों का जल्द पता लगाने और तत्काल कार्रवाई करने की ज़रूरत है ताकि इसके फैलाव को आगे भी नियन्त्रण में रखा जा सके. 

यूएन एजेंसी प्रमुख ने आशाओं व सहनक्षमताओं की उन अविश्वसनीय कहानियों का उल्लेख किया जिनमें व्यक्ति और व्यवसाय महामारी से निपटने के लिये आगे बढ़कर मोर्चा संभाल रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि इन कहानियों को और व्यापक रूप से बताए जाने की ज़रूरत है. 

कोरोनावायरस पर क़ाबू पाने के प्रयासों के तहत कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, यानि संक्रमितों के सम्पर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने और उसके लिये स्पष्ट निर्देश जारी करने को बेहद अहम बताया गया है. 

इससे अनिवार्य रूप से घर पर रहने के लिये आदेशों से बचा जा सकता है. 

ऑक्सीजन की कमी

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में सभी संसाधनों को न्यायसंगत रूप से साझा किये जाने की आवश्यकता है. 

ग़ौरतलब है कि कोरोनावायरस संकट से दुनिया में क्लीनिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति पर बोझ बढ़ा है. ऑक्सीजन की उपलब्धता उन मरीज़ों के लिये ख़ासतौर पर ज़रूरी है जिन्हें साँस लेने में परेशानी महसूस होती है. 

बहुत से देशों, विशेष रूप से निर्धनतम देशों, के पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का अभाव है, ज़रूरत का महज़ पाँच से 20 फ़ीसदी ही उपलब्ध है.  

जून 2020 में वायरस के मामलों को ध्यान में रखते हुए दुनिया भर में हर दिन 88 हज़ार बड़े सिलेण्डरों की आवश्यकता थी लेकिन संक्रमणों की बढ़ती संख्या से यह आँकड़ा सिर्फ़ निम्न और मध्य आय वाले देशों में अब 12 लाख सिलेण्डर तक पहुँच गया है. 

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महानिदेशक घेबरेयेसस ने बताया कि ‘ऑक्सीजन प्रोजेक्ट’ विश्व स्वास्थ्य संगठन के उस संकल्प को प्रदर्शित करता है जिसमें अभिनव समाधान अपनाकर बेहतर व किफ़ायती ढँग से लोगों की मदद का प्रयास किया जा रहा है. 

उदाहरणस्वरूप, एक ऐसी सौर ऊर्जा योजना का लाभ उठाने की कोशिश की जा रही है जिससे ऑक्सीजन संकेन्द्रक (Concentrators) उन दूरदराज़ के इलाक़ों में भी संचालित कियो जा सके जहाँ बिजली की भरोसेमन्द व्यवस्था नहीं है. 

उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन ना सिर्फ़ कोविड-19 संक्रमितों की जान बचाने में सहायक है बल्कि पाँच साल से कम उम्र के उन आठ लाख बच्चों में से कुछ की ज़िन्दगी बचाने में भी मदद करती है जिनकी मौत हर वर्ष न्यूमोनिया से होती है.