विश्व अर्थव्यवस्था गहरी मन्दी में, मगर असर की गम्भीरता कम होने का अनुमान

दुनिया पर विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 की छाया और उसके असर के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था का वर्ष 2020 में गहरी आर्थिक मन्दी के दौर से गुज़रना जारी रहेगा लेकिन यह मन्दी पहले की अपेक्षा थोड़ा कम गम्भीर होने की सम्भावना है. अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जारी अपनी नई रिपोर्ट में यह ताज़ा जानकारी जारी की है.
रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में बड़े, धनी देशों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आशा से बेहतर रहा है, चीन की अर्थव्यवस्था में भी मज़बूती देखी गई है और तीसरी तिमाही में हालात में तेज़ सुधार की उम्मीद जताई गई है.
अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने इन्हीं प्रमुख वजहों से अपने अनुमानों में सुधार किया है.
A sustained recovery will require global health cooperation, policies to limit long-lasting damage, and an eye toward placing economies on paths of stronger, equitable, and sustainable growth. Read our latest #WEO. #IMFBlog https://t.co/ZpkEgqFQHK pic.twitter.com/fpZIzd4Ctt
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अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में शोध निदेशक गीता गोपीनाथ ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा है कि ठोस, त्वरित और अभूतपूर्व वित्तीय, मौद्रिक और नियामक जवाबी कार्रवाइयों के अभाव में हालात और भी ज़्यादा ख़राब हो सकते थे.
इन उपायों से घरों की गुज़र-बसर के लिये आय का इन्तज़ाम करना, उद्यमों में वित्तीय लेनदेन को बनाए रखना और क़र्ज़ का प्रावधान सुनिश्चित करना सम्भव हुआ है.
आईएमएफ़ अधिकारी ने कहा, “सामूहिक रूप से उठाए गए इन क़दमों से वर्ष 2008-09 के वित्तीय विनाश को अब तक रोक पाना सम्भव हुआ है.”
रिपोर्ट दर्शाती है कि कोविड-19 महामारी का फैलाव अब भी जारी रहने की वजह से अनेक देशों में आर्थिक व सामाजिक जीवन को खोले जाने की प्रक्रिया धीमी हुई है, कुछ देशों में तालाबन्दी आंशिक रूप से फिर लागू की जा रही है.
चीन में हालात में अपेक्षा से कहीं ज़्यादा तेज़ गति से सुधार हुआ है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था की महामारी से पहले के स्तर पर चढ़ाई के रास्ते में अब भी कई अवरोध बने हुए हैं.
वर्ष 2020 में वैश्विक आर्थिक विकास दर के -4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो आईएमएफ़ द्वारा जून 2020 में जारी ताज़ा आकलन जितनी गम्भीर नहीं है.
वर्ष 2021 में वैश्विक वृद्धि दर के 5.2 प्रतिशत रहने की सम्भावना है जो जून 2020 में जारी अनुमान से थोड़ा कम है.
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने और फिर 2021 में उबरने के बाद अगले वर्ष वैश्विक जीडीपी के स्तर में वर्ष 2019 की तुलना में 0.6 प्रतिशत की मामूली बढ़ोत्तरी होने की सम्भावना है.
विकसित व उभरती, दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिये दर्शाए गए अनुमानों में इस वर्ष और 2021 में व्यापक स्तर पर क्षमता से कम उत्पादन होने और रोज़गार खोने की आशंका जताई गई है.
वर्ष 2021 के बाद वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर मध्यम काल में साढ़े तीन प्रतिशत रहने की सम्भावना है – यानि महामारी से पहले 2020-25 के लिये आर्थिक अनुमानों की तुलना में प्रगति सीमित रफ़्तार से होगी.
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि आर्थिक अनुमान अब भी एक बेहद असाधारण और अनिश्चितापूर्ण माहौल में जारी करने पड़ रहे हैं. ये अनुमान सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक कारकों पर निर्भर हैं जिनके बारे में कोई पूर्वानुमान लगा पाना कठिन है.
आगामी दिनों में कोविड-19 महामारी के फैलाव का दायरा व स्तर अभी अस्पष्ट है और यह भी तय नहीं है कि भावी परिस्थितियों में किस तरह से सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई की आवश्यकता होगी या फिर हालात पर क़ाबू पाने में देश कौन से क़दम उठाएंगे.
यह बात अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों पर विशेष रूप से लागू होती है जहाँ लोगों में आपसी सम्पर्क को टालना मुश्किल है.
अनिश्चितता के माहौल के लिये वस्तुओं की कमज़ोर माँग की वजह से होने वाले वैश्विक असर, पर्यटन क्षेत्र में मन्दी और धन प्रेषण (Remittance) का स्तर घटने सहित अन्य कारण बताये गए हैं.
साथ ही आपूर्ति मार्गों को क्षति पहुँचने की आशंकाओं पर चिन्ता जताई गई है. ये सभी बातें महामारी की गम्भीरता और उससे निपटने के लिये नीतिगत जवाबी कार्रवाई के आकार और प्रभावशीलता पर निर्भर करती हैं.
आर्थिक मन्दी की गम्भीरता और कुछ देशों में आपात राहत व सामाजिक संरक्षा उपायों को हटाए जाने की सम्भावना के मद्देनज़र दिवालियापन के मामल बढ़ने से रोज़गार व आय का स्रोत खोने की समस्या और ज़्यादा गहरा रूप धारण कर सकती है.
इसके अतिरिक्त, वित्तीय पुनर्बहाली के बजाय भय व आशंका गहराने से निर्बल देशों को क़र्ज़ की उपलब्धता अचानक बन्द होने की आशंका है.