भरोसेमन्द डेटा से बदलती दुनिया को समझने में मिलेगी मदद - यूएन प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने 'विश्व सांख्यिकी दिवस' पर अपने सन्देश में कहा है कि सामयिक, भरोसेमन्द और विश्वसनीय डेटा हमें बदलती दुनिया के प्रति बेहतर समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभा सकता है. यूएन प्रमुख के मुताबिक सांख्यिकी, तथ्य आधारित नीति-निर्माण की बुनियादी ज़रूरत है और रूपान्तरकारी बदलावों के लिये भी आवश्यक है ताकि किसी को भी पीछे ना छूटने दिया जाए.
कोरोनावायरस संकट ने लोगों की ज़िन्दगियों की रक्षा करने और बेहतर पुनर्बहाली में आँकड़ों की बढ़ती अहमियत को रेखांकित किया है.
संयुक्त राष्ट्र के कामकाज से जुड़े हर पहलू में और दुनिया भर में असीम सम्भावनाओं को पूर्ण रूप से साकार करने में डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका है.
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अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने के लिये प्रयासरत है और इन्हीं प्रयासों के तहत महासचिव गुटेरेश ने हाल ही में ‘Data Strategy for Action by Everyone, Everywhere’ रणनीति पेश की थी.
एक ऐसे औज़ार के रूप में जिसे हर एक व्यक्ति के लिये, हर एक स्थान पर कार्रवाई के लिये, आँकड़ों पर आधारित रणनीति को इस्तेमाल किया जाए.
साथ ही इसे बेहतर अन्तर्दृष्टि, असर और सत्यनिष्ठा के औज़ार के रूप में विकसित किया जाए.
यूएन प्रमुख ने कहा, “विश्व सांख्यिकी दिवस पर, आइये, हम हमारे समय की चुनौतियों से निपटने के लिये डेटा में और समर्थन प्रयासों में उनकी भूमिका में निवेश करने का संकल्प लें....सर्वजन के लिये टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने में सांख्यिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकाशमान करने के लिये भी.”
तीसरा ‘विश्व सांख्यिकी दिवस’ वर्ष 2020 के लिये वर्चुअल ‘यूएन वर्ल्ड डेटा फ़ोरम’ के दौरान मनाया जा रहा है.
तीन दिनों तक चलने वाली इस फ़ोरम में हज़ारों की संख्या में डेटा विशेषज्ञ एक बदलती दुनिया में आँकड़ों को मज़बूती प्रदान करने के रास्तों पर चर्चा करेंगे.
तथ्य हैं आधार
अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के महासचिव हॉउलिन झाओ ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूएन एजेंसी डेटा को एक ऐसे औज़ार के रूप में इस्तेमाल करने के लिये बेहद इच्छुक है जिससे तथ्य-आधारित नीति-निर्माण में मदद मिलती हो.
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग का मानना है कि आँकड़ों में निवेश करना, तथ्यों में निवेश करना है.
यूएन विभाग के मुताबिक एक ऐसी दुनिया में जहाँ ग़लत सूचनाएँ वायरस की तरह फैल रही हों, वहाँ भरोसेमन्द आँकड़ों में निवेश करना बेहद अहम है.
जनगणना के मुद्दे पर हुई चर्चा में सांख्यिकी के दायरे से बाहर छूट जाने की तुलना अदृश्य होने से की गई.
विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा कि हर किसी को गणना में शामिल किया जाना ज़रूरी है क्योंकि हर एक इनसान मायने रखता है.
उन्होंने सचेत किया किया जिन लोगों को आँकड़ों में शामिल नहीं किया जाएगा, उनकी ज़िन्दगी पर असर डालने वाले निर्णयों में, उनकी आवाज़ शामिल नहीं होगी.
टिकाऊ भविष्य
फ़ोरम के दूसरे दिन प्रमुखता से इस विषय पर चर्चा हुई कि कोविड-19 संकट से दुनिया को उबारने और सर्वजन के लिये एक टिकाऊ भविष्य हासिल करने में बेहतर डेटा से किस तरह मदद ली जा सकती है.
डेटा कम्पनी ampUz की संस्थापक आयला बाजवा ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि 17 टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने में निजी सैक्टर को भागीदार बनना होगा और इस सम्बन्ध में प्रगति को मापा जाना होगा.
उन्होंने महासचिव की एसडीजी प्रगति रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि सामयिक और देशों, लक्ष्यों व संकेतकों के अनुरूप आँकड़े एकत्र किया जाना अब भी एक चुनौती है.
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इसके मद्देनज़र उन्होंने नवाचारी समाधानों की तलाश करने पर ज़ोर दिया है ताकि इन कमियों की पूर्ति की जा सके, जिसके लिये निजी सैक्टर की मदद ली जानी होगी.
दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों ने बेहतर आँकड़ों के लिये स्मार्ट वित्तीय संसाधनों की ज़रूरत पर भी बल दिया है.
बताया गया है कि डिजिटल सार्वजनिक कल्याण के माध्यमों तक उपयुक्त पहुँच और पर्याप्त नियामक मानकों की मौजूदगी यह सुनिश्चित करने के लिये ज़रूरी है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) और नई टैक्नॉल़ॉजी के फ़ायदों का लाभ उठाया जाए.