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यूएन विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को 2020 का नोबेल शान्ति पुरस्कार

विश्व खाद्य कार्यक्रम ग्वाटेमाला में कोविड-19 के कारण खाद्य असुरक्षा से प्रभावित आदिवासी समुदायों तक राहत पहुँचा रहा है.
WFP/Carlos Alonzo
विश्व खाद्य कार्यक्रम ग्वाटेमाला में कोविड-19 के कारण खाद्य असुरक्षा से प्रभावित आदिवासी समुदायों तक राहत पहुँचा रहा है.

यूएन विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को 2020 का नोबेल शान्ति पुरस्कार

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को वर्ष 2020 का नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता घोषित किया गया है. ये संगठन दुनिया भर में करोड़ों लोगों को जीवनदायी खाद्य सहायता मुहैया कराता है, अक्सर बेहद ख़तरनाक और दुर्लभ परिस्थितियों में भी.

नोबेल पुरस्कार समिति की अध्यक्ष बैरिट रीस-एण्डर्सन ने कहा कि यूएन खाद्य एजेंसी (WFP) को, भुखमरी का सामना करने, संघर्ष प्रभावित इलाक़ों में शान्ति के लिये हालात बेहतर बनाने, और युद्धों व संघर्षों में भुखमरी को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किये जाने से रोकने के उसके प्रयासों को पहचान व मान्यता देते हुए शान्ति पुरस्कार के लिये चुना गया है. 

विश्व खाद्य कार्यक्रम को तस्वीरों में देखने के लिये यहाँ क्लिक करें. 

विश्व खाद्य कार्यक्रम दुनिया भर में सबसे विशाल मानवीय सहायता संगठन है. साल 2019 में इस संगठन ने 88 देशों में लगभग 9 करोड़ 70 लाख लोगों की मदद की थी.

यूएन खाद्य एजेंसी के प्रयास मुख्यतः आपात सहायता, राहत और पुनर्वास, विकास सहायता और विशेष अभियानों पर केन्द्रित हैं.

विश्व खाद्य कार्यक्रम का दो-तिहाई काम संघर्ष प्रभावित देशों में है जहाँ की आबादी के, बिना संघर्ष वाले देशों की आबादी की तुलना में, कुपोषण की चपेट में आने की तीन गुना ज़्यादा सम्भावना है.

कोविड-19 के कारण खाद्य स्थिति बदतर

नोबेल पुरस्कार समिति ने विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कामकाज की सराहना करते हुए, समुदायों की खाद्य ज़रूरतें पूरी करके, उनके अन्दर मज़बूती, सहनक्षमता और सततता बढ़ाने में एजेंसी की भूमिका को रेखांकित किया.

नोबेल पुरस्कार समिति की अध्यक्ष ने कहा कि कोविड-19 संकट ने वैश्विक खाद्य असुरक्षा में भी इज़ाफ़ा किया है और एक साल के भीतर लगभग साढ़े 26 करोड़ लोगों के सामने भूखे रहने की स्थिति पैदा हो सकती है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (दाएँ से दूसरे) विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली (दाएँ) इम्वेपी बस्ती में पहुँचे शरणार्थियों को भोजन परोसते हुए.
UN Photo/Mark Garten
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (दाएँ से दूसरे) विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली (दाएँ) इम्वेपी बस्ती में पहुँचे शरणार्थियों को भोजन परोसते हुए.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि केवल अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ही ऐसी स्थिति का सामना कर सकता है.

उन्होंने यूएन खाद्य एजेंसी की भूमिका पर रौशनी डालते हुए कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम ने संघर्षों व प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित बेहद ख़तरनाक और दुर्लभ इलाक़ों में करोड़ों लोगों की मदद की है, इनमें यमन, सीरिया और उत्तर कोरिया जैसे देश भी शामिल हैं.

जीवनदायी सहायता के लिये ख़तरों का सामना

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने नोबेल पुरस्कार जीतने पर विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को बधाई देते हुए, इसे खाद्य असुरक्षा के मोर्चों पर दुनिया की पहली मुस्तैद एजेंसी क़रार दिया. 

महासचिन ने एक वक्तव्य में कहा, “विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ करने वाली महिलाएँ और पुरुष संघर्षों के सताए और तबाह हुए लोगों, आपदाओं के कारण तकलीफ़ों में घिरे लोगों, और अपनी अगली खाद्य ख़ुराक़ के बारे में भी अनिश्चित बच्चों व परिवारों तक जीवनदायी सहायता पहुँचाने के लिये ख़तरों का सामना करते हैं और बहुत लम्बी दूरियाँ तय करते हैं.”

