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कोविड-19: संक्रमितों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालीन असर चिन्ता का सबब

न्यूयॉर्क सिटी के एस्टोरिया इलाक़े के एक अस्पताल में एक मरीज़ को इलाज के लिए लाया गया है.
UN Photo/Evan Schneider
न्यूयॉर्क सिटी के एस्टोरिया इलाक़े के एक अस्पताल में एक मरीज़ को इलाज के लिए लाया गया है.

कोविड-19: संक्रमितों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालीन असर चिन्ता का सबब

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अनेक देशों में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में आई तेज़ी के बीच उन लोगों के स्वास्थ्य के प्रति चिन्ता जताई है जो कोरोनावायरस से संक्रमित होने के कई महीने बाद भी थकान, साँस लेने में परेशानी सहित अन्य स्वास्थ्य कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. यूएन एजेंसी के मुताबिक स्वास्थ्य जोखिमों के मद्देनज़र कोविड-19 को बेक़ाबू होकर फैलने देने की अनुमति किसी भी हालात में नहीं दी जा सकती.    

दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमण के अब तक तीन करोड़ 74 लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 10 लाख 74 हज़ार लोगों की मौत हुई है. 

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हाल के दिनों में संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है, विशेष रूप से योरोप और अफ़्रीका में. 

पिछले चार दिनों में हर दिन अब तक सबसे बड़ी संख्या में मामलों की पुष्टि हुई है. 

अनेक शहरों और देशों में अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने और संक्रमितों को गहन चिकित्सा कक्षों में  रखे जाने के मामले बढ़ रहे हैं. 

संक्रमण का दीर्घकालीन असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख के मुताबिक कोविड-19 से लोगों की सेहत पर दीर्घकाल में होने वाले असर को समझने का प्रयास किया जा रहा है और ऐसे बहुत से मरीज़ों के बारे में मालूम हो रहा है जो संक्रमण के लम्बे समय बाद भी पीड़ा में हैं. 

उन्होंने कहा कि इसके मद्देनज़र वायरस को अनियन्त्रित ढँग से फैलने की अनुमति देना नैतिक नहीं है और यह कोई विकल्प नहीं हो सकता. 

महासचिव घेबरेयेसस के मुताबिक हाल के दिनों में वायरस को फैलने देने पर चर्चा हुई है ताकि सामूहिक रूप से प्रतिरोधक क्षमता (Herd immunity) हासिल की जा सके. 

यह एक ऐसा सिद्धान्त है जिसे टीकाकरण के लिये इस्तेमाल में लाया जाता है – अगर टीकाकरण की एक निश्चित दहलीज को छू लिया जाता है तो वायरस से जनसमूहों की रक्षा की जा सकती है. 

उदाहरणस्वरूप, ख़सरा के ख़िलाफ़ सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता के लिये 95 फ़ीसदी जनसंख्या को वैक्सीन देना ज़रूरी है जिसके बाद बाक़ी पाँच फ़ीसदी लोगों की रक्षा हो सकती है.

पोलियो के लिये यह दहलीज़ लगभग 80 प्रतिशत है.

यूएन एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि ‘हर्ड इम्युनिटी’ किसी वायरस से लोगों को बचाकर हासिल की जाती है, उन्हें संक्रमित बना कर नहीं. 

उनके मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य के इतिहास में इस तरह की रणनीति कभी इस्तेमाल नहीं की गई है. कोविड-19 से प्रतिरोधक क्षमता के बारे में अभी ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है.

संक्रमित होने के बाद कुछ हफ़्तों तक लोगों में प्रतिरोधक क्षमता रहती है लेकिन उसकी अवधि या मज़बूती पर पुख़्ता समझ का अभाव है. 

अभी तक के अनुमान व विश्लेषण दर्शाते हैं कि विश्व की दस फ़ीसदी से भी कम आबादी अभी कोविड-19 से संक्रमित हुई है. 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने स्पष्ट किया कि इन हालात में वायरस को बेक़ाबू होकर फैलने देने से अनावश्यक संक्रमण, कष्ट और मौतें होंगी.

डिजिटल माध्यमों से मदद

सार्वजनिक स्वास्थ्य के परम्परागत औज़ारों के अलावा जवाबी कार्रवाई में डिजिटल टैक्नॉलॉजी की भी मदद ली जा रही है, ख़ास तौर पर मोबाइल ऐप्स के ज़रिये  संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाने में. 

जर्मनी में कोरोना-वॉर्न ऐप की शुरुआत के पहले 100 दिनों में 12 लाख टैस्ट नतीजे प्रयोगशालाओं से लोगों तक पहुँचाए गए है. 

भारत में आरोग्य सेतु ऐप 15 करोड़ लोगों ने डाउनलोड किया है जिसकी मदद से सार्वजनिक स्वास्थ्य विभागों को उन इलाक़ों की शिनाख़्त करने में मदद मिली है जहाँ बड़ी संख्या में संक्रमण के मामलों की आशंका है. 

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इसके बाद ऐसे इलाक़ों में लक्षित ढँग से परीक्षणों का दायरा व संख्या बढ़ाई जाती है.

वहीं ब्रिटेन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) ने कोविड-19 ऐप का नया संस्करण जारी किया है जिसे पहले सप्ताह में ही एक करोड़ बार डाउनलोड किया गया.

इस ऐप की मदद से लोगों को परीक्षण बुक कराने और नतीजा हासिल करने, सम्भावित संक्रमितों के सम्पर्क में आने, गतिविधियों की जानकारी रखने और स्थानीय स्तर पर पाबन्दियों के सम्बन्ध में ताज़ा जानकारी हासिल करने में आसानी हो रही है.  

महामारी का असमान फैलाव

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि यह एक असमान रूप से फैली हुई महामारी है – देश अलग-अलग तरह से प्रभावित हुए हैं और उन्होंने अलग-अलग ढँग से जवाबी कार्रवाई की हैं.

पिछले हफ़्ते दुनिया भर में पुष्ट मामलों की कुल संख्या का 70 फ़ीसदी महज़ 10 देशों से थी, और कुल मामलों में लगभग आधे संक्रमित लोग केवल तीन देशों से हैं. 

यूएन एजेंसी प्रमुख ने आगाह किया कि अगर किसी देश में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है, तो फिर अनेक देश ऐसे हैं जिन्होंने सफलतापूर्वक साबित उपायों के ज़रिये संक्रमणों की रोकथाम की है और उन पर क़ाबू पाया है. 

“वही उपाय कोविड-19 के ख़िलाफ़ हमारा सर्वश्रेष्ठ रक्षा कवच बने हुए हैं.”

उन्होंने कोरोनावायरस पर क़ाबू पाने और ज़िन्दगियों की रक्षा करने के लिये चार अहम उपायों का उल्लेख किया है. 

- ऐसे आयोजनों पर रोक लगाई जाए जहाँ बड़े पैमाने पर संक्रमण फैलने की आशंका हो 
- निर्बल व्यक्तियों व समुदायों की रक्षा की जाए
- समुदायों को सशक्त व जागरूक बनाया जाए और उनके साथ सम्पर्क बनाए रखा जाए

इसके साथ-साथ परीक्षणों के ज़रिये संक्रमित लोगों का पता लगाना, उन्हें अलग रखकर उपचार की व्यवस्था करना, उनके सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाकर उन्हें एकान्तवास में रखना भी अहम है.