यमन में क़ैदियों की रिहाई से शान्ति स्थापना की उम्मीदों को मिली मज़बूती

यमन में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने युद्धरत पक्षों के बीच एक हज़ार से ज़्यादा बन्दियों को रिहा किये जाने पर हुई सहमति का स्वागत किया है. उन्होंने गुरुवार को सुरक्षा परिषद को मौजूदा हालात की जानकारी देते हुए बताया कि शान्ति निर्माण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये अन्य क़दम भी उठाने होंगे.
ग़ौरतलब है कि सितम्बर में स्विट्ज़रलैण्ड में यमन सरकार और विरोधी हूती गुट के प्रतिनिधियों के बीच हुए एक समझौते के अनुरूप यह प्रक्रिया शुरू की गई है.
I warned the Security Council today that the window to prevent famine in #Yemen is closing quickly. Funding is up somewhat, but we still have a long way to go to prevent suffering. My remarks: https://t.co/CiWQDgUJWj pic.twitter.com/em6DbAzh8G
UNReliefChief
यूएन वार्ताकार ने बताया कि बन्दियों की अदला-बदली की प्रक्रिया शुक्रवार को भी जारी रहेगी जिससे अनेक परिवारों को राहत और सुकून मिलने की उम्मीद है.
लेकिन इनमें वो हज़ारों यमनी नागरिक शामिल नहीं हैं जिन्हें हिंसक संघर्ष के दौरान हिरासत में लिया गया था – ऐसे लोगों की संख्या लगभग 15 हज़ार बताई गई है.
संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी ने इस प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति का आभार जताया है, विशेषत: उन पक्षों व प्रतिनिधियों का जिन्होंने रचनात्मक माहौल में वार्ता में शामिल होने और सफलतापूर्वक एक समझौते के लिये संकल्प दर्शाया.
चूँकि बन्दियों की रिहाई के लिये हुए मौजूदा समझौते में हज़ारों अन्य बन्दी शामिल नहीं किये गए हैं, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सुरक्षा परिषद को बताया कि आने वाले दिनों में पक्षों के बीच फिर से वार्ता होगी. यह बातचीत वर्ष 2018 में स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में बैठक के दौरान लिये गए संकल्पों के अनुरूप होगी.
दो वर्ष पहले हुई उस वार्ता में हिंसक संघर्ष से सम्बन्धित सभी बन्दियों और हिरासत में लिये गए लोगों को रिहा करने का संकल्प लिया गया था.
यूएन दूत ने आशा जताई है कि क़ैदियों पर हुए समझौते को लागू करने से यह दर्शाया जा सकेगा कि शान्तिपूर्ण सम्वाद के नतीजे हासिल होते हैं जिससे आपसी भरोसा बहाल करने में मदद मिलेगी.
विशेष दूत के मुताबिक अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार और अन्सार अल्लाह गुट में युद्ध का अन्त करने और शान्ति का दरवाज़ा खोलने पर अभी साझा घोषणा-पत्र पर सहमति नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि वह इससे हैरान या हतोत्साहित नहीं हैं.
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सुरक्षा परिषद को ध्यान दिलाते हुए कहा कि यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश द्वारा जारी वैश्विक युद्धविराम की अपील के तहत ये वार्ताएँ आयोजित की गई हैं.
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह साझा घोषणा-पत्र महत्वाकाँक्षी समझौतों का एक पुलिन्दा है, जिसमें राष्ट्रव्यापी युद्धविराम, आर्थिक और मानवीय राहत उपायों और राजनैतिक प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की बात कही गई है.
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यूएन दूत का कहना है कि सभी पक्षों से बड़ी उम्मीदें व अपेक्षाएँ हैं और इसलिये इस प्रक्रिया में लग रहे समय की वजह को समझा जा सकता है.
हालाँकि, उन्होंने सचेत किया कि युद्ध अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है, सरकारी संस्थाओं का क्षरण हो रहा है, बाहरी तत्वों का हस्तक्षेप बढ़ रहा है और इस पृष्ठभूमि में सभी पक्षों को साझा घोषणा-पत्र पर जल्द कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
संयुक्त राष्ट्र आपात राहत समन्वयक मार्क लोकॉक ने सचेत किया है कि यमन में भुखमरी की रोकथाम के लिये समय निकला जा रहा है.
उन्होंने सुरक्षा परिषद को खाद्य सुरक्षा आँकड़ों से अवगत कराते हुए बताया कि भुखमरी के सबसे ख़राब हालात उन इलाक़ों में हैं जो हिंसा से प्रभावित हैं.
यमन के लिये मानवीय राहत कार्रवाई योजना को ज़रूरी धनराशि का महज़ 42 फ़ीसदी ही मिल पाया है जिस वजह से राहत एजेंसियों को इस वर्ष की शुरुआत से 40 लाख लोगों को दी जा रही राहत में कटौती करनी पड़ी है.
हथियारबन्द गुटों के उत्पीड़न और अन्य प्रकार की असुरक्षा की वजह से अग्रिम मोर्चे पर तैनात राहतकर्मियों के लिये मुश्किल हालात हैं, जिसके मद्देनज़र एक बार फिर राजनैतिक समाधान की ज़रूरत को रेखांकित किया गया है.
देश की बदहाल अर्थव्यवस्था के कारण खाद्य पदार्थ और अन्य बुनियादी वस्तुएँ लाखों लोगों की पहुँच से दूर हैं.