महासचिव ने दुनिया भर में उन लाखों-करोड़ों लोगों की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया जो भुखमरी का सामना कर रहे हैं, और कोविड-19 महामारी के कारण लाखों-करोड़ों अन्य लोगों के लिये भी खाद्य सुरक्षा के हालात बेहत ख़तरनाक होने की आशंका है.

महासचिव ने कहा, “विश्व में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के लिये भी भूख नज़र आती है. विश्व खाद्य कार्यक्रम को ये भूख भी शान्त करनी है”.

उन्होंने कहा कि ये संगठन राजनीति से ऊपर उठकर काम करता है, जिसमें मानवीय ज़रूरतें इसके अभियानों को दिशा और प्रेरणा प्रदान करती हैं.

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यूएन प्रमुख ने ना केवल महामारी बल्कि अन्य वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिये सभी से और ज़्यादा एकजुटता दिखाने का आहवान भी किया.

“हम जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन जैसी अस्तित्व को संकट में डालने वाली चुनौतियाँ भुखमरी संकट को और ज़्यादा गम्भीर बनाएँगी.”

‘विनम्र व प्रेरणादायक मान्यता’

विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने नोबेल शान्ति पुरस्कार की घोषणा होने के बाद कहा कि नॉर्वे की नोबेल पुरस्कार समिति की घोषणा ने दुनिया के उन लगभग 69 करोड़ लोगों को वैश्विक नज़र में ला दिया है जो भुखमरी का सामना कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “इनमें से हर एक इनसान को भुखमरी के बिना और शान्तिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार है.” जलवायु के झटकों और आर्थिक दबावों ने उनकी तकलीफ़ों में और ज़्यादा इज़ाफ़ा कर दिया है.

“और अब, वैश्विक महामारी अपने क्रूर आर्थिक व सामुदायिक प्रभावों के ज़रिये करोड़ों अन्य लोगों को भी भुखमरी के कगार पर धकेल रही है.”

डेविड बीज़ली ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि नोबेल शान्ति पुरस्कार केवल विश्व खाद्य कार्यक्रम को नहीं मिला है. ये यूएन एजेंसी सरकारों, संगठनों और निजी क्षेत्र के साझीदारों के साथ काम करती है जिनका हौसला और लगन, भुखमरी व नाज़ुक हालात में रहने वाले लोगों की मदद करने में, एजेंसी से कमतर नहीं है.

“उनकी मदद के बिना हम शायद किसी की भी मदद नहीं कर पाते. हम एक कार्यकारी एजेंसी हैं और हमारे कर्मचारियों के दैनिक कार्यों के लिये हौसला हमारे बुनियादी मूल्यों – सत्यनिष्ठा, मानवता और समावेश से प्रेरित होते हैं.”

यूएन खाद्य एजेंसी के प्रमख ने कहा कि नोबेल शान्ति पुरस्कार एक “विनम्र और भावुक शिनाख़्त है”.

“नोबेल शान्ति पुरस्कार... विश्व खाद्य कार्यक्रम के कर्मचारियों के कामकाज की एक विनम्र, और भावुक पहचान है जो दुनिया भर में हर दिन लगभग 10 करोड़ भूखे बच्चों, महिलाओं और पुरुषों के मुँह तक भोजन व अन्य सहायता पहँचाने में अपनी ज़िन्दगी को दाँव पर लगाकर मोर्चे पर मुस्तैद रहते हैं. ये ऐसे लोग हैं जिनकी ज़िन्दगियाँ अस्थिरता, असुरक्षा और संघर्ष हालात के कारण बिखरी हुई है.”

विश्व खाद्य कार्यक्रम की स्थापना 1961 में हुई थी जिसका मुख्यालय रोम में है.

संयुक्त राष्ट्र और नोबेल शान्ति पुरस्कार

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) से पहले भी संयुक्त राष्ट्र की अनेक एजेंसियों को नोबेल शान्ति पुरस्कार मिल चुका है. एक झलक यहाँ मौजूद है. 

इनमें संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR), अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), यूएन शान्ति रक्षा, अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), पूर्व महासचिव डैग हैमर्सहोल्ड और कोफ़ी अन्नान, और पूर्व अवर महासचिव राल्फ़ बुन्शे, और ख़ुद संयुक्त राष्ट्र संगठन.