कोविड-19 ने धीमी की लैंगिक समानता की दिशा में प्रयासों की रफ़्तार

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवँ सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) के प्रमुख लियू झेनमिन ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से लैंगिक समानता हासिल करने के प्रयासों में व्यवधान आया है. उनके मुताबिक कोरोनावायरस संकट से पिछले दशकों में कठिनाई से हासिल हुई प्रगति पर भी ख़तरा मँडरा रहा है.
यूएन विभाग के शीर्ष अधिकारी ने ‘The World’s Women: Trends and Statistics’ नामक इस रिपोर्ट का वर्ष 2020 संस्करण पेश करते हुए कहा कि पिछले दो दशकों में भेदभावपूर्ण रवैयों में धीमी रफ़्तार से बदलाव आया है.
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UNDESA
साथ ही महिलाओं का जीवन शिक्षा, विवाह, बच्चों के पालन-पोषण और मातृत्व मौतों के मामलों में बेहतर हुआ है जबकि अन्य क्षेत्रों में प्रगति अवरुद्ध हो गई है.
“महिलाएँ, पुरुषों के समान आवाज़ होने से अभी दूर हैं, और दुनिया के हर क्षेत्र में महिलाएँ अब भी हिंसा और हानिकारक प्रथाओं के विविध रूपों का शिकार हैं.”
वर्ष 1995 में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर बीजिंग में हुए चौथे विश्व सम्मेलन के दौरान सदस्य देशों ने जो लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया था, दुनिया अभी उनसे दूर है.
इस अवसर पर महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “25 वर्ष पहले बीजिंग घोषणापत्र और 'प्लैटफ़ॉर्म फ़ॉर एक्शन' पारित होने के बाद से महिलाओं के लिये समान शक्तियों और समान अधिकारों की दिशा में प्रगति लक्ष्य से दूर ही रही है.”
“कोई भी देश लैंगिक समानता हासिल नहीं कर पाया है.”
शक्ति और निर्णय-निर्धारण के क्षेत्र में नई रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 2019 में दुनिया भर में प्रबन्धकों की कुल संख्या का महज़ 28 फ़ीसदी महिलाएँ थीं – यह लगभग 1995 में मौजूद रहे आँकड़ों के समान है.
साथ ही जिन उद्यमों का सर्वेक्षण किया गया उनमें से सिर्फ़ 18 फ़ीसदी में वर्ष 2020 में एक महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) है.
फ़ॉर्च्यून 500 की कॉरपोरेट रैंकिंग में केवल साढ़े सात प्रतिशत, यानि 37 सीईओ महिलाएँ हैं.
राजनैतिक जीवन में, संसदों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है और वैश्विक स्तर पर दो गुणा बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. लेकिन अब भी सीटों की संख्या के मामले में इसे 25 फ़ीसदी का अवरोध पार करना है.
कैबिनेट मन्त्रियों की संख्या के नज़रिये से पिछले 25 सालों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व चार गुणा बढ़ा है लेकिन इसके बावजूद यह अब भी 22 फ़ीसदी तक सिमटा है.
आर्थिक एवँ सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) के प्रमुख लियू झेनमिन ने सभी देशों से लड़कियों व महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये प्रयास तेज़ करने की पुकार लगाई है.
साथ ही लैंगिक मुद्दों के प्रति समझ को बेहतर बनाने के लिये आँकड़ों की कमी व ख़ामियाँ दूर करने पर ज़ोर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि आँकड़ों की सामयिकता और तुलनात्मकता को बेहतर बनाना होगा और ऐसा आयु, लिंग, स्थान व अन्य कारकों के आधार पर सुनिश्चित करना होगा.
इससे आपस में जुड़ी हुई विषमताओं का मूल्याँकन करने, संकटों से निपटने और वर्ष 2030 तक लैंगिक समानता हासिल करने मदद मिलेगी.