एशिया-प्रशान्त: कोरोनावायरस संकट का परिधान उद्योग पर भारी असर

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण आर्थिक गतिविधियों में आए व्यवधान से एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में परिधान सैक्टर (Garment sector) बुरी तरह प्रभावित हुआ है. अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की नई रिपोर्ट दर्शाती है कि मुख्य निर्यात बाज़ारों में उपभोक्ता माँग में तेज़ गिरावट, तालाबन्दी उपायों और कच्चे माल के आयात में कठिनाइयों के कारण आपूर्ति श्रृंखला, बड़ी संख्या में कामगार और उद्यम प्रभावित हुए हैं.
एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के परिधान सैक्टर में वर्ष 2019 में साढ़े छह करोड़ से ज़्यादा लोगों को रोज़गार हासिल था, जोकि दुनिया भर में परिधान कामगारों की कुल संख्या का 75 फ़ीसदी है.
The COVID-19 crisis has hit the garment sector in the Asia-Pacific region hard, with plummeting retail sales in key export markets affecting workers and enterprises throughout supply chains. https://t.co/bEGIwrYply
ilo
यूएन श्रम एजेंसी ने बुधवार को एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसका शीर्षक The supply chain ripple effect: How COVID-19 is affecting garment workers and factories in Asia and the Pacific है.
इस शोध में एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में परिधान उत्पादन में 10 प्रमुख देशों की आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) पर कोरोनावायरस संकट के असर की समीक्षा की गई है.
इनमें भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, कम्बोडिया, चीन, इण्डोनेशिया, म्याँमार, वियत नाम सहित अन्य देश शामिल हैं.
यूएन एजेंसी में एशिया-प्रशान्त के लिये क्षेत्रीय निदेशक चिहोको असादा मियाकावा ने कहा, “यह रिपोर्ट कोविड-19 से परिधान उद्योग के हर स्तर पर हुए व्यापक असर को रेखांकित करती है.”
“यह अतिआवश्यक है कि सरकारें, कामगार, नियोक्ता (Employers) और उद्योग जगत के अन्य पक्षकार साथ मिलकर इन अभूतपूर्व हालात का सामना करें और उद्योग के लिये एक ज़्यादा मानवता-आधारित भविष्य को आकार दें.”
रिपोर्ट दर्शाती है कि एशिया में परिधान उत्पादन करने वाले देशों से ख़रीदारी करने वाले देशों द्वारा किये जाने वाले आयात में वर्ष 2020 की पहली छमाही में 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है.
उदाहरणस्वरूप, फ़रवरी 2020 के शुरु से वियतनाम, इण्डोनेशिया, भारत और बांग्लादेश से होने वाले निर्यात में कमी दर्ज की गई है.
वर्ष 2019 की उसी अवधि की तुलना में जून 2020 तक भारत और बांग्लादेश से होने वाले निर्यात में क्रमश: 41 और 32 फ़ीसदी की गिरावट आई.
इसकी वजह उपभोक्ता माँग में तेज़ गिरावट, सरकारों द्वारा लागू की गई तालाबन्दी व अन्य सख़्त पाबन्दियाँ, और परिधान उत्पादन के लिये ज़रूरी कच्चे माल के आयात में व्यवधान उत्पन्न होना बताया गया है.
सितम्बर 2020 तक परिधान आपूर्ति श्रृंखलाओं में कुल रोज़गारों की लगभग आधी संख्या उन उपभोक्ताओं की माँग पर निर्भर है जो ऐसे देशों में रह रहे हैं जहाँ बेहद सख़्त पाबन्दियाँ लागू हैं और बिक्री लुढ़क गई है.
एशिया-प्रशान्त में यूएन एजेंसी के क्षेत्रीय कार्यालय में श्रम अर्थशास्त्री क्रिस्टियान फ़िगेलआन ने बताया, “क्षेत्र में एक आम कामगार को कम से कम दो से चार हफ़्तों तक कामकाज नहीं मिल पाया है और फ़ैक्ट्रियों के फिर खुलने की स्थिति में हर पाँच में से महज़ तीन सहकर्मी ही काम पर लौट पाए हैं.”
रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्र में स्थित देशों की सरकारों ने संकट से निपटने के लिये सक्रिय प्रयास किये हैं लेकिन पूरे क्षेत्र में हज़ारों की संख्या में फ़ैक्ट्रियाँ अस्थाई या अनिश्चितकाल के लिये बन्द हुई हैं.
कामगारों की आजीविका के साधन ख़त्म हो गए हैं, उन्हें रोज़गार वाले काम से हटाया जा रहा है और जिन फ़ैक्ट्रियों में काम हो रहा है वहाँ भी कम कामगारों से काम चलाया जा रहा है.
इसके अतिरिक्त जो कामगार वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में भी काम कर रहे हैं उनकी आय में गिरावट और उसके भुगतान में देरी जैसी समस्याएँ भी अक्सर देखने को मिल रही है.
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि परिधान उद्योग में अधिकाँश कामगार महिलाएँ हैं और वे किस तरह कोविड-19 से ग़ैरआनुपातिक रूप से प्रभावित हुई हैं.
कोरोनावायरस संकट ने आय, कामकाज के भार, पेशेगत अलगाव और बिना वेतन के देखभाल कार्य का वितरण और ज़्यादा गहरा हुआ है.
रिपोर्ट में विभिन्न देशों में राष्ट्रीय और सैक्टर के स्तर पर ज़्यादा समावेशी व अर्थपूर्ण सामाजिक सम्वाद की पुकार लगाई गई है.
इस रिपोर्ट में उद्यमों के लिये समर्थन जारी रखने, कामगारों विशेषत: महिलाओं के लिये सामाजिक संरक्षा का दायरा बढ़ाने सहित अन्य अनुशंसाएँ जारी की गई हैं.
साथ ही स्पष्ट किया गया है कि जिन देशों में पारस्परिक सम्वाद के लिये ढाँचे मौजूद हैं वहाँ संकट से निपटने की कार्रवाई में मदद मिली है, इसलिये सामाजिक सम्वाद पर बल दिया जाना होगा.