कोविड-19: दक्षिण-पूर्व एशिया में अब भी अत्यधिक सतर्कता बरतना ज़रूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ज़ोर देकर कहा है कि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में कोविड-19 मामलों की संख्या में कुछ गिरावट देखने के बावजूद जवाबी कार्रवाई में ज़रा भी कोताही बरतने से हर हाल में बचना होगा. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक महामारी अब भी निर्बाध रूप से फैल रही है और संक्रमणों के फैलाव को दबाने के लिये कार्रवाई को और भी ज़्यादा मज़बूत बनाए जाने की आवश्यकता है.
ग़ौरतलब है कि यह लगातार तीसरा हफ़्ता है जब संगठन के क्षेत्रीय कार्यालय ने कोविड-19 संक्रमण के मामलों की संख्या में 6-8 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की है.
इस गिरावट की वजह भारत और बांग्लादेश में संक्रमण के मामलों की संख्या में कमी को बताया गया है.
भारत मे संक्रमण के अब तक 75 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा मामलों व 1 लाख 14 हज़ार मौतें, और बांग्लादेश में तीन लाख 88 हज़ार संक्रमण मामलों व साढ़े पाँच हज़ार मौतें होने की पुष्टि हो चुकी है.
दक्षिण-पूर्व एशिया में विश्व की एक-चौथाई आबादी रहती है.
दुनिया भर में कोरोनावायरस के संक्रमण के अब तक चार करोड़ से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है जिनमें से 80 लाख मामले दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सामने आए हैं.
अधिकाँश मामले घनी आबादी वाले देशों में सामने आए हैं जहाँ जनसांख्यिकी और भौगोलिक चुनौतियों का स्तर व्यापक है.
दक्षिण-पूर्व एशिया एशिया में यूएन एजेंसी की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया, “हाल के हफ़्तों में संक्रमण के मामलों की संख्या घटने से इत्मीनान से नहीं बैठ जाना चाहिये. क्षेत्र में अब भी कोविड-19 संक्रमणों की बड़ी संख्या सामने आ रही है.”
“हमें इस महामारी को रोकने के लिये अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास जारी रखने की ज़रूरत है.”
आने वाले दिनों में कुछ देशों में त्यौहारों का समय है और उसके साथ-साथ सर्दी का मौसम शुरू हो रहा है. इसके मद्देनज़र सतर्कता के अभाव में हालात और ज़्यादा ख़राब हो सकते हैं.
डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि सदस्य देश, संक्रमण के मामलों का समय रहते पता लगाने, परीक्षण करने, संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाने, प्रभावितों को एकान्तवास में रखने और ज़रूरतमन्दों की स्वास्थ्य देखभाल की क्षमता बढ़ाने के लिये समन्वित प्रयासों में जुटे हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक शारीरिक दूरी बरते जाने का ध्यान रखना, हाथों की स्वच्छता सुनिश्चित करना, खाँसते व छींकते समय सावधानी बरतना और ज़रूरत पड़ने पर मास्क पहनना – लोगों को इन सब ज़िम्मेदारियों को समझना होगा और त्यौहार के दौरान इस दायित्व को निभाया जाना होगा.
ऐहतियात के लिये ज़रूरी है कि भीड़-भाड़ वाले स्थानों से दूर रहा जाए, ऐसे स्थानों से दूर रहा जाए जहाँ शारीरिक दूरी बरता जाना सम्भव ना हो, और हवादार कमरों की सुविधा वाले बन्द कक्षों में समय गुज़ारने से परहेज़ किया जाए.
ये भी पढ़ें - कोविड-19: भारत के समक्ष एक 'अभूतपूर्व चुनौती' - जवाबी कार्रवाई में यूएन एजेंसियों का सहयोग
बताया गया है कि कोविड-19 के दौरान मौसमी इन्फ़्लुएन्ज़ा का फैलना स्वास्थ्य प्रणालियों और केन्द्रों के लिये एक बड़ी चुनौती है, इसलिये भी, क्योंकि दोनों बीमारियों के लक्षण अक्सर एक जैसे ही देते हैं.
लेकिन कोविड-19 के मद्देनज़र उठाए गए ऐहतियाती उपाय इन्फ़्लुएन्ज़ा के ख़िलाफ़ भी कारगर हैं जिससे मदद मिलने की उम्मीद है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन इस सम्बन्ध में सभी देशों के साथ मिलकर इन्फ़्लुएन्ज़ा और कोविड-19 सहित श्वसन तन्त्रों की सभी बीमारियों के ख़िलाफ़ तैयारियों, रोकथाम, नियन्त्रण और उपचार के लिये समन्वित प्रयासों के लिये प्रयासरत है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी विभिन्न स्तरों पर सरकारों के साथ मिलकर महामारी से निपटने की कार्रवाई के तहत स्वास्थ्य प्रणालियाँ और सेवाएँ पुख़्ता बनाने, स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, जागरूकता का प्रसार करने, बचाव उपाय अपनाने और हालात की समीक्षा सहित अन्य प्रयासों में जुटी है.