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वैश्विक व्यापार: कुछ हरियाली नज़र आने के बावजूद, अनिश्चित है डगर

अमेरिका के मायामी बन्दरगाह में व्यापार परिवहन के काम आने वाले विशाल डिब्बे
Unsplash/Jared Sanders
अमेरिका के मायामी बन्दरगाह में व्यापार परिवहन के काम आने वाले विशाल डिब्बे

वैश्विक व्यापार: कुछ हरियाली नज़र आने के बावजूद, अनिश्चित है डगर

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि वैसे तो वैश्विक व्यापार में मामूली सुधार हो रहा है, लेकिन आर्थिक पुनर्बहाली का व्यापक परिदृश्य अभी अनिश्चित ही है. 

बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में प्रस्तुत अनुमान दर्शाते हैं कि विश्व व्यापार में इस तिमाही के दौरान, वर्ष 2019 की तुलना में 5 प्रतिशत की गिरावट आएगी.

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वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में 20 प्रतिशत दर्ज की गई थी और उसे देखते हुए तो 5 प्रतिशत की गिरावट एक सुधार ही मानी जाएगी, मगर व्यापार को जोखिम के दायरे से बाहर निकालने के लिये ये काफ़ी नहीं है.

अनिश्चितता से व्यापार विचलित

अंकटाड के महासचिव मुखीसा किटुयी का कहना है, “महामारी के कारण उत्पन्न अनिश्चितता के हालात आने वाले महीनों में भी व्यापार सम्भावनाओं को विचलित करते रहेंगे.”

“कुछ सकारात्मक अनुमानों के बावजूद, हम कुछ क्षेत्रों में उत्पादन में गिरावट को, और कुछ प्रतिबन्धकारी नीतियों में अचानक होने वाली बढ़ोत्तरी से नहीं बच सकते.”

इन अनुमानों में वैसे तो व्यापार में गिरावट की सम्भावनाएँ व्यक्त की गई हैं, लेकिन ताज़ा अँकड़े पहले से अपेक्षित नतीजों से बेहतर हैं. अंकटाड ने जून 2020 में वर्ष 2020 के दौरान 20 प्रतिशत गिरावट आने की सम्भावना व्यक्त की थी.

यूएन व्यापार एजेंसी का कहना है कि उसके बाद से व्यापार रुझानों में कुछ बेहतरी आई है और इसके कारण योरोप और पूर्व एशिया में आर्थिक गतिविधि में अपेक्षित समय से पहले कुछ सुधार होना बताया गया है.

आर्थिक बेहतरी में चीन आगे

रिपोर्ट में चीन की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा है कि उसने व्यापार बहाली में अच्छा प्रदर्शन किया है.

कोविड-19 महामारी के शुरुआती महीनों के दौरान चीन का निर्यात गिर गया था, और वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में स्थिर हो गया था. उससे अगली तिमाही में चीन के व्यापार में बहुत अच्छा सुधार हुआ जिसके बाद कुल मिलाकर वार्षिक वृद्धि 10 प्रतिशत रहने की सम्भावना है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “चीन के निर्यात का कुल स्तर वर्ष 2020 के पहले 9 महीनों के निर्यात की तुलना वर्ष 2019 की उसी अवधि के दौरान किये गए निर्यात से की गई.”

चीन के भीतर सामान और सेवाओं की माँग के स्तर में भी बेहतरी ही है. जुलाई और अगस्त के दौरान आयात में स्थिरता, और जिसने सितम्बर में 13 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की.

एशिया में वृद्धि और गिरावट

भारत और दक्षिण कोरिया ने भी पिछले महीने के दौरान निर्यात में वृद्धि दर्ज की है जोकि भारत की 4 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया की 4 प्रतिशत रही है.

अंकटाड की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई के दौरान व्यापार में काफ़ी गिरावट दर्ज की गई और केवल पूर्व एशिया क्षेत्र इससे कुछ अलग रहा.

पश्चिम और दक्षिण एशिया में सबसे ज़्यादा गिरावट देखी गई, जहाँ आयात में 23 प्रतिशत और निर्यात में 29 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई.

रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार की समीक्षा भी शामिल की गई है और इसमें कहा गया है कि ऊर्जा व ऑटोमेटिव उद्योगों में महामारी का सबसे ज़्यादा असर पड़ा है.

जबकि, संचार उपकरणों, दफ़्तरी मशीनरी, और कपड़ा व परिधान उद्योगों में मज़बूत वृद्धि देखी गई है क्योंकि टैलीवर्किंग और निजी बचाव उपायों में इन उद्योगों के उत्पाद काफ़ी माँग में रहे हैं.

धनी देशों को फ़ायदा 

रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी से सम्बन्धित चिकित्सा सामग्री व उपकरणों की आपूर्ति की तरफ़ भी ख़ास ध्यान दिया गया है. इनमें निजी बचाव उपकरण, संक्रमण से बचाव के लिये इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थ, परीक्षण किटें, ऑक्सीजन आपूर्ति उपकरण और इसी तरह के अस्पताल उपकरण शामिल थे.

जनवरी से मई के दौरान, चीन, योरोपीय संघ और अमेरिका से चिकित्सा सामग्री व उपकरणों की बिक्री 25 अरब डॉलर से बढ़कर 45 अरब डॉलर प्रतिमाह हो गई.

अप्रैल के बाद से, व्यापार में औसतन 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है.

हालाँकि, रिपोर्ट के लेखकों ने ये भी पाया है कि धनी देशों को इस व्यापार से ज़्यादा फ़ायदा हुआ है और आमतौर पर मध्यम और कम आय वाले देश कोविड-19 से सम्बन्धित सामान की पहुँच हासिल करने में पीछे रह गए हैं.

उच्च आय वाले देशों में रहने वाले लोगों को कोविड-19 से सम्बन्धित सामान के आयात से औसतन प्रतिमाह 10 डॉलर का अतिरिक्त फ़ायदा हुआ है. जबकि मध्यम आय वाले देशों में ये आँकड़ा औसतन केवल 1 डॉलर, और निम्न आय वाले देशों में केवल 10 सेंट रहा है.

अंकटाड ने आगाह करते हुए कहा है कि अगर कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध हो जाती है तो धनी व ग़रीबों देशों के बीच इसकी उपलब्धता के मामले में खाई और भी ज़्यादा चौड़ी हो सकती है.

रिपोर्ट में तमाम देशों की सरकारों, निजी सैक्टर और जनकल्याण के लिये काम करने वाले संगठनों से आग्रह किया गया है कि वो विकासशील देशों में महामारी का मुक़ाबला करने के लिये अतिरिक्त धन जुटाने के लिये सक्रिय होकर काम करें.

साथ ही इस तरह के वित्तीय व्यवस्था के लिये समर्थन मुहैया कराया जाए जिसके ज़रिये ग़रीब देशों को कोविड-19 महामारी की सुरक्षित और असरदार वैक्सीन मुहैया हो सकें.