करोड़ों लोग हाथ स्वच्छता की सुविधाओं से महरूम, संक्रामक बीमारियों का ख़तरा

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 सहित अन्य संक्रामक बीमारियों के ख़िलाफ़ लड़ाई में हाथ स्वच्छता बेहद अहम है, लेकिन दुनिया भर में करोड़ों लोगों के पास हाथ स्वच्छता के लिये पर्याप्त साधनों का अभाव है. गुरूवार, 15 अक्टूबर, को विश्व हाथ स्वच्छता दिवस पर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने यह बात कही है.
विश्व आबादी के 40 फ़ीसदी हिस्से, यानि क़रीब तीन अरब लोगों के पास घर पर पानी और साबुन से हाथ धोने के लिये पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं.
Cleaning your hands can seem simple, but doing it thoroughly – and for 20 seconds – can make a difference in preventing the spread of #COVID19. #GlobalHandwashingDayhttps://t.co/KQgMDyhYCJ
UNICEF
सबसे कम विकसित देशों में लगभग तीन-चौथाई जनसंख्या के पास हाथ धोने की बुनियादी सेवाओं का अभाव है.
यूनीसेफ़ में जल, साफ़-सफ़ाई व स्वच्छता विभाग की सहायक निदेशक कैली ऐन नैलर ने इस अवसर पर कहा, “वैश्विक महामारी ने बीमारी की रोकथाम में हाथ स्वच्छता बरते जाने की अहमियत को रेखांकित किया है.”
“साथ ही, इसने अनेक लोगों के लिये पहले से मौजूद एक समस्या को मज़बूती से उजागर किया है: हाथों की साबुन से सफ़ाई अब भी लाखों बच्चों के लिये उनकी पहुँच से दूर है जहाँ वे पैदा होते हैं, रहते हैं और सीखते हैं.”
उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है कि सबसे अधिक निर्बल समुदाय अपनी और अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिये सरलतम उपाय अपनाने में सक्षम नहीं हैं.
“हमें तत्काल कार्रवाई करनी होगी ताकि हर किसी के लिये, हर स्थान पर, हाथों की साबुन से धुलाई, अभी और भविष्य में सम्भव हो सके.”
संयुक्त राष्ट्र के आँकड़े दर्शाते हैं कि विश्व में हर पाँच में से महज़ तीन लोगों के पास ही हाथ धोने की बुनियादी सुविधाएँ हैं.
43 प्रतिशत स्कूलों में साबुन और पानी से हाथ धो पाना सम्भव नहीं है और इस समस्या से करोड़ों स्कूली बच्चे प्रभावित हैं.
मध्य और दक्षिण एशिया में शहरी इलाक़ों में रह रहे 22 फ़ीसदी (15 करोड़) लोगों के पास हाथ धोने की सुविधाओं तक पहुँच नहीं है.
बांग्लादेश के शहरी इलाक़ों में यह आँकड़ा लगभग 50 फ़ीसदी (दो करोड़ 90 लाख), भारत में क़रीब 20 प्रतिशत शहरी (9 करोड़ 10 लाख) लोगों के पास घर पर हाथ धोने के लिये बुनियादी सुविधाएँ उपलब्थ नहीं हैं.
पूर्व एशिया के देशों, इण्डोनेशिया में 28 फ़ीसदी (चार करोड़ 10 लाख) और फ़िलिपीन्स में 15 फ़ीसदी (70 लाख) शहरी लोगों के पास घर पर हाथ धोने की मूलभूत सुविधाएँ नहीं हैं.
सब-सहारा अफ़्रीका के शहरी इलाक़ों में 63 फ़ीसदी लोगों (25 करोड़ 80 लाख) के पास हाथ धोने की सुविधाओं तक पहुँच नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष दुनिया भर में बच्चों और उनके परिवारों के लिये हाथ धोने की सुविधाओं की सुलभता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है.
इन प्रयासों के तहत 130 से ज़्यादा देशों में हाथ धोने की आदत विकसित करने को प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
इसके अतिरिक्त, यूनीसेफ़ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने “सर्वजन के लिये हाथों की स्वच्छता”(Hand Hygiene for All) नामक एक पहल शुरू की है जिसका उद्देश्य बुनियादी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों में हाथों की स्वच्छता को एक मज़बूत आधार बनाना है.
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये हाथ धोने की सुविधाओं तक पहुँच को बेहतर बनाना, जल, साबुन और सैनीटाइज़र की उपलब्धता सुनिश्चित करना और हाथों की बेहतर स्वच्छता के लिये आवश्यकता अनुरूप व्यवहार में बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है.
इस पहल के ज़रिये अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर साझीदार संगठनों को एक साथ लाया जा रहा है और किफ़ायती उत्पादों व सेवाओं की सतत उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है, विशेष रूप से निर्बल व हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिये.