वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

यमन: युद्धरत पक्षों को शान्ति वार्ता के लिये साहस दिखाना होगा

यमन में बहुत से लोग हिंसा और असुरक्षा से बचने के लिये अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर हैं.
© UNICEF/Alessio Romenzi
यमन में बहुत से लोग हिंसा और असुरक्षा से बचने के लिये अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर हैं.

यमन: युद्धरत पक्षों को शान्ति वार्ता के लिये साहस दिखाना होगा

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ मानवीय सहायता अधिकारी ने कहा है कि यमन में सभी युद्धरत पक्षों को आम लोगों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने के लिये और ज़्यादा कार्रवाई करनी होगी. कई वर्ष से युद्धरत यमन में हाल के सप्ताहों के दौरान युद्धक गतिविधियों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या काफ़ी बढ़ी है.

यमन में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यों की संयोजक लीज़े ग्रैण्डे ने शनिवार को एक वक्तव्य में कहा, “यमन में भीषण युद्ध जारी रहने के कारण बेक़सूर लोगों को भारी तकलीफ़ें उठानी पड़ रही हैं और अनेक लोगों की मौतें हो रही हैं.”

Tweet URL

वक्तव्य में कहा गया है कि सितम्बर के अन्त से हुदायदाह और तायज़ गवर्नरेट में लड़ाई में अनेक लोग हताहत हुए हैं जिनमें अनेक बच्चे भी हैं. स्कूलों और स्वास्थ्य केन्द्रों सहित महत्वपूर्ण नागरिक बुनियादी ढाँचे को भी भारी नुक़सान पहुँचा है.

लीज़े ग्रैण्डे ने कहा, “शोक सन्तप्त परिवारों के प्रति हम गहरी सम्वेदना प्रकट करते हैं और घायलों के जल्दी ठीक होने की कामना भी करते हैं.”

अकाल निकट है

लीज़े ग्रैण्डे ने इस वक्तव्य में ये भी कहा कि अकाल के हालात बहुत निकट नज़र आ रहे हैं और मानवीय सहायता राशि ख़त्म हो रही है, ऐसे हालात में, यमन में सभी पक्षों को लड़ाई बन्द करके वार्ता के रास्ते पर आगे बढ़ने का साहस जुटाना होगा.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हमें इस बारे में स्पष्ट, बिल्कुल स्पष्ट होना होगा... जिन पक्षों ने हथियार उठा रखे हैं, वो आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये नैतिक और क़ानूनी रूप से ज़िम्मेदार हैं. साथ ही उन्हें ये भी सुनिश्चित करना होगा कि आम लोगों को ज़रूरत के अनुसार मानवीय सहायता हासिल हो सके.”

यमन में मानवीय सहायता संयोजक लीज़े ग्रैण्डे ने कहा, “लड़ाई ख़त्म करके और वार्ता के रास्ते पर आगे बढ़ने के राजनैतिक विकल्प इस समय शान्ति वार्ता की मेज़ पर तैयार हैं. अकाल के निकट होने और मानवीय सहायता राशि के ख़त्म होने के बीच, युद्धरत पक्षों को ये करने का साहस जुटाना होगा.”

भीषणतम संकट

ध्यान रहे कि यमन में पिछले लगभग पाँच वर्षों से जारी भीषण संघर्ष, बीमारियों, आर्थिक तबाही और सार्वजनिक संस्थाओं और सेवाओं के ठप हो जाने के कारण विश्व के भीषणतम मानवीय संकट के हालात बने हुए हैं.

यमन की लगभग 80 प्रतिशत आबादी यानि क़रीब दो करोड़ 40 लाख लोगों को किसी ना किसी रूप में मानवीय सहायता की ज़रूरत है, जिनमें लगभग एक करोड़ 22 लाख बच्चे हैं. यमन के 333 ज़िलों में से 230 ज़िलों (69 फ़ीसदी) में अकाल के हालात पैदा हो रहे हैं.

यमन में बहुत कठिन हालात होने के बावजूद, मानवीय सहायता कर्मी ज़रूरतमन्द लोगों तक मदद पहुँचाने में लगे हैं. हालाँकि मानवीय सहायता के लिए पर्याप्त धन की कमी अब भी एक चुनौती बनी हुई है.

वर्ष 2020 में वहाँ मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिये लगभग तीन अरब 20 करोड़ डॉलर की रक़म की ज़रूरत है, मगर अक्टूबर के मध्य तक, केवल एक अरब 40 करोड़ डॉलर की राशि ही मिली थी.