नागोर्नो-काराबाख़ संघर्ष क्षेत्र में युद्धविराम समझौते का स्वागत

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने नागोर्नो-काराबाख़ संघर्ष क्षेत्र में युद्धविराम पर आर्मीनिया और अज़रबैजान में हुए समझौते का स्वागत किया है. शुक्रवार को रूस में हुई वार्ता के बाद दोनों पक्षों में हिंसा रोकने पर सहमति बनी है. दक्षिण कॉकशेस में नागोर्नो-काराबाख़ सीमा क्षेत्र पिछले तीन दशकों से संघर्ष का शिकार है और सितम्बर के अन्त में आर्मीनिया व अज़रबैजान के सुरक्षा बलों के बीच फिर से हिंसा भड़क उठी थी.
दोनों पक्षों के बीच हिंसा शुरू होने के बाद से ही अनेक शहरों, क़स्बों व गाँवों में बमबारी की ख़बरें मिल रही थीं.
Secretary-General @antonioguterres welcomes agreement on humanitarian ceasefire announced in Moscow by Russia, Azerbaijan and Armenia, and calls for ceasefire to be respected. https://t.co/Lir3f2wgNC
UN_Spokesperson
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने शनिवार को एक बयान जारी करके कहा, “महासचिव मानवीय राहत युद्धविराम पर समझौते का स्वागत करते हैं, जिसकी घोषणा कल मॉस्को में रूस, अज़रबैजान और आर्मीनिया के विदेश मन्त्रियों ने की थी.”
“महासचिव मध्यस्थता प्रयासों के लिये रूस की सराहना करते हैं.”
महासचिव गुटेरेश ने युद्धविराम का सम्मान किये जाने और उसके विशिष्ट मानदण्डोंं पर जल्द से जल्द सहमति बनाने का आग्रह किया है.
यूएन प्रमुख ने योरोप में 'सुरक्षा व सहयोग के लिये संगठन' (Organization for Security and Cooperation in Europe / OSCE) के तत्वाधान में ठोस वार्ता आरम्भ करने के लिये आर्मीनिया व अज़रबैजान के संकल्प का स्वागत किया है.
यह वार्ता इस संगठन के मिन्स्क समूह प्रक्रिया के ज़रिये आगे बढ़ाए जाने की उम्मीद है.
फ्राँस, रूस और अमेरिका OSCE संगठन की मिन्स्क प्रक्रिया के प्रमुख हैं जो नागोर्नो-काराबाख़ संघर्ष के शान्तिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देती है.
यूएन प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के नाम एक अपील जारी करते हुए युद्धविराम समझौते को समर्थन प्रदान करने की बात कही है.
साथ ही उन्होंने देशों से दोनों पक्षों को आपसी मतभेद शान्तिपूर्ण माध्यमों से सुलझाने के लिये प्रोत्साहित करने का आग्रह किया है.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इससे पहले नागोर्नो-काराबाख़ में तनाव और हिंसा की निन्दा करते हुए सभी सम्बद्ध पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत ज़िम्मेदारियाँ निभाने और नागरिक बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की पुकार लगाई थी.
नागोर्नो-काराबाख़ क्षेत्र के मालिकाना हक़ को लेकर आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच 1994 तक छह साल तक युद्ध चला था.
1994 में युद्ध विराम हुआ मगर उसके बाद से दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर युद्धविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाते रहे हैं.