नागोर्नो-काराबाख़ में दोनों पक्ष आम लोगों की सुरक्षा के लिये ज़िम्मेदार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने संघर्षरत नागोर्नो-काराबाख़ में और उसके आसपास के आबादी वाले इलाक़ों में ताज़ा हमलों की निन्दा की है. इस बीच आर्मीनिया और अज़रबैजान ने एक दूसरे पर ताज़ा मानवीय सहायता युद्धविराम समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.
UN SG @antonioguterres condemns all attacks on populated areas impacted by Nagorno Karabakh conflict: https://t.co/c8zVaJe22I
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महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक द्वारा रविवार को जारी एक वक्तव्य में इन हमलों में जानमाल के नुक़सान पर गहरा दुख व्यक्त किया है. 16 अक्टूबर को हुए इन हमलों में हताहत होने वालों में बच्चे भी शामिल हैं.
वक्तव्य में कहा गया है कि अज़रबैजान के दूसरे सबसे बड़े नगर गन्जा में हुए हमले को क़तई स्वीकार नहीं किया जा सकता.
यूएन प्रमुख ने दोहराते हुए कहा कि कहीं भी आबादी वाले इलाक़ों पर अन्धाधुन्ध हमले बिल्कुल अस्वीकार्य हैं जिनमें नागोर्नो-काराबाख़ के बिल्कुल आसपास के इलाक़ों और अन्य क्षेत्रों पर हुए हमले शामिल हैं.
आर्मीनिया और अज़रबैजान स्थानीय समयानुसार शनिवार की मध्यरात्रि को समझौते पर अमल करने के लिये सहमत हुए थे जिसके लिये रूस और योरोप में सुरक्षा और सहयोग पर सम्मेलन (OSCE) के मिन्स्क समूह ने मध्यस्थता कराई थी.
ये संगठन इन दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख़ संघर्ष का शान्तिपूर्ण हल तलाश करने के लिये 1992 में वजूद में आया था.
इस समूह की सहअध्यक्षता अमेरिका, फ्रांस और रूस करते हैं, और बेलारूस, जर्मनी, इटली, स्वीडन, फ़िनलैण्ड, तुर्की, आर्मीनिया और अज़रबैजान इसके स्थायी सदस्य हैं.
रविवार को जारी किये गए इस वक्तव्य में कहा, “महासचिव इस बात पर बहुत दुखी हैं और दोनों पक्षों ने लड़ाई तुरन्त रोकने के अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की बार-बार की गई अपीलों की अनदेखी की है.”
एंतोनियो गुटेरेश ने आर्मीनिया और अज़रबैजान के विदेश मन्त्रियों के साथ उनकी हाल की बातचीत का ध्यान दिलाते हुए कहा कि सैन्य अभियानों के दौरान
आम नागरिकों और नागरिक बुनियादी ढाँचे की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करना अन्तरराष्ट्रीय मानवीय सहायता क़ानून के तहत दोनों देशों की ज़िम्मेदारी है.
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाते हुए ये भी कहा कि ताज़ा समझौता लागू होने से पहले शनिवार को गन्जा में एक मिसाइल हमले में अनेक लोग हताहुत हुए थे.
वक्तव्य में कहा गया है, “महासचिव ने 18 अक्टूबर को शुरू होने वाले मानवीय सहायता युद्धविराम समझौते के शुरू होने पर सघन ध्यान दिया है और उम्मीद जताई है कि दोनों पक्ष अपनी प्रतिबद्धताओं पर अमल करेंगे और बिना देर किये, शान्ति वार्ता शुरू करेंगे.